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सब्जी बेचने वाले युवक की पुलिस हिरासत में मौत, जमकर हंगामा, तीन पुलिस वालों पर केस दर्ज

भीड़ ने जाम लगाया, पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की.

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उन्नाव में फैसल की मौत पर हंगामा करती भीड़. फोटो- विशाल चौहान, उन्नाव
यूपी के उन्नाव की पुलिस पर एक सब्जीवाले की हत्या का आरोप लगा है. सब्जीवाले के परिजनों का आरोप है कि कोतवाली में पुलिस की पिटाई के कारण उसकी मौत हो गई. परिजनों और कुछ अन्य लोगों ने 21 मई को उन्नाव-हरदोई मार्ग पर जाम लगा दिया और जमकर हंगामा किया. पुलिस के साथ परिजनों की झड़प भी हुई. मामला बढ़ता देख पुलिस ने दो सिपाहियों और एक होमगार्ड के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. क्या है पूरा मामला 21 मई शुक्रवार. उन्नाव जिले के बांगरमऊ कस्बे में कोरोना कर्फ्यू लगा था. कुछ दुकानें खुली हुई थीं. सब्जी बेचने वाले फैसल ने भी अपना ठेला लगाया हुआ था. आरोप है कि इसी दौरान पुलिस के दो सिपाही बाइक पर पहुंचे और फैसल से ठेला हटाने को कहा. फैसल ने ऐसा करने से इंकार कर दिया. सिपाहियों से उसकी बहस हुई. पुलिसवालों ने उसे बाइक पर बैठा लिया और थाने ले गए. आरोप है कि पुलिस ने कोतवाली में फैसल के साथ मारपीट की जिसके कारण उसकी मौत हो गई. वहीं पुलिस का कहना है कि कोतवाली में फैसल की तबियत खराब हो गई थी, उसे सीएचसी ले जाया गया, लेकिन बचाया नहीं जा सका. ये खबर जब फैसल की परिजनों को मिली तो उन्होंने हंगामा शुरू कर दिया. परिजनों का कहना है कि फैसल की उम्र केवल 18 साल थी और गरीबी के कारण वह ठेला लगाने को मजबूर था. बाकी लोगों की दुकानें भी खुली हुई थीं. फैसल के परिवार के लोगों ने और उनके साथ आए अन्य लोगों ने उन्नाव-हरदोई मार्ग पर बाइकें खड़ी करके जाम लगा दिया गया. जब पुलिस जाम खुलवाने पहुंची तो उसे तीखे विरोध का सामना करना पड़ा. आरोप है कि पुलिस ने जाम खुलवाने के लिए लाठियां भी चलाईं. इंडिया टुडे ग्रुप से जुड़े विशाल चौहान के मुताबिक,
"ऐसे आरोप हैं कि पहले बाजार में फैसल की पिटाई की गई और फिर कोतवाली में भी मारपीट की गई. जाम लगा रहे परिजनों ने मुआवजे और घर के एक सदस्य के लिए सरकारी नौकरी की मांग की. पुलिस ने दो सिपाही और एक होमगार्ड के खिलाफ केस दर्ज किया है और अन्य मांगों के लिए असमर्थता जताई है. करीब 4-5 घंटों तक ये पूरा बवाल जारी रहा."
जो वीडियो मौके से सामने आए हैं उनमें साफ दिख रहा है कि सैकडों लोगों की भीड़ इस प्रदर्शन का हिस्सा थी. पुलिस अधिकारी उन्हें माइक के जरिए समझाने की कोशिश कर रहे थे. भीड़ पुलिस के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगा रही थी. एसपी आनंद कुलकर्णी ने आरोपी पुलिसवालों को सस्पेंड कर दिया और होमगार्ड को बर्खास्त कर दिया. उनके खिलाफ केस के आदेश दिए गए तब जाकर रात करीब 9 बजे हंगामा खत्म होना शुरू हुआ. एएसपी शशिशेखर सिंह ने कहा, https://twitter.com/unnaopolice/status/1395791402999717888
"थाना बांगरमऊ में लॉकडाउन का पालन कराने लिए एक व्यक्ति को पुलिस थाने लाया गया. यहां उसकी तबियत खराब हो गई. उसे तत्काल सीएचसी अस्पताल ले जाया गया जहां इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई. इस संबंध में वादी की तहरीर के आधार पर FIR पंजीकृत कर ली गई है. जिसमें दो आरक्षी और एक होमगार्ड को नामजद किया गया है. तीनों को निलंबित कर दिया गया है."
पुलिस ने इस मामले में IPC की धारा 302 के तहत तीनों आरोपियों पर हत्या का मामला दर्ज कर लिया है. मीडिया और फोन से वीडियो बना रहे अन्य लोगों को भी भीड़ के गुस्से का शिकार होना पड़ा. भीड़ ने वीडियो बना रहे कई लोगों के साथ धक्का मुक्की भी की. इस मामले को लेकर AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी ट्वीट कर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के कारण बड़ी संख्या में मुस्लिम, एससी और एसटी लोगों के सामने संकट पैदा हो गया है. 50 प्रतिशत शहरी मुस्लिम खुद का काम करते हैं. 73 प्रतिशत मुस्लिम सैलरी वाली जॉब नहीं करते. लॉकडाउन उन्हें 3 रास्ते देता है- कोरोना से मरना, भुखमरी से मरना और पुलिस द्वारा मार देना. यूपी के 56 प्रतिशत पुलिसवाले मानते हैं कि मुस्लिम अपराधी होते हैं. https://twitter.com/asadowaisi/status/1396000408133279748