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आलिया की फिल्म गंगूबाई काठियावाड़ी में विजय राज के किरदार पर बवाल क्यों है?

फिल्म में आलिया और विजय के किरदार के बीच कमाठीपुरा की मैडम बनने का टसल दिखेगा.

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विजय राज़ ने रज़िया बाई का निभाया है, जो गंगूबाई की राइवल हैं
गंगूबाई काठियावाड़ी. संजय लीला भंसाली की नई पिक्चर आ रही है. फ़िल्म में आलिया भट्ट ने टाइटुलर रोल निभाया है. 4 फरवरी को फ़िल्म का ट्रेलर आया. ट्रेलर वैसे तो काफी पावरफुल है लेकिन इसमें विजय राज के किरदार को लेकर विवाद शुरू हो गया है. दरअसल, विजय राज फिल्म में एक ट्रांसजेंडर बने हैं. फिल्म में उनका नाम रज़िया होता है जिसकी गंगूबाई के साथ वर्चस्व की लड़ाई चलती दिखती है. ट्रेलर से ही जनता विजय राज के अभिनय की फैन हो गई है, लेकिन वो किरदार किसी ट्रांसजेंडर एक्टर को नहीं देने के चलते विरोध भी हो रहा है. विजय राज़ का किरदार गंगूबाई काठियावाड़ी वैसे तो आलिया भट्ट की फिल्म है. ट्रेलर में ये साफ दिख रहा है कि आलिया ने अपने किरदार पर खूब मेहनत की है. कोठे पर जबरन लाई गई लड़की की मासूमियत और वहां रहते हुए आई परिपक्वता दोनों ही बिंदुओं को आलिया ने सहजता से पकड़ा है.  पर ट्रेलर आने के बाद से विजय राज का किरदार काफी चर्चा में है.
रज़िया बाई, जो गंगूबाई की राइवल हैं, एक ट्रांसजेंडर हैं. राइवल इसलिए कि ट्रेलर में एक संवाद के दौरान रज़िया बाई गंगूबाई से कहती है,
"कमाठीपुरा रज़िया बाई का था. कमाठीपुरा रज़िया बाई का रहेगा!"
विजय राज़ गंगुबाई काठियावाड़ी
ट्रेलर में और भी ऐसे कई संकेत है जिससे यह समझ में आता है कि रज़िया और गंगुबाई राइवल्स हैं

एक यूज़र ने लिखा,
"ट्रेलर ज़बरदस्त जा रहा था और फिर यह व्यक्ति आया और इसने सबसे स्पॉटलाइट छीन ली."
एक ने लिखा,
"मैं पहले इस मूवी के लिए बहुत एक्साइटेड नहीं था, लेकिन विजय राज़ को देखने के लिए अब उत्साहित हूं."
साथी शुभम ने भी ट्रेलर रिव्यू
में लिखा है,
"विजय राज़ जैसे कैलिबर वाले के एक्टर के साथ आलिया भट्ट के एनकाउंटर वाले सीन्स उनके अभिनय की असली परीक्षा होंगे. "
विरोध क्यों हो रहा है? लेकिन सोशल मीडिया पर एक बड़े तबके, ख़ासतौर पर LGBTQ समुदाय के लोगों ने विजय राज़ के एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति के किरदार निभाने की ख़ूब आलोचना की है. एक यूजर ने लिखा,
"क्या बॉलीवुड ट्रांस सेक्शुअल किरदारों के लिए स्ट्रेट लोगों को कास्ट करना बंद करेगा? यह 2022 है और मैं विश्वास के साथ कह सकती हूं कि इस देश में इतना टैलेंट है कि एक ट्रांससेक्शुअल व्यक्ति एक ट्रांससेक्शुअल किरदार निभाए."
दूसरे यूज़र ने लिखा,
"बॉलीवुड को ट्रांस लोगों की जॉब छीनना बंद कर देना चाहिए. आशुतोष राणा, अक्षय कुमार, वाणी कपूर, विजय राज़.. लिस्ट बहुत लंबी है!"
यहां 'संघर्ष' में आशुतोष राणा के लज्जा शंकर पांडे के किरदार की, 'लक्ष्मी बॉम्ब' में अक्षय कुमार के किरदार लक्ष्मी की, 'चंडीगढ़ करे आशिक़ी' में वाणी कपूर के किरदार मानवी की बात हो रही है. तीनों ने ट्रांसजेंडर किरदार निभाए थे. विजय राज़ एक कमाल के एक्टर हैं और इसमें कोई दो मत नहीं. वह बेशक इस किरदार को जस्टिफ़ाई करेंगे,‌ इसमें भी कोई दो मत नहीं है, लेकिन यहां बात है हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में ट्रांसजेंडर प्रतिनिधित्व की. फ़िल्म एक पॉपुलर मीडिया है, तो अगर कोई फ़िल्म-मेकर ट्रांसजेंडर से जुड़ी कोई फ़िल्म बना रहा है, मतलब कि वह ट्रांसजेंडर्स को फ़िल्मी मुहावरों में नॉर्मलाइज़ कर रहा है. बढ़िया बात है. लेकिन अगर कहानी में ट्रांसजेंडर की जगह है, तो फ़िल्म में क्यों नहीं है?
मिसाल के तौर पर अमेज़ॉन प्राइम पर एक सीरीज़ आई थी, पाताल लोक. उसमें एक किरदार था, हेंथोई. हेंथोई का किरदार निभाया था मणिपुर की एक ट्रांसजेंडर ऐक्ट्रेस मैरेम्बम रोनाल्डो सिंह ने. सीरीज़ के क्रिएटर्स को इस बात के लिए बहुत सराहा गया था. ऐसे और क़दम उठाए जाएं, तो ट्रांसजेंडर मुद्दों पर बढ़िया कहानियां स्क्रीन पर आ सकेंगी.