सरिस्का में टाइगर साइटिंग करती अंजलि तेंदुलकर (फोटो: आजतक)
सरिस्का से पहले 24 मार्च को अंजलि ने रणथंभौर में भी टाइगर सफारी की थी, जहां उन्हें पांच बाघ- बाघिनों की साइटिंग हुई थी. इसके बाद रविवार की सुबह वे जयपुर में झालाना लेपर्ड रिजर्व में सफारी करने पहुंची. इसके बाद उन्होंने सरिस्का का रुख किया. जी न्यूज के मुताबिक, रविवार की शाम कोरेंजर जितेंद्र ने वायरलेस पर जंगल में आग लगने की सूचना दी. लेकिन अंजलि तेंदुलकर को घुमाने में व्यस्त वन विभाग के अधिकारियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया. आग बुझाने में हो रही दिक्कत सरिस्का के अकबरपुर रेंज के पृथ्वीपुरा बालेटा के जंगल में लगी भीषण आग बड़े इलाके में फैल चुकी है. आग को काबू पाने के लिए अब वायुसेना के 2 हेलिकॉप्टर ने मोर्चा संभाला है. एडीएम सिटी सुनीता पंकज सिंह ने बताया कि
'सरिस्का प्रशासन के द्वारा सरिस्का में आग भड़कने के बाद हेलिकॉप्टर और सेना की मदद मांगी थी. इसके बाद सेना के दो हेलीकॉप्टर मंगवाया गए हैं, जो ऑपरेशन में लग गए हैं. ये हेलिकॉप्टर सिलिसेड झील से पानी एअरलिफ्ट कर आग प्रभावित इलाकों में आग बुझाने में जुटे हुए हैं.'
जंगल में लगी आग से उठता धुआं (फोटो: आजतक)
इसके साथ ही वन विभाग के फारेस्ट होमगार्ड से लेकर नेचर गाइड और दौसा, जयपुर और अलवर वनमण्डल के वनकर्मी लगातार आग बुझाने में लगे हुए हैं लेकिन आग पहाड़ी में ऊपर की तरफ लगी होने की वजह से वहां तक संसाधन आसानी से नहीं पहुंच पा रहे हैं. वहीं आग के कारण जंगल में मधुमक्खियों के छत्ते टूट गए हैं. ऐसे में लगातार पूरे क्षेत्र में मधुमक्खियां घूम रही हैं. जिसके चलते जंगल क्षेत्र में आग बुझाने के कार्य में लगे वनकर्मी और ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
सरिस्का में आग कैसे लगी, अभी इसका पता नहीं चल सका है. लेकिन स्थानीय खबरों के मुताबिक, आग लगातार आबादी क्षेत्र की तरफ बढ़ रही है. जंगल के नजदीक स्थित कई गांवों पर भी अब खतरा मंडरा रहा है. आग की वजह से जंगली जानवर आबादी वाले इलाकों की तरफ बढ़ रहे हैं. वहीं जिस क्षेत्र में आग लगी है वहां बाघिन एसटी 17 को उसे शावकों के साथ 26 मार्च को देखा गया था. साथ ही एसटी 20 और 23 का भी आवास इसी इलाके में रहा है. इसके साथ सरिस्का में कुल 27 बाघ, बाघिन और शावक मौजूद हैं. वहीं, 300 से ज्यादा जरख, 200 से ज्यादा पैंथर और दस हजार से ज्यादा सांभर, चीतल, सुअर और नीलगाय सहित कई वन्य जीव हैं. वहीं वन अधिकारियों का कहना है कि वे बाघों और बाकी जंगली जानवरों को आग से बचाने में लगे हुए हैं.