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किसान महापंचायत पर वरुण गांधी का ये ट्वीट भाजपा को पसंद नहीं आएगा!

मुजफ्फरनगर में हुई किसान महापंचायत.

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वरुण गांधी ने किसान महापंचायत को लेकर ट्वीट किया और लिखा कि सरकार को किसानों की बात समझनी चाहिए.
उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में 5 सितंबर, रविवार को किसान महापंचायत हुई. कृषि कानून के विरोध में हजारों की संख्या में यहां किसान जुटे. इसमें 300 से ज़्यादा किसान संगठनों के जुटने का दावा किया गया. संयुक्त किसान मोर्चा का तो ये भी कहना है कि ये अब तक की सबसे बड़ी किसान महापंचायत है. इस बीच भाजपा सांसद वरुण गांधी ने किसानों के मुद्दे को लेकर अपनी ही सरकार पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने महापंचायत का एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा –
“मुजफ्फरनगर में विरोध में लाखों किसान जुटे हैं. ये हमारा ही हिस्सा हैं. हमें इनसे सम्मानपूर्वक तरीके से दोबारा बातचीत शुरू करनी चाहिए. उनके दर्द को, उनकी बात को समझना होगा और मिलकर एकराय होना होगा.”
वहीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट किया –
“किसान इस देश की आवाज हैं. किसान देश का गौरव हैं. किसानों की हुंकार के सामने किसी भी सत्ता का अहंकार नहीं चलता. खेती-किसानी को बचाने और अपनी मेहनत का हक मांगने की लड़ाई में पूरा देश किसानों के साथ है. #मुजफ्फरनगर_किसान_महापंचायत”
केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने कहा –
“हमारे जनपद ने ​पिछले कुछ वर्षों में काफी बुरे दिन देखे हैं. कुछ लोग बाहर से आकर माहौल खराब कर देते हैं. अब मुज़फ़्फ़रनगर विकास के पथ पर अग्रसर है, मुझे उम्मीद है कि पंचायत का शांतिपूर्वक निस्तारण होगा.”
वहीं उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने प्रबुद्ध सम्मेलन के मंच से कहा –
“किसान आंदोलन में किसान नहीं, बल्कि सपा, बसपा और कांग्रेस के लोग हैं. जैसे शाहीन बाग में आंदोलन टांय टांय फिस्स हुआ, वही हाल इस किसान आंदोलन का भी होगा. अभी चुनाव होने हैं. सभी को पता लग जाएगा कि जनता किसके साथ है.”
क्या बोले टिकैत? महापंचायत में भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत बोले -
"9 महीने से आंदोलन हो रहा है लेकिन सरकार ने तो अब बात तक बंद कर दी है. सैंकड़ों किसानों के लिए एक मिनट का मौन नहीं किया. अब हमें देश में बड़ी मीटिंग करनी होंगी. सिर्फ मिशन UP नहीं देश बचाना होगा."
सरकार की निजीकरण नीति पर निशाना साधते हुए टिकैत ने कहा कि ये सरकार 'भारत बिकाऊ है' की पॉलिसी पर चल रही है और इनके रहते अंबेडकर का संविधान भी खतरे में है.