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PM मोदी पर आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतें हैं, चुनाव आयोग के अंदरख़ाने क्या चल रहा?

Supreme Court के वकील आनंद एस जोंडेले ने शिकायत दर्ज की थी, कि PM Narendra Modi राम मंदिर के नाम पर वोट मांग रहे हैं.

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यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और अन्य नेताओं के साथ PM नरेंद्र मोदी | 9 अप्रैल, 2024 | (फोटो - PTI)

लोकसभा चुनावों (Lok Sabha Election 2024) के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) का चुनावी रैलियों में राम मंदिर निर्माण का ज़िक्र करना हो, सिख तीर्थयात्रा के लिए करतारपुर साहिब कॉरिडोर बनवाने की बात हो, या अफ़ग़ानिस्तान से गुरु ग्रंथ साहिब की प्रतियां वापस लाने की सरकार की कार्रवाई के बारे में जनता को बताना हो. कथित तौर पर चुनाव आयोग के मुताबिक़, ये आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है.

द इंडियन एक्सप्रेस की रितिका चोपड़ा के मुताबिक़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ आचार संहिता के उल्लंघन की जो शिकायतें चुनाव आयोग (EC) को दी गई हैं, आयोग प्रधानमंत्री मोदी (PM Modi) को ‘क्लीन चिट’ देने वाला है.

सुप्रीम कोर्ट के वकील आनंद एस जोंडेले ने शिकायत दर्ज की थी. इसके मुताबिक़, प्रधानमंत्री मोदी ने बीते 9 अप्रैल को उत्तर प्रदेश के पीलीभीत की चुनावी रैली में हिंदू देवी-देवताओं, हिंदू पूजा स्थलों और सिख पूजा स्थलों के नाम पर वोट मांगा, जो आचार संहिता का उल्लंघन है.

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पहले वकील जोंडेले ने - मोदी की पीलीभीत रैली के ठीक एक दिन बाद - 10 अप्रैल को आयोग को पत्र लिखा था. आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की थी. आयोग से PM मोदी के ख़िलाफ़ धारा 153-ए के तहत FIR दर्ज करने के लिए भी कहा था. IPC की धारा 153-ए धर्म, नस्ल, जन्म स्थान, निवास और भाषा के आधार पर अलग-अलग समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने से संबंधित है.

चुनाव आयोग से कोई जवाब न मिलने पर आनंद ने 15 अप्रैल को दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया. अदालत से अनुरोध किया कि वो चुनाव आयोग को प्रधानमंत्री के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने के निर्देश दें.

क्या कहा था प्रधानमंत्री ने?

पीलीभीत की चुनावी रैली में PM मोदी ने कांग्रेस और इंडिया ब्लॉक के अन्य पार्टनर्स पर सीधा हमला बोला था. अयोध्या मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में हिस्सा ने लेने के लिए उनकी आलोचना की थी और इसे ‘राम का अपमान’ बताया था. 

इंडिया गठबंधन के सहयोगी दल सपा और कांग्रेस को देश की विरासत की कोई परवाह नहीं है. 500 साल के इंतज़ार के बाद अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हुआ. कल्याण सिंह जी (उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री) ने न केवल अपना जीवन दिया, बल्कि इस उद्देश्य के लिए अपनी सरकार का भी बलिदान दे दिया. देश भर से हर परिवार ने इस उद्देश्य के लिए योगदान दिया है और इसी तरह पीलीभीत ने भी. लेकिन INDI गठबंधन के इन लोगों ने लंबे समय से राम मंदिर के प्रति नफ़रत पाल रखी है.

इंडियन एक्सप्रेस को आयोग के सूत्रों ने ही बताया कि आयोग के निष्कर्ष के मुताबिक़, प्रधानमंत्री पीलीभीत रैली में केवल अपनी सरकार की उपलब्धियां गिना रहे थे. आयोग जल्द ही हाई कोर्ट में अपने निष्कर्ष शेयर करेगा.

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