"कल रात मैं अपनी बेस्ट फ्रेंड और उसके परिवार के साथ रस्ता (रेस्त्रां का नाम) गई थी. मैं बहुत दिन बाद बाहर जा रही थी. मेरी दोस्त के भाई ने रिसेप्शन पर 4 लोगों की बुकिंग के लिए पूछा. रिसेप्शन के स्टाफ ने दो बार उनकी बात अनसुनी कर दी. तीसरी बार स्टाफ ने कहा, 'व्हीलचेयर अंदर नहीं जाएगी!' हमें लगा कि कोई एक्सेसिबिलिटी इश्यू है, लेकिन ऐसा नहीं था. हमने कहा कि हम मैनेज कर लेंगे, बस हमारा टेबल बुक कर दीजिए. तो उसने मेरी तरफ़ इशारा करते हुए कहा 'अंदर कस्टमर्स डिस्टर्ब हो जाएंगे' और हमें एंट्री नहीं करने दी. उसने बहुत आसानी के साथ यह कह दिया. और ये एक तथाकथित फैंसी जगह है. बहुत बहस करने के बाद उसने हमें बाहर एक टेबल दे दी.सृष्टि ने एक वीडियो भी पोस्ट किया, जिसमें उसकी दोस्त का भाई रिसेप्शन स्टाफ़ से कह रहा है कि अब हम इस रेस्टोरेंट में कभी नहीं आएंगे.
पहली बात तो यह कि बाहर की सीटिंग अच्छी नहीं थी. मुझे ठंड लग रही थी और ठंड की वजह से मेरे शरीर में ऐंठन होने लगती है. और दूसरी बात कि मुझे बाहर क्यों बैठाया जा रहा है? बाकी लोगों से अलग? अगर मुझे बाहर खाना होता, तो मैं पहले ही उनसे यह बात बोल देती. आखिर में हमें वहां से जाने के लिए कह दिया गया."
"मैं इस पूरे मामले को ख़ुद देख रहा हूं. सबसे पहले तो मैं अपनी पूरी टीम की तरफ़ से आपसे माफी मांगता हूं. आप आश्वस्त रहें कि अगर हमारे किसी भी टीम मेंबर को ग़लत पाया गया, तो उसके ऊपर उचित कार्रवाई की जाएगी."
लोगों ने ट्विटर पर लिखा, 'जितना फैंसी रेस्त्रां, उतने खोखले लोग' (तस्वीर - ज़ोमैटो)
एक्टर और फ़िल्म-मेकर पूजा भट्ट ने सृष्टि के ट्वीट पर रिप्लाई करते हुए लिखा,
"मुझे बहुत दुख है कि तुम्हारे साथ ऐसा हुआ. हमारे समाज में करुणा की बहुत कमी है. व्हीलचेयर एक्सेसिबिलिटी न होना एक बात है, लेकिन एक व्यक्ति के साथ सामान्य व्यवहार न करना और उसे उसकी ड्यू डिग्निटी न देना दूसरी बात है."
"क्या मेरा होना मात्र आपके लिए डिस्टरबेंस है? मुझे हर छोटी चीज़ के लिए लड़ना क्यों पड़ता है? एक पब्लिक प्लेस में एंट्री के लिए मुझे क्यों मना कर दिया गया? वो कौन होते हैं, मुझे कहीं भी आने-जाने से रोकने वाले? क्या मैं कहीं जाना ही बंद कर दूँ?इस पूरी कथित घटना पर लोगों ने रेस्त्रां की ख़ूब आलोचना की और इस तरह के व्यवहार को बेहद आपत्तिजनक बताया. ऐसी ही एक घटना पिछले साल हिंदी के लेखक निलोत्पल मृणाल के साथ हुई थी, जब कनॉट प्लेस के एक रेस्त्रां ने उनके गमछे के लिए उन्हें एंट्री नहीं दी थी. और आपको वह वाकिया तो याद ही होगा जब दिल्ली में भी साड़ी के लिए एक महिला को एंट्री नहीं दी गई थी. एक 'सभ्य सोफिस्टिकेटेड समाज' के मानकों में जो 'नॉर्मल' नहीं है, वह डिस्टर्बिंग है. सृष्टि ने अपने थ्रेड में जो लिखा, उसे पढ़िएगा.. सुनिएगा.. सोचिएगा.
मैं बहुत दुखी हूं. और मुझे बहुत घृणा हो रही."