फोटो क्रेडिट: इंडिया टुडे
हालात इतने कैसे बिगड़ गए? जम्मू-कश्मीर में बिजली विभाग के हजारों कर्मचारी शनिवार से हड़ताल पर चले गए. ये हड़ताल अनिश्चितकालीन है. बिजली विभाग के कर्मचारी पॉवर सेक्टर का निजीकरण करने के सरकार के फैसले से नाराज़ हैं. और इसी फैसले के विरोध में हजारों कर्मचारियों ने हड़ताल कर दी. इसके अलावा बिजली विभाग के कर्मचारियों की मांग है कि डेली वेज यानी दिहाड़ी पर काम करने वाले कर्मचारियों और कॉन्ट्रैक्ट यानी संविदा पर काम करने वाले इंजीनियरों को स्थाई नौकरी दी जाए. क्यों बुलानी पड़ी सेना? इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने के बाद प्रशासन ने कल 19 दिसंबर को हड़ताली कर्मचारियों के नुमाइंदों के साथ बैठक की. लेकिन ये बैठक बेनतीजा रही और हड़ताल खत्म होने का कोई रास्ता नहीं निकला. इसके बाद लोगों की परेशानियों को देखते हुए प्रशासन सेना से मोर्चा संभालने की अपील की.
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फिलहाल क्या स्थिति है? इंडिया टुडे से बात करते हुए जम्मू-कश्मीर पुलिस में SHO मिर्जा सुल्तान ने बताया कि रविवार, 19 दिसंबर को जम्मू-कश्मीर पुलिस पॉवर ग्रिड्स पर पहुंच चुकी थी. शाम होते-होते सेना के इंजीनियर्स पहुंचे तो पुलिस ने बिजली विभाग का जिम्मा सेना को हैंडओवर किया. जिसके बाद देर रात तक कुछ इलाकों में बिजली सप्लाई बहाल की गई. हालांकि खबर लिखे जाने तक जम्मू के कई इलाकों में पॉवर सप्लाई नहीं पहुंच पाई थी. कुछ इलाकों में ग्राउंड पर टेक्निकल गड़बड़ी होने की वजह से पॉवर सप्लाई बाधित है. इन इलाकों में सेना आज गड़बड़ियों को ठीक कर बिजली सप्लाई सुचारू रूप से दोबारा शुरू करने की कोशिश करेगी. राज्य सरकार पर उठे सवाल जम्मू-कश्मीर में बिजली संकट से जो हालात पैदा हुए हैं, उससे वहां की सरकार पर सवाल उठना लाज़मी है. पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर जम्मू कश्मीर सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा,
'जम्मू-कश्मीर के जम्मू डिवीजन में बिजली के बुनियादी ढांचे को संचालित करने के लिए सेना को बुलाया गया है. प्रशासन के लिए अपनी विफलता का इससे बड़ा कबूलनामा नहीं हो सकता कि उसे सेना को बुलाना पड़ा, इसका मतलब जम्मू-कश्मीर सरकार ने स्वीकार कर लिया है कि प्रशासन पूरी तरह पटरी से उतर चुका है.'