दरअसल शीत युद्ध के दौरान रूस और अमेरिका एक-दूसरे को निशाना बनाने और खुद को मजबूत बनाए रखने के लिए अन्य देशों के कंधे पर बंदूक रखकर चलाते थे. उनके यहां तरह-तरह के निर्माण कार्य करते थे. उस समय यूक्रेन सोवियत संघ का हिस्सा था. इसलिए सोवियत संघ ने अमेरिका के परमाणु हमले से बचने के लिए यूक्रेन में कई सारे बंकर बनाए थे. लेकिन साल 1991 में सोवियत संघ का विखंडन हो गया और यूक्रेन आजाद हो गया. इसके बाद से ये बंकर यूक्रेन के नाम हो गए.
लेकिन रूस के हालिया हमले के बाद से अब ये बंकर एक बार फिर से चर्चा में हैं. यूक्रेन सरकार इन्हें अपनी ढाल के रूप में इस्तेमाल कर रही है. दूसरी तरफ बंकर बनाने की मांगों में बढ़ोतरी हुई है.
बिजनेस इनसाइडर
की खबर के मुताबिक रूस के हमले के चलते बंकर बनाने वाली अमेरिकी कंपनियों के पास इन्हें बनाने की मांग बढ़ गई है. यूक्रेन के लोगों ने उनसे उनके यहां बंकर का निर्माण करने को कहा है. रिपोर्ट के मुताबिक परमाणु हमले या जलवायु परिवर्तन इत्यादि के चलते उत्पन्न हुए डर के कारण अमीर लोग अपनी सुरक्षा का महंगा इंतजाम कर रहे हैं. इनमें से एक बंकर बनाना भी शामिल है, जिसमें खाने-पीने और रहने की उचित व्यवस्था की जाती है.
ऐसे बंकर बनाने वाली टेक्सास स्थित कंपनी Rising S Company के जनरल मैनेजर गैरी लिंच ने बिजनेस इनसाइडर को बताया कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू होने के बाद उनके फोन पर कॉल्स की संख्या बढ़ गई है. गैरी के मुताबिक उनकी कंपनी ने 24 फरवरी को पांच बंकर बेचे हैं, जिनकी कीमत 52 लाख रुपये से एक करोड़ 82 लाख रुपये तक रही.
Rising S Company द्वारा लगाया जा रहा एक बंकर.
बंकर बनाने वाली एक अन्य कंपनी यूएस बिल्डिंग्स ग्रुप के मार्केटिंग डायरेक्टर डेविड डेविस का भी ही कहना है. उन्होंने बिजनेस इनसाइडर को बताया कि बंकर बनाने और लगाने से जुड़ी पूछताछ करने वालों की संख्या में पिछले साल के मुकाबले काफी तेज बढ़ोतरी हुई है. जाहिर है मौजूदा संकट ही इसकी बड़ी वजह है. डेविड के मुताबिक पिछले साल के मुकाबले इस साल फरवरी महीने में बंकर कन्स्ट्रक्शन की डिमांड में 130 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
इसी तरह एक अन्य कंपनी Atlas Survival Shelters के सीईओ रॉन हुब्बार्ड ने बताया कि उनके यहां भी फोन कॉल्स की संख्या काफी बढ़ गई है और जिनमें लोग बंकर लगाने के बारे में पूछ रहे हैं.
शीत युद्ध के समय सोवियत रूस ने यूक्रेन में जिन बंकरों को युद्ध के तैयार किया था, उनमें से कई में बुकस्टोर, कैफे, बार, प्राइवेट अपार्टमेंट, प्रिंट शॉप और यहां तक की स्ट्रिप क्लब तक खुल गए हैं. ऐसे कई सारे बंकर बंद भी पड़े हुए हैं. किसी जमाने में साम्यवाद के प्रतीकों से लदे इन बंकरों में अब पूंजीवाद की चकाचौंध है.
एनपीआर
की रिपोर्ट के मुताबिक कीव में जगह-जगह पर यूक्रेनी भाषा में 'शेल्टर' शब्द लिखा हुआ मिल जाता है. ये वही बंकर हैं. शहर प्रशासन ने इनके पतों को संकलित करके एक गूगल मैप बनाया है, जिसके मुताबिक कीव में कम से कम 4000 से अधिक बॉम्ब शेल्टर या बंकर हैं. वहीं द न्यूयॉर्क पोस्ट
के मुताबिक कीव में ऐसे 4,500 बॉम्ब शेल्टर हैं.
सोवियत संघ के शासन के समय इन बंकरों में अंदर जाने के लिए सीमित दरवाजे थे. साम्यवादी व्यवस्था में निजी बिजनेस भी अवैध था. लेकिन यूक्रेन की आजादी के बाद कीव स्थित इन स्थानों पर कमर्शियल सेक्टर का विकास हुआ और कई सारे स्टोर खुल गए. यूक्रेन के कानून के मुताबिक इन ढांचों को सुरक्षित रखना होता है और आपात स्थिति में किसी को भी इनमें घुसने की इजाजत है.
एनपीआर ने लिखा है कि चूंकि पिछले कई सालों से कीव पर कोई बमबारी या हमला नहीं हुआ है, इसलिए बहुत कम संभावना है कि शहर के ये बंकर आखिरी समय पर लड़ाई झेलने के लिए पूरी तरह से तैयार हो पाएं. ऐसे में कीव के मेयर ने जनता को सलाह दी है कि वे खुद को बचाने के लिए अंडरग्राउंड मेट्रो स्टेशनों में शरण लें. हालांकि ये पूरी जनता के पर्याप्त नहीं होगा.
एनपीआर ने ये भी लिखा है कि शहर के कई सारे बंकर या शेल्टर्स ऐसे हैं जो खाली पड़े हुए हैं, उनका रखरखाव नहीं हुआ है, जिसके कारण उनकी स्थिति खराब हो गई है और प्रशासन के सिटी मैप पर इनकी जानकारी भी नहीं है.