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अमरिंदर सिंह ने नई पार्टी बनाने का ऐलान किया, लेकिन बीजेपी से हाथ मिलाने की ये बड़ी शर्त रख दी

कैप्टन के ऐलान पर कांग्रेस ने उन्हें वोट कटवा बता दिया.

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पंजाब के सीएम पद से इस्तीफा देने के तकरीबन एक महीने बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर सस्पेंस खत्म किया है. (फाइल फोटो)
पंजाब के पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh) के राजनीतिक करियर पर बना सस्पेंस खत्म हो गया है. वो जल्द ही अपनी नई पार्टी बना रहे हैं. करीब एक महीने पहले ही सीएम पद से इस्तीफा देने वाले कैप्टन ने अब कांग्रेस से अलग होने का औपचारिक ऐलान कर दिया है. इसके अलावा उन्होंने बीजेपी और अकाली दल से अलग हुए गुटों से हाथ मिलाने के भी संकेत दिए हैं. कैप्टन के मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल ने इस बारे में  मंगलवार 19 अक्टूबर को उनके हवाले से तीन ट्वीट किए. कांग्रेस की तरफ से पंजाब में स्थिति संभालने के लिए भेजे गए नेता हरीश रावत ने कहा है कि कैप्टन के इस कदम से बीजेपी को ही फायदा मिलेगा. नई पार्टी का ऐलान, बीजेपी को ऑफर पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के साथ अपने तल्ख रिश्तों के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह को सीएम की कुर्सी छोड़नी पड़ी थी. उसके बाद से ही अमरिंदर के राजनीतिक भविष्य को लेकर कयास लगाए जा रहे थे. ये भी चर्चाएं चलीं कि वो बीजेपी का दामन थाम सकते हैं. अमित शाह से उनकी मुलाकातों का हवाला दिया गया. मंगलवार को कैप्टन ने अपने मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल के जरिए अपने अगले कदम की जानकारी दी. रवीन ने इस मामले पर तीन ट्वीट किए, पहले ट्वीट में कैप्टन अमरिंदर सिंह के हवाले से लिखा कि,
"पंजाब के भविष्य की लड़ाई जारी है. मैं जल्द ही अपनी राजनीतिक पार्टी का ऐलान करूंगा जो पंजाब, उसके लोगों और किसानों के हितों के लिए काम करेगी, वो लोग एक साल से भी ज्यादा समय से अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं."
दूसरे ट्वीट में बीजेपी के साथ गठबंधन और उसके लिए शर्त की ओर इशारा करते हुए कहा गया कि,
"अगर किसानों के हित में किसान आंदोलन का हल निकाला जाता है तो 2022 में बीजेपी के साथ पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए सीटों के अरेंजमेंट को लेकर उम्मीद की जा सकती है. इसके साथ ही अकाली दल से अलग हुईं समान विचारधारा वाली पार्टियों जैसी ढींढसा और ब्रह्मपुरा गुटों के साथ भी गठबंधन की राह तलाशी जा सकती है."
  रवीन ठुकराल की तरफ से किए तीसरे ट्वीट में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने नवजोत सिंह सिद्धू पर हमला बोला. ट्वीट में लिखा कि,
"जब तक मैं अपने लोगों और अपने राज्य का भविष्य सुरक्षित नहीं कर लेता, तब तक मैं चैन से नहीं बैठूंगा. पंजाब को राजनीतिक स्थिरता के साथ-साथ आंतरिक और बाहरी खतरों से सुरक्षा की जरूरत है. मैं अपने लोगों से वादा करता हूं कि दांव पर लगी इसकी शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जो कुछ भी करना होगा, वो करूंगा."
बता दें कि कैप्टन अमरिंदर सिंह सिद्धू को अक्सर राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताते रहे हैं. कैप्टन ने जब मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था, तब भी उन्होंने कहा था कि सिद्धू देश के लिए खतरा हैं. उनकी दोस्ती पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और सेना प्रमुख बाजवा के साथ है. ऐसे में कैप्टन के इस ट्वीट को सिद्धू पर हमला माना जा रहा है. हरीश रावत बोले- कौआ खाना है, तीतर बताकर कैप्टन के इस ऐलान के बाद पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत ने आजतक से खास बातचीत की. उन्होंने कैप्टन अमरिंदर सिंह को 'भटका हुआ व्यक्ति' बता दिया. उन्होंने ये भी कहा कि,
"कैप्टन के नई पार्टी बनाने का मतलब ये है कि उन्हें 'कौआ खाना है, तीतर बताकर.' जिसको भी बीजेपी और अकाली की मदद करनी है, वही ये कदम उठाएगा. अब उनकी भूमिका 'वोट कटवा' की रहेगी, जिससे बीजेपी को मदद मिलेगी. कुछ तो मजबूरियां रही होंगी, नहीं तो कोई क्यों ऐसा करेगा. क्या मजबूरियां थीं, ये तो कैप्टन साहब ही बेहतर जानते हैं या बीजेपी के बॉसेस बेहतर जानते हैं."
हरीश रावत ने अमरिंदर सिंह के इस्तीफे को लेकर भी नई बात बताई. उनके अनुसार अमरिंदर सिंह ने अपनी मर्जी से सीएम पद से इस्तीफा दिया था. रावत ने आजतक से कहा कि
"विधायकों ने कह दिया था कि वो इस आदमी के साथ नहीं चल सकते. विधायक सीएम बदलना चाहते थे. कुछ विधायकों ने तो ये भी कहा था कि अगर वो सीएम रहते हैं तो हमें सोचना होगा कि हम पार्टी में रहें या नहीं रहें. हम लोकतांत्रिक पार्टी हैं. हमने विधायक दल की मीटिंग बुलाई. लेकिन कैप्टन विधायकों का सामना करने की बजाय सीधे गवर्नर हाउस चले गए और इस्तीफा सौंप आए. अगर उन्हें नवजोत सिंह सिद्धू से दिक्कत थी, तो उन्हें कैबिनेट में शामिल क्यों किया?"
हरीश रावत ने इस बात से इनकार किया कि अमरिंदर सिंह के जाने से कांग्रेस को नुकसान होगा. उन्होंने दावा किया कि बीजेपी के साथ जाने में कैप्टन अमरिंदर सिंह को ही उल्टा नुकसान होगा क्योंकि ऐसा करने से किसान आंदोलन की मार उन पर भी पड़ेगी.