AIMIM के अध्यक्ष और लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने कानपुर में दिए गए अपने एक भाषण को लेकर सफाई पेश की है. उन्होंने उस भाषण का वीडियो डालते हुए एक के बाद एक ट्वीट किए हैं. असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि कानपुर में दिए गए उनके भाषण को जानबूझकर तोड़ मरोड़कर सोशल मीडिया पर डाला गया है और ऐसे पेश किया गया है जैसे वो हिंदू समाज से आने वाले लोगों को धमकी दे रहे हों. ओवैसी ने कहा कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि कुछ लोग हरिद्वार में हुए धर्म संसद नाम के कार्यक्रम में लगे मुस्लिम समुदाय के नरसंहार के नारों से ध्यान हटवाना चाहते हैं.
क्या सफाई दी?
अपना वीडियो डालते हुए ओवैसी ने कहा कि भाषण में उन्होंने हिंदू समाज के लोगों को धमकी नहीं दी थी, बल्कि ये कहा था,
"कानपुर देहात के रसूलाबाद पुलिस स्टेशन में एक 80 साल के बुजुर्ग मोहम्मद रफीक की पुलिस स्टेशन में दाढ़ी नोची गई और उनके ऊपर पेशाब किया गया. ये हरकत SI गजेंद्र पाल सिंह ने की. अगर ये बात सच है तो शर्मिंदगी नहीं तकलीफ होती है. हमारी दाढ़ी से तुमको नफरत क्यों है? 80 साल के बूढ़े से तुम ये हरकत करते हो. मैं तो उन पुलिस के लोगों से कहना चाहता हूं कि याद रखो इस बात को कि हमेशा योगी मुख्यमंत्री नहीं रहेगा. हमेशा मोदी प्रधानमंत्री नहीं रहेगा. और हम मुसलमान वक्त के ऐतबार से खामोश जरूर हैं. मगर याद रखो कि हम तुम्हारे जुल्म को भूलने वाले नहीं हैं. अल्लाह तुमको अपनी ताकत के जरिए नेस्तोनाबूद करेगा. हम याद रखेंगे. हालात बदलेंगे, जब कौन बचाने आएगा तुम्हे! जब योगी अपने मठ में चले जाएंगे और मोदी पहाड़ों में, तब कौन आएगा!"
भाषण में ओवैसी ने आगे कहा,
"हम वो भी नहीं भूलेंगे कि एक मुसलमान ऑटो रिक्शा ड्राइवर को दंगाई मार रहे थे, वो बच्ची अपने बाप को बचाने की कोशिश कर रही थी. यहीं कानपुर में हुआ था ना! हम याद रखेंगे. वो बच्ची उस बाप की नहीं मेरी बेटी है. मैं उसकी तकलीफ को नहीं भूलने दूंगा. टीवी पर दुनिया ने देखा है कि एक बाप है और उसकी गोद में एक मासूम सा बच्चा है. पुलिस का थानेदार लाठी से उस बाप को मार रहे हैं. बाप कह रहा है कि बच्चे को लगेगी. आज जो पुलिसवाले अपनी वर्दी के दम पर लोगों को डरा रहे हैं, वो कल जीरो बनेंगे. इंसाफ होगा."
'अल्लाह अन्याय नहीं होने देता'
ओवेसी ने अपने ट्वीट में आगे कहा कि ये उनके धार्मिक विश्वास का जरूरी हिस्सा है कि अल्लाह अन्याय नहीं होने देता है. उन्होंने कहा कि यही बात उन्होंने उस दिन अपने भाषण में कही थी. AIMIM प्रमुख ने कहा,
"मैंने कहा कि हम पुलिस के उत्पीड़न को याद रखेंगे. क्या ये आपत्तिजनक है? आखिर ये याद रखना आपत्तिजनक क्यों है कि पुलिस ने उत्तर प्रदेश के मुसलमानों के साथ किस तरह का व्यवहार किया? मैंने लोगों से कहा कि वो आस ना छोड़ें और भरोसा बनाए रखें कि परिस्थितियां बदलेंगी. लोगों से ये सब कहना कोई अपराध नहीं है. मैंने पुलिसवालों से पूछा कि जब योगी और मोदी रिटायर हो जाएंगे, तब उन्हें कौन बचाने आएगा? क्या उन्हें लगता है कि उन्हें हमेशा के लिए छूट मिली हुई है?"
ओवैसी यहीं नहीं रुके. आगे के ट्वीट्स में उन्होंने इतिहास से भी कुछ उदाहरण दिए. कहा,
"इतिहास में जो नरसंहार हुए, उनमें छोटे से छोटे पद पर शामिल लोगों को भी सजा मिली. हिटलर ने यहूदियों का नरसंहार किया. ना केवल इस नरसंहार में शामिल अधिकारियों को सजा हुई, बल्कि गार्ड्स को भी सजा दी गई. रवांडा और बोस्निया में नरसंहार करने वालों को सजा दी गई. जो लोग आज हमारे बच्चों की हत्या कर रहे हैं, कानून उन्हें भी सजा देगा."
आखिरी में ओवैसी ने कहा कि हरिद्वार में बहुसंख्यकवादी समहूों ने जनसंहार की बात कही है. इस बात से चर्चा को भटकाया नहीं जा सकता कि लोग खुले तौर पर हिंसा की बात कर रहे हैं और सरकार की इसमें मिलीभगत है. इससे पहले ओवैसी के कानपुर में दिए गए भाषण का एक हिस्सा सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया गया. शेयर करने वालों में कई राजनीतिक हस्तियां भी शामिल हैं. उनका कहना है कि ओवैसी का ये बयान हरिद्वार में दिए गए भड़काऊ भाषणों का दूसरा पहलू है. इस आधार पर ओवैसी के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग भी की जा रही है. इन्हीं सब के चलते AIMIM प्रमुख को ट्विटर पर लंबी चौड़ी सफाई देनी पड़ी.