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यूपी: अस्पताल के बाहर तड़प रहे मरीजों को फ्री में ऑक्सीजन देने वाले पर FIR

केस दर्ज होने के बाद पुलिस ने क्या कहा है?

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जिला अस्पताल प्रांगण में लोगों को ऑक्सीजन देते विक्की (लाल शर्ट में). फोटो- आजतक/राजकुमार सिंह
जौनपुर. पूर्वी उत्तर प्रदेश का एक जिला. कोरोना वायरस की दूसरी लहर में एंबुलेंस और ऑक्सीजन की कमी हुई, अस्पतालों में बेड्स की कमी हुई, दवाइयों की कमी हुई. हाल ऐसे हुए कि जिला अस्पताल के बाहर लोग सांस के लिए तड़पने लगे. ऐसे में एक शख्स ने पीड़ितों को ऑक्सीजन दी. लेकिन प्रशासन ने इस शख्स पर FIR करा दी. इस FIR में दावा किया गया है कि ये शख्स अपना प्रचार कर रहा था और शासन-प्रशासन के खिलाफ दुष्प्रचार कर रहा था. क्या है पूरा मामला? इंडिया टुडे ग्रुप से जुड़े राजकुमार सिंह ने 'दी लल्लनटॉप' को बताया कि 29 अप्रैल को लोग जिला अस्पताल के बाहर परेशान स्थिति में थे और ऐसे में विक्की नाम के इस शख्स ने उन लोगों की मदद की. उन्होंने कहा,
"विक्की प्राइवेट एंबुलेंस चलाता है. उसके पास ऑक्सीजन के सिलेंडर थे. ऐसी जानकारी है कि जिला अस्पताल में बेड्स खाली नहीं थे और लोगों को लौटाया जा रहा था. काफी लोग अस्पताल के प्रांगण में ही लेट गए थे. उनकी हालत देख कर विक्की को लगा कि इनकी मदद करनी चाहिए. वो ऑक्सीजन लेकर पहुंचा और जिन लोगों को जरूरत थी, उन्हें देने लगा. इसके लिए उसने किसी से कोई पैसा नहीं लिया."
विक्की अग्रहरि कोई समाजसेवी नहीं है और ना ही किसी संस्था से जुड़ा है लेकिन 29 तारीख को उसने लोगों की मदद की. उसको मदद करते देख कर कुछ लोगों ने फोटो लिए, वीडियो बनाए. उसकी तारीफें हुईं. विक्की ने करीब 30 लोगों को ऑक्सीजन मुहैया कराई. उन्होंने कहा कि पैसा तो बाद में भी कमा लिया जाएगा लेकिन फिलहाल लोगों को मदद मिल जानी चाहिए.
ये बात जिला अस्पताल के भीतर तक भी पहुंची. जिला अस्पताल के अधिकारी नाराज हो गए. 30 अप्रैल को मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने पुलिस में विक्की के खिलाफ मामला दर्ज करा दिया. पुलिस ने महामारी अधिनियम की धारा 3 यानी स्वास्थ्यकर्मी के खिलाफ हिंसा करने या इसके लिए उकसाने, के तहत मामला दर्ज कर लिया. इसके अलावा IPC की धारा 188 (सरकारी आदेश को नहीं मानना) और 269 (संक्रमण फैलाना) भी लगा दी गईं.
Jaunpur Fir जौनपुर पुलिस द्वारा दर्ज की गई FIR.

इस मामले में विक्की ने आजतक से बात करते हुए कहा, "मैं नहीं जानता कि मैंने क्या गलत किया है. मैंने किसी से कोई पैसा नहीं लिया. मैंने कुछ गलत नहीं किया."
अमर उजाला अखबार में छपी खबर के मुताबिक सीएमएस डॉक्टर अनिल शर्मा ने कहा कि OPD पर्ची काउंटर के पास एक युवक मरीजों को लेटाकर ऑक्सीजन दे रहा था. इसके लिए ना तो वह अधिकृत है और ना ही उसके पास कोई डिग्री है. यह मरीजों की जान से खिलवाड़ करना है. अस्पताल प्रशासन की छवि खराब करने के लिए ऐसा किया गया था.
इस मामले में जौनपुर पुलिस ने ट्वीट पर कहा कि,
"इस बारे में बताना है कि मुख्य चिकित्सा अधीक्षक जौनपुर द्वारा थाने पर तहरीर दी गई जिसमें एक व्यक्ति विक्की द्वारा बिना कोविड जांच के, असुरक्षित तरीके से, बिना सैनेटाइज किए और अन्य मेडिकल सावधानियां बरते लोगों को ऑक्सीजन लगाया जा रहा था जिससे एक व्यक्ति से दूसरे में संक्रमण फैल सकता है. इस संबंध में उनके द्वारा महामारी अधिनियम के तहत मुकदमा पंजीकृत करने हेतु तहरीर दी गई जिस पर अग्रिम विधिक कार्यवाही की जा रही है."
https://twitter.com/jaunpurpolice/status/1388390388759629827
जिलाधिकारी मनीष कुमार वर्मा का वर्जन लेने के लिए 'दी लल्लनटॉप' ने उन्हें सरकारी CUG नंबर पर फोन किया. फोन कोविड कंट्रोल सेंटर पर फॉरवर्ड किया हुआ था. गन्ना अधिकारी ने फोन उठाया और बताया कि ये कंट्रोल सेंटर है. CMO को भी उनके सरकारी नंबर पर कॉल किया गया. लेकिन नंबर गलत होने के कारण लगा ही नहीं. जबकि यही नंबर सरकारी वेबसाइट पर भी लिखा हुआ है. खबर लिखे जाने तक विक्की को गिरफ्तार नहीं किया गया है. अगर इस मामले में किसी अधिकारी का वर्जन आएगा तो उसे वो भी आपको बताएंगे.