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क्या भारत को पाकिस्तान के साथ बातचीत करनी चाहिए? जानिए लोगों की राय

लद्दाख में चीन के खिलाफ भारत की कार्रवाई से लोग कितने संतुष्ट?

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पीएम मोदी और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (फोटो- रॉयटर्स)

हाल में खबर आई कि केंद्र सरकार ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी को भारत आने का न्योता भेजा है. इस साल गोवा में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक होने वाली है. पाकिस्तान भी इस संगठन का सदस्य है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भी हाल में भारत के साथ शांति वार्ता शुरू करने की बात की थी. इन सबके बाद चर्चा शुरू हुई कि क्या भारत को पाकिस्तान के बीच बातचीत करनी चाहिए. क्या दोनों देशों के रिश्तों के बीच सालों से जमी बर्फ पिघलनी चाहिए?

इंडिया टुडे के मूड ऑफ द नेशन सर्वे (MOTN) में लोगों से पाकिस्तान के साथ रिश्ते को लेकर सवाल पूछे गए. सर्वे में शामिल 53 फीसदी लोगों ने पाकिस्तान के साथ बातचीत का विरोध किया. वहीं 35 फीसदी लोग चाहते हैं कि दोनों देशों के बीच बातचीत शुरू होनी चाहिए. अगस्त 2022 में इसी सर्वे में 56 फीसदी लोगों ने पाकिस्तान के साथ किसी भी तरह की बातचीत का विरोध किया था.

पिछले कई सालों से दोनों देशों के बीच रिश्ते खराब हैं. भारत ने बार-बार कहा है कि जब तक आतंकवाद पर रोक नहीं लगती तब तक बातचीत शुरू नहीं हो सकती है. शहबाज शरीफ ने दुबई के अल-अरबिया टेलीविजन को दिए इंटरव्यू में भारत के साथ शांति वार्ता की पेशकश की थी. उन्होंने कहा था कि भारत के साथ कई बार जंग लड़कर पाकिस्तान ‘सबक सीख चुका’ है. हालांकि, एक दिन बाद ही शहबाज शरीफ के ऑफिस ने कहा कि बातचीत के लिए भारत को पहले कश्मीर में अनुच्छेद-370 बहाल करना होगा.

मूड ऑफ द नेशन सर्वे C-Voter ने करवाया है. 15 दिसंबर से 15 जनवरी के बीच कराए गए इस सर्वे में करीब 36 हजार लोगों से उनकी राय ली गई. वहीं CVoter के रेगुलर ट्रैकर डेटा से भी एक लाख 5 हजार लोगों के सैंपल का विश्लेषण भी किया गया. इस तरह इस सर्वे में करीब एक लाख 40 हजार लोगों की राय शामिल है.

चीन के साथ विवाद पर क्या बोले लोग?

पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ ढाई साल से टकराव जारी है. हाल में अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भी झड़प हुई थी. सर्वे में शामिल लोगों से पूछा गया कि भारत सरकार ने चीन की तरफ से सीमा पर घुसपैठ के मसले को कैसे संभाला. इस पर 50 फीसदी से अधिक लोगों ने कहा कि केंद्र सरकार ने इसे 'बहुत अच्छी तरह' संभाला. वहीं 27 फीसदी ने इसे ‘संतोषजनक’ बताया. 11 फीसदी लोगों ने कहा कि चीन से निपटने का तरीका खराब रहा.

जून 2020 में गलवान झड़प के बाद कई लोगों ने चीनी सामानों के बहिष्कार करने का कैंपेन चलाया था. हालांकि इसके बावजूद चीन से आयात में बढ़ोतरी देखी गई है. चीनी सीमा शुल्क के आंकड़ों के मुताबिक, 2022 में भारत-चीन व्यापार 135.98 बिलियन डॉलर (11 लाख करोड़ रुपये) पर पहुंच गया. जो अब तक सबसे अधिक आयात है. वहीं, बीजिंग के साथ भारत का व्यापार घाटा पहली बार 100 बिलियन डॉलर के आंकड़े को पार कर गया. इसके बावजूद सर्वे में शामिल 80 फीसदी से अधिक लोगों का मानना है कि भारत को चीनी सामानों के आयात पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए. सिर्फ 11 फीसदी लोग चीन के साथ व्यापार का समर्थन करते हैं.

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