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कभी मनमोहन सिंह की सिक्योरिटी में शामिल रहे, अब BJP से चुनाव लड़ेंगे कानपुर के पुलिस कमिश्नर!

IS से जुड़े आतंकवादी सैफुल्ला के एनकाउंटर के बाद चर्चा में आए थे असीम अरुण.

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कानपुर के पूर्व पुलिस कमिश्नर असीम अरुण हाल ही में बीजेपी में शामिल हुए. (फोटो: सोशल मीडिया)
कानपुर के पुलिस कमिश्नर असीम अरुण ने VRS (एच्छिक सेवा निवृत्ति) के लिए आवेदन किया है. उन्होंने एक बयान में कहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें भाजपा में शामिल होने का प्रस्ताव दिया है. उन्होंंने इसकी घोषणा उस दिन की जब यूपी सहित 5 राज्यों में चुनाव की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने किया. असीम अरुण के  कन्नौज सदर से चुनाव लड़ने की खबर है. फेसबुक पोस्ट से ऐलान फेसबुक पर उन्होंने एक पोस्ट में लिखा है,
मैंने VRS (एच्छिक सेवा निवृत्ति) के लिए आवेदन किया है, क्योंकि अब राष्ट्र और समाज की सेवा एक नए रूप में करना चाहता हूं. मैं बहुत गौरवांवित अनुभव कर रहा हूं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुझे भाजपा की सदस्यता के योग्य समझा. मैं प्रयास करूंगा कि पुलिस बलों के संगठन के अनुभव और सिस्टम विकसित करने के कौशल से पार्टी को अपनी सेवाएं दूं और पार्टी में विविध अनुभव के व्यक्तियों को शामिल करने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल को सार्थक बनाऊं.
उन्होंने आगे लिखा है,
मैं प्रयास करूंगा कि महात्मा गांधी द्वारा दिए गए तिलस्म कि सबसे कमजोर और गरीब व्यक्ति के हितार्थ हमेशा कार्य करूं, IPS की नौकरी और अब यह सम्मान, सब बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा अवसर की समानता के लिए रचित व्यवस्था के कारण ही संभव है. मैं उनके उच्च आदर्शों का अनुसरण करते हुए अनुसूचित जाति और जनजाति एवं सभी वर्गों के भाइयों और बहनों के सम्मान, सुरक्षा और उत्थान के लिए कार्य करूंगा. मैं समझता हूं कि यह सम्मान मुझे मेरे पिता स्वर्गीय श्रीराम अरुण एवं माता स्वर्गीय शशि अरुण के पुण्य कर्मों के प्रताप के कारण ही मिल रहा है.
उन्होंने लिखा,
मुझे केवल एक ही कष्ट है कि अपनी अलमारी के सबसे सुंदर वस्त्र, अपनी वर्दी को अब नहीं पहन सकूंगा. मैं अपने साथियों से विदा लेते हुए वचन देता हूं कि वर्दी के सम्मान के लिए हमेशा सबसे आगे मैं खड़ा रहूंगा. आपको मेरी ओर से एक जोरदार सैल्यूट... जय हिन्द.
