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शरद पवार ने गौमांस को लेकर सावरकर को एक विवेकवान व्यक्ति क्यों कहा?

शरद पवार ने दामोदर सावरकर की जमकर तारीफ की है

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Sharad Pawar ने कहा कि Savarkar ने मंदिर बनाकर उसमें एक दलित पुजारी को नियुक्त किया. (फोटो: पीटीआई/इंडिया टुडे)
हिंदू महासभा के नेता रहे विनायक दामोदर सावरकर (VD Savarkar) पर चल रही बहस के बीच NCP के अध्यक्ष शरद पवार का एक बयान सामने आया है. शरद पवार ने कहा है कि सावरकर वैज्ञानिक चेतना से लैस व्यक्ति थे और उन्होंने हिंदू धर्म को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा. पवार ने ये दावा भी किया कि सावरकर उन पहली हस्तियों में शामिल थे, जिन्होंने दलितों के संबंध में मंदिरों में सुधार की वकालत की. रविवार 05 दिसंबर को नासिक में अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन को संबोधित करते हुए NCP सुप्रीमो ने ये बातें कही हैं. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक शरद पवार ने कहा,
"सावरकर ने गाय के मांस और दूध की उपयोगिता का समर्थन किया था. वो विवेकवान व्यक्ति थे. इस विषय पर वो साइंटिफिक तरीके से जो बात किया करते थे, उसे खारिज नहीं किया जा सकता."
'सावरकर का सम्मान हर कोई करता है' इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए शरद पवार ने सावरकर को लेकर बीजेपी के ऊपर गैरजरूरी विवाद खड़ा करने का आरोप भी लगाया. उन्होंने कहा कि सावरकर ने रत्नागिरी में एक छोटा सा मंदिर बनाया था और पूजा पाठ के लिए दलित समुदाय से आने वाले एक पुजारी को नियुक्त किया था. पवार का कहना था,
"सावरकर ने ऐसा इसलिए किया ताकि सामाजिक समरसता का संदेश दिया जा सके. उन दिनों दलितों को ये तक मंजूरी नहीं थी कि वे मंदिरों में प्रवेश कर सकें. किसी मंदिर में उन्हें पुजारी बनाने की बात तो कोई सोच भी नहीं सकता था."
इस दौरान एनसीपी के मुखिया ने यह भी कहा कि वीर सावरकर का आज़ादी की लड़ाई में जो योगदान था, उस पर कोई बहस हो ही नहीं सकती. उनके त्याग पर कोई डिबेट है ही नहीं. पवार के मुताबिक
"सावरकर ने आजादी की चेतना देश के आखिरी आदमी तक पहुंचाने के लिए जो लेखन किया, वो अमर है. मराठी भाषा इसे कभी नहीं भूल पाएगी. महाराष्ट्र और मराठी मानुष में हर कोई उनका सम्मान करता है."
BJP सम्मेलन में शामिल नहीं हुई शरद पवार का यह बयान महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के उस बयान के एक दिन बाद आया है जिसमें फडणवीस ने कहा था कि बीजेपी का अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन से कोई लेना देना नहीं है, क्योंकि इस प्रोग्राम में कहीं भी दामोदर सावरकर का जिक्र नहीं है. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, फडणवीस ने कहा था,
"साहित्य सम्मेलन के आयोजनकर्ताओं ने जानबूझकर सावरकर का जिक्र नहीं किया है. जहां सावरकर का अपमान हो रहा है, वहां हम क्यों जाएं?"
फडणवीस के इस बयान के बाद इस सम्मेलन में बीजेपी की तरफ से कोई भी नेता शामिल नहीं हुआ. हालांकि, इसके आयोजनकर्ताओं ने देवेंद्र फडणवीस को न्योता भी नहीं दिया था. साल 1938 में विनायक दामोदर सावरकर ने अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन की अध्यक्षता की थी.