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पत्नी का सिंदूर नहीं लगाने का विवाद कोर्ट तक पहुंच गया, जज ने कहा- 'ये धार्मिक कर्तव्य है'

इंदौर फैमिली कोर्ट के प्रिंसिपल जज एनपी सिंह ने फैसला सुनाते हुए कहा कि पत्नी का सिंदूर लगाना एक 'धार्मिक कर्तव्य' है जो उसके शादीशुदा होने का 'प्रतीक' है.

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इंदौर की फैमिली कोर्ट ने कहा कि सिंदूर लगाना पत्नी का धार्मिक कर्तव्य होता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर- Unsplash.com)

इंदौर के फैमिली कोर्ट का एक फैसला चर्चा में है. एक दंपती के बीच विवाद सुलझाने की सुनवाई में कोर्ट ने कहा कि सिंदूर लगाना शादीशुदा हिंदू महिला का 'धार्मिक दायित्व' है. इसके साथ ही कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि महिला को तत्काल अपने पति के पास लौट जाना चाहिए (Sindoor wife family court).

खबरों के मुताबिक पत्नी ने पांच साल पहले पति का घर छोड़ दिया था और मायके में रह रही थी. उधर पति ने अपने वैवाहिक जीवन की बहाली के लिए हिंदू अधिनियम के तहत फैमिली कोर्ट में अर्जी दायर की हुई थी. एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, पति ने बताया कि पत्नी सिंदूर नहीं लगाती थी, जिसे लेकर उनमें अनबन रहती थी. बाद में वो अपने मायके चली गई और सालों से नहीं लौटी.

मामले की सुनवाई के बाद इंदौर फैमिली कोर्ट के प्रिंसिपल जज एनपी सिंह ने फैसला सुनाते हुए कहा कि पत्नी का सिंदूर लगाना एक 'धार्मिक कर्तव्य' है जो उसके शादीशुदा होने का 'प्रतीक' है. कोर्ट ने आगे कहा कि महिला के पूरे बयान से स्पष्ट है कि उसे उसके पति ने नहीं छोड़ा है बल्कि उसने अपनी मर्जी से खुद को पति से अलग किया है. और वह उससे तलाक चाहती है. इसके साथ ही फैमिली कोर्ट ने पत्नी को सिंदूर लगाने और पति के पास वापस लौटने की सलाह दी.

अपने आदेश में जज ने कहा,

जब महिला का बयान अदालत में दर्ज किया गया, तो उसने स्वीकार किया था कि उसने 'सिंदूर' नहीं लगाया है. 

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इस दंपती की शादी 2017 में हुई थी और इनका एक पांच साल का बेटा है. महिला ने अपने पति पर दहेज उत्पीड़न का आरोप लगाया था, लेकिन कोर्ट ने तथ्यों की जांच के बाद कहा कि महिला ने पुलिस में दर्ज कोई शिकायत या रिपोर्ट कोर्ट के सामने पेश नहीं की है. इस आधार पर कोर्ट ने महिला के आरोपों को खारिज कर दिया.

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