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पंजाब: विधायकों को मिलती थी लाखों की पेंशन, भगवंत मान ने एक झटके में सब बदल दिया!

AAP लंबे समय से 'वन एमएलए, वन पेंशन' की मांग कर रही थी.

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पंजाब के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री भगवंत मान. (फोटो: पीटीआई)
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एक बड़ा फैसला लिया है. उन्होंने कहा है कि राज्य के पूर्व विधायकों को अब सिर्फ एक कार्यकाल की ही पेंशन मिलेगी. विधायकों के परिवार को मिलने वाली पेंशन में भी कटौती की गई है. उन्होंने कहा कि राज्य में 'वन एमएलए, वन पेंशन' फार्मूला लागू किया जाएगा. द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक कई विधायकों को उनके अलग-अलग कार्यकाल के लिए अलग-अलग पेंशन मिल रही थी, जिसके कारण सरकारी खजाने पर काफी बोझ पड़ रहा था. इसी के मद्देनजर भगवंत मान ने ये फैसला लिया है. लाखों की पेंशन मिल रही थी अखबार के मुताबिक, पूर्व विधायकों लाल सिंह, सरवन सिंह फिल्लौर और रजिंदर कौर भट्टल को हर महीने 3.25 लाख रुपये पेंशन मिल रही थी. वहीं रवि इंदर सिंह और बलविंदर सिंह को 2.75 लाख रुपये प्रति महीने पेंशन मिल रही थी. अगर अकाली दल प्रमुख प्रकाश सिंह बादल ने अपनी पेंशन छोड़ने की घोषणा नहीं की होती, तो उन्हें हर महीने पांच लाख रुपये से अधिक की पेंशन मिलती. विपक्ष में रहने के दौरान आम आदमी पार्टी ने कई बार ये मुद्दा उठाया था और राज्य में 'वन एमएलए, वन पेंशन' लागू करने की मांग की थी. शुक्रवार, 25 मार्च को इस फैसले की घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि अलग-अलग पार्टियों के नेता जनता के सामने जाने पर हाथ जोड़ लेते हैं और सेवा के नाम पर उनसे वोट मांगते हैं. लेकिन लोगों को ये जानकर हैरानी होगी कि इन नेताओं को लाखों की पेंशन मिलती है.
उन्होंने कहा,
"आप ये जानकार हैरान रह जाएंगे कि जो लोग तीन, पांच या छह बार के विधायक हैं, वे पहले ही लाखों रुपये की पेंशन उठा रहे हैं. वे विधानसभा भी नहीं आते हैं और उन्हें 3.50 लाख से 5.25 लाख रुपये तक की पेंशन मिलती है. ये राज्य के करदाताओं पर बोझ है. इन विधायकों में से कुछ लोग तो संसद सदस्य भी रह चुके हैं, उन्हें वहां की भी पेंशन मिलता है."
उन्होंने कहा कि 'वन एमएलए वन पेंशन' से जो पैसे बचेंगे, उसे लोगों की भलाई में इस्तेमाल किया जाएगा. भगवंत मान ने आगे कहा,
"मैंने पहले ही अधिकारियों से कह दिया है कि सभी विधायकों के परिजनों को मिलने वाले पेंशन में कटौती की जाए."
आपको बता दें कि पंजाब में अगर कोई एक बार विधायक बन जाता है, तो पांच साल का कार्यकाल खत्म होते ही उसे 75,150 रुपये पेंशन के तौर पर मिलने लगते हैं. इसके बाद अगर वो एक से अधिक कार्यकाल के लिए चुना जाता है, तो उसे पेंशन राशि का अतिरिक्त 66 फीसदी (50,100 रुपये) हिस्सा और दिया जाता है. ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब के 325 पूर्व विधायक पेंशन के लिए पात्र हैं. इससे पहले साल 2018 में हरियाणा विधानसभा में विधायकों की पेंशन व्यवस्था में बदलाव कर 'वन एमएलए, वन पेंशन' फार्मूला लागू किया गया था. साल 2020 तक हरियाणा के 286 पूर्व विधायकों के चलते करदाताओं पर हर महीने 2.54 करोड़ रुपये का भार पड़ता था.