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'हेट स्पीच' के लिए मुस्लिम नेता भी हों गिरफ्तार, हिंदू संगठनों की सुप्रीम कोर्ट से मांग

इन संगठनों ने 'धर्म संसद' में लगे भड़काऊ भाषणों को 'संतों' का मौलिक अधिकार बताया है.

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याचिकाओं में कहा गया है कि कई बार हिंदू समुदाय के खिलाफ भड़काऊ बयानबाजी हुई है. (फोटो: सोशल मीडिया)
अभी कुछ दिन पहले ही 'धर्म संसद' के दौरान दिए गए भड़काऊ भाषण देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सुनवाई की. इसके जवाब में दो हिंदू संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की है. इनमें से एक संगठन ने अपनी याचिका में कहा कि मुस्लिम नेताओं ने करीब दो दर्जन से ज्यादा बार हिंदुओं के खिलाफ भड़काऊ भाषण दिए हैं. इसलिए उनके खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए. याचिकाकर्ता के मुताबिक, भड़काऊ भाषण देने वालों में राजनेता से लेकर मुस्लिम धर्मगुरु शामिल हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, लखनऊ के हिंदू फ्रन्ट नाम के एक संगठन की अध्यक्ष रंजना अग्निहोत्री ने कहा,
"मुस्लिम समुदाय के नेता और धर्मगुरु हिंदूओं और उनके देवी-देवताओं के खिलाफ भाषण देते हैं, कुछ ने तो देश विरोधी बातें भी बोली हैं. मुसलमान नेताओं के इन भड़काऊ भाषणों के कारण हिंदू समुदाय में डर और बेचैनी का माहौल है. इनके ऐसे भाषणों से हमें मुस्लिम लीग की याद आती है, जिसने देश के टुकड़े करवा दिए थे."
अपनी याचिका में हिंदू फ्रन्ट ने कहा कि हिंदुओं के खिलाफ कई राजनीतिक पार्टियों के नेताओं ने भाषण दिए हैं. इनमें जाकिर नाईक, AIMIM के अकबरुद्दीन ओवैसी और वारिस पठान, आम आदमी पार्टी के अमानतुल्लाह खान, तौकीर रज़ा और कवि मुन्नवर राणा शामिल हैं. पूर्व मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई के द्वारा राज्यसभा की सदस्यता ग्रहण करने पर मुन्नवर ने उनके खिलाफ भी टिप्पणी की थी. 'धर्म संसद' के भाषण 'हेट स्पीच' नहीं वहीं इस मामले में दूसरी याचिका दिल्ली के मयूर विहार स्थित एक हिंदू संगठन ने दायर की है. इस संगठन का नाम हिंदू सेना है. अपनी याचिका में हिंदू सेना ने कहा कि हरिद्वार में आयोजित धर्म संसद में दिए गए भाषण हिंदुओं का आंतरिक मामला है. हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता का कहना है कि धर्म संसद में भाषण देना साधू-संतों का मौलिक अधिकार है, जो संविधान ने सबको दिया है. धर्म संसद में भड़काऊ भाषण देने के मामले में पत्रकार कुर्बान अली ने अदालत में याचिका दायर की थी. इस पर हिंदू सेना का कहना है कि उन्हें हिंदुओं के धार्मिक मामलों में दखल देने का अधिकार नहीं है.
देश का सुप्रीम कोर्ट.
देश का सुप्रीम कोर्ट.

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों याचिकाओं में इस बात पर जोर दिया गया कि भारत में इस्लामिक शासन के दौरान कथित तौर पर हिंदुओं पर अत्याचार किए गए. इस कथित अत्याचार और दमनकारी शासन के खिलाफ ही धर्म संसद में बोला गया इसलिए हिंदू धर्मगुरुओं द्वारा दिए गए भाषण को हेट स्पीच का मामला नहीं समझना चाहिए. साथ ही हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के कारण राज्य सरकारों को मुस्लिम नेताओं और धर्म गुरुओं के खिलाफ FIR दर्ज करनी चाहिए.
दोनों संगठनों ने याचिका में कहा कि जब शीर्ष अदालत मुसलमानों के खिलाफ नफरत भरे भाषणों की जांच पर सहमत है, तो उसे हिंदुओं के खिलाफ नफरत भरे बयानों की भी जांच करनी चाहिए.