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शिवसेना ने सामना में लिखा, 'कोर्ट ने सत्य को खूंटी पर टांग दिया, जनता कृष्ण का अवतार लेगी'

पार्टी की तरफ से अपने मुखपत्र सामना में लिखा गया कि आज की बीजेपी अटल बिहारी वाजपेयी की बीजेपी से कोसों दूर है.

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महाराष्ट्र के नए उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे. (फाइल फोटो)

महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के बाद शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में बागी नेताओं पर निशाना साधा है. साथ ही राज्यपाल और न्यायालय पर संवैधानिक कर्तव्य नहीं निभाने का आरोप लगाया है. सामना के संपादकीय में लिखा गया, 

'राज्यपाल और न्यायालय ने सत्य को खूंटी पर टांग दिया और निर्णय सुनाया. इसलिए विधि मंडल की दीवारों पर सिर फोड़ने का कोई अर्थ नहीं है. दल बदलने वाले, पार्टी के आदेशों का उल्लंघन करने वाले विधायकों की अयोग्यता से संबंधित फैसला आने तक सरकार को बहुमत सिद्ध करने के लिए कहना संविधान से परे है. लेकिन संविधान के रक्षक ही ऐसे गैर कानूनी कृत्य करने लगते हैं और ‘रामशास्त्री’ कहलाने वाले न्याय के तराजू को झुकाने लगते हैं, तब किससे अपेक्षा की जा सकती है?'

बीजेपी को अटल की याद दिलाई

इसी संदर्भ में संपादकीय में बीजेपी को अटल बिहारी वाजपेयी की याद दिलाई गई है और सामना में लिखा गया कि आज की बीजेपी अटल से कोसों दूर है. मुखपत्र में लिखा, 

‘अटल बिहारी की सरकार सिर्फ एक मत से गिरने के दौरान ही अटल बिहारी विचलित नहीं हुए. ‘तोड़-फोड़ करके हासिल किए गए बहुमत को मैं चिमटे से भी स्पर्श नहीं करूंगा’, ऐसा उन्होंने कहा था. लेकिन उन्होंने आगे जो कहा उसे आज के भाजपाई नेताओं के लिए स्वीकार करना जरूरी है. उन्होंने लोकसभा के सभागृह में कहा था, ‘मंडी सजी हुई थी, माल भी बिकने को तैयार था, लेकिन हमने माल खरीदना पसंद नहीं किया!’ अटल जी की विरासत अब खत्म हो गई है.’

शिवसेना के मुखपत्र में लिखा गया कि अगर उद्धव ठाकरे चाहते, तो वो भी कुछ समय रुककर आंकड़ों का खेल कर सकते थे. विश्वासमत प्रस्ताव के समय भी हंगामा खड़ा करके कुछ विधायकों को निलंबित करवा वो सरकार बचा सकते थे, लेकिन उन्होंने वो रास्ता नहीं चुना और अपने शालीन स्वाभाव के अनुसार ही काम किया.

दर्द नहीं धोखा है!

सामना के संपादकीय में आगे लिखा गया, 

‘उद्धव ठाकरे ने जाते-जाते कहा, ‘मैं सभी का आभारी हूं, लेकिन मेरे करीबी लोगों ने मुझे धोखा दिया.’ यह सही ही है. जिन्होंने दगाबाजी की वो करीब २४ लोग कल तक उद्धव ठाकरे की ‘जय-जयकार’ किया करते थे. इसके आगे भी कुछ समय तक दूसरों के भजन में व्यस्त रहेंगे. पार्टी से बाहर निकलकर दगाबाजी करनेवाले विधायकों के खिलाफ दल-बदल कानून के तहत कार्रवाई शुरू करते ही सुप्रीम कोर्ट ने उसे रोक दिया और कहा कि दल-बदल कार्रवाई किए बगैर बहुमत परीक्षण करें.’

मुखपत्र में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर भी निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि जब उपमुख्यमंत्री ही बनना था, तो साल 2019 के वक्त उन्होंने इतनी जोड़-तोड़ क्यों की थी.

लिखा गया, 

‘हमें हैरानी होती है, तो देवेंद्र फडणवीस को लेकर. उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में वापस आना था, लेकिन बन गए उपमुख्यमंत्री. दूसरी बात ये है कि यही ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री बांटने का फॉर्मूला चुनाव से पहले दोनों ने तय किया था, तो फिर उस समय मुख्यमंत्री पद को लेकर गठबंधन क्यों तोड़ा? ठीक है, अनैतिक मार्ग से ही क्यों न हो, तुमने सत्ता हासिल की, लेकिन आगे क्या? यह सवाल बचता ही है. इसका जवाब जनता को देना ही होगा.’

जनता कृष्ण बनेगी

अखबार ने आगे लिखा, 

‘हमारी विवेक बुद्धि बेहद ठंडी पड़ गई है. यह दर्द नहीं धोखा है. प्रचंड बहुमत का दुरुपयोग हो रहा है. विरोधियों को हरसंभव मार्ग से परेशान नहीं, बल्कि प्रताड़ित करने का तंत्र तैयार हो गया है. आज विरोध में बोलने वाले व्यक्तियों को इसी क्रूर तंत्र का इस्तेमाल करके दबाया जा रहा है. दुनियाभर में लोकतंत्र का डंका पीटते घूमना और अपने ही लोकतंत्र और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के चिराग के नीचे अंधेरा, ऐसी वर्तमान स्थिति है. विरोधी दलों का अस्तित्व खत्म करके इस देश में लोकतंत्र केसे जीवित रहेगा?’

सामना में कहा गया  कि शिवसेना से नाराजगी वगैरह सब बहाना था, लोगों को सिर्फ सत्ता हासिल करना था. मुखपत्र में लिखा गया कि कौरवों ने द्रौपदी को भरी सभा में खड़ा करके बेइज्जत किया और धर्मराज सहित सभी निर्जीव बने ये तमाशा देखते रहे. ऐसा ही कुछ महाराष्ट्र में हुआ. परंतु आखिरकार भगवान श्रीकृष्ण अवतरित हुए. उन्होंने द्रौपदी की इज्जत और प्रतिष्ठा की रक्षा की. जनता जनार्दन भी श्रीकृष्ण की तरह अवतार लेगी और महाराष्ट्र की इज्जत लूटनेवालों पर सुदर्शन चलाएगी… निश्चित तौर पर!'