कौन हैं असीम अरुण? यूपी के बदायूं जिले में पैदा हुए. उनके पिता भी IPS थे. वो उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक भी रहे. उनकी माता शशि‍ अरुण जानी-मानी लेखि‍का और समाजसेवि‍का रहीं. असीम अरुण की शुरुआती पढ़ाई लखनऊ के सेंट फ्रांसि‍स स्‍कूल से हुई. इसके बाद दिल्ली के सेंट स्‍टीफेंस कॉलेज से उन्होंने बीएससी की. असीम अरुण 1994 बैच के IPS अधिकारी हैं. भारतीय पुलि‍स सेवा में आने के बाद वह यूपी के कई जिलों में तैनात रहे. टिहरी गढ़वाल (अब उत्तराखंड) से लेकर बलरामपुर, हाथरस, सिद्धार्थ नगर, अलीगढ़, गोरखपुर और आगरा में बतौर पुलिस अधीक्षक एवं पुलिस उपमहानिरीक्षक अपनी सेवाएं दी. इसके बाद कुछ समय के लिए स्टडी लीव पर विदेश चले गए. वापस आने के बाद एटीएस लखनऊ में कार्यभार संभाला. वह वाराणसी जोन के आईजी रह चुके हैं. इसके बाद IG एटीएस बनाए गए. SPG में भी रहे असीम अरुण तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सिक्युरिटी में शामिल रहे हैं. एसपीजी में क्‍लोज़ प्रोटेक्‍शन टीम (CPT) का नेतृत्व कर चुके हैं. उनके शानदार प्रदर्शन को देखते हुए ही उन्हें एनएसजी मानेसर सहि‍त सीबीआई की साइबर अपराध वि‍वेचना अकादमी गाजि‍याबाद में भी सेवाएं देने का मौका मिला. पुलिस की डायल 100 सेवा शुरू किए जाने में भी उनका अहम योगदान रहा है. Asim साल 2009 में उन्होंने अलीगढ़ जनपद में तैनाती के वक्त भारत की पहली जनपद स्तरीय स्पेशल वेपन्स एंड टेक्टिक्स टीम यानी स्वॉट का गठन किया. स्वॉट टीम आतंकी और जोखि‍मपूर्ण मिशन को अंजाम देने वाली खास हथियारों से लैस विशेष कमांडो टीम है. आगरा में डीआईजी के पद पर रहते हुए असीम अरुण ने इस टीम को विस्तार भी दिया और वहां भी स्वॉट टीम का गठन किया. 2002 में असीम अरुण को संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ ने कोसोवो में एक साल के लिए तैनात किया. जहां उन्होंने सराहनीय सेवाएं दी. संयुक्त राष्ट्र और एसपीजी में तैनाती के वक्त और अवकाश के दौरान वे देश के सभी राज्यों और 20 से ज्यादा देशों की यात्रा कर चुके हैं. सैफुल्ला के एनकाउंटर के बाद चर्चा में आए असीम अरुण ने ISIS से जुड़े आतंकवादी सैफुल्ला के एनकाउंटर का ऑपरेशन लीड किया था. सैफुल्ला कानपुर का रहने वाला था. असीम अरुण को जानकारी मिली थी कि वो लखनऊ के ठाकुरगंज में छिपा हुआ है. यह पूरा घटनाक्रम पिछले यूपी विधानसभा चुनाव के बिल्कुल आखिर में 8 मार्च, 2017 हुआ था. 22 साल के सैफुल्ला के एनकाउंटर का ऑपरेशन लगभग 12 घंटे तक चला था. असीम अरुण के नेतृत्व में कमांडो ने सैफुल्ला से सरेंडर करने को कहा. लेकिन सैफुल्ला ने सरेंडर नहीं किया और सुरक्षा टीम पर गोलीबारी जारी रखी. जवाबी कार्रवाई में उसे मार दिया गया. एनकाउंटर के बाद सैफुल्ला के शव के पास से ISIS का झंडा मिला था. इसके साथ ही उसके पास से पासपोर्ट, वायर और पिस्टल भी मिली थीं. इस एनकाउंटर के बाद सैफुल्ला के पिता सरताज ने उसका शव लेने से इनकार कर दिया था. सैफुल्ला उनका सबसे छोटा बेटा था. न्यूज एजेंसी PTI की रिपोर्ट के मुताबिक, सरताज ने यह कहते हुए सैफुल्ला का शव लेने से मना कर दिया कि एक गद्दार से उनका कोई संबंध नहीं, बेटा होना तो दूर की बात है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा था कि सैफुल्ला के व्यवहार से कभी लगा नहीं कि वो आतंकवादी हो सकता है.