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यूपी सरकार ने "शिकायत पर जावेद का घर गिराया", अब शिकायतकर्ताओं का ही पता नहीं!

जावेद के पड़ोसियों ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि ये शिकायत करने वाले कौन हैं? कहां रहते हैं?

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(फोटो: पीटीआई/आजतक)

प्रयागराज के कार्यकर्ता और स्थानीय नेता मोहम्मद जावेद का घर गिराने को लेकर जब सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से सवाल किया, तो उन्होंने दलील दी थी कि उन्हें 'अवैध निर्माण' को लेकर कुछ शिकायत मिली थी, जिसके आधार पर उन्होंने ये कार्रवाई की है. राज्य सरकार ने कोर्ट ने हलफनामा पेश किया है, जिसमें शिकायतकर्ताओं के नाम सरफराज, नूर आलम और मोहम्मद आजम लिखे हैं. हालांकि उसमें इन व्यक्तियों का न तो कोई कॉन्टैक्ट नंबर दिया गया है और न ही उनका पता लिखा है. मोहम्मद जावेद के खिलाफ शिकायत करने वाले ये कौन लोग हैं, कहां के रहने वाले हैं, ये सारी जानकारी अभी तक सामने नहीं आ सकी है.  

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, जब उन्होंने प्रयागराज के करेली क्षेत्र में जेके आशियाना कॉलोनी का दौरा किया और वहां के 30 निवासियों से इन शिकायतकर्ताओं के बारे में जानने की कोशिश की, तो लोगों ने बताया कि उन्होंने इन व्यक्तियों का कभी नाम भी नहीं सुना है और न ही वे यहां रहते हैं.

आरोपियों का पता नहीं!

प्रशासन का भय इतना ज्यादा है कि इन 30 में से 15 व्यक्तियों ने इस मामले में कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. जबकि बाकी 15 लोगों बताया कि वे (शिकायतकर्ता) उनके क्षेत्र के रहने वाले नही हैं.

मोहम्मद जावेद के घर से करीब 200 मीटर की दूरी पर रहने वाले शमीमुल हक ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, 

'मैंने कभी सरफराज, नूर आलम या मोहम्मद आजन के बारे में नहीं सुना कि वे यहां रहते हैं.'

वहीं एक अन्य शख्स हैदर अब्बास ने बताया, 

'मैं रोजाना उनके घर से गुजरता था और कभी नहीं देखा कि वहां कोई भीड़ लगी है. इन तीन नामों का कोई व्यक्ति यहां नहीं रहता है.'

स्थानीय कॉरपोरेटर नफीस अनवर ने कहा कि कॉलोनी में लगभग 1 हज़ार मतदाता हैं और इन तीन शिकायतकर्ताओं के एड्रेस के बिना इनका पता लगाना संभव नहीं है.

इसी तरह करेली थाना के एसएचओ अरविंद कुमार गौतम ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, 

'जहां तक मेरी जानकारी है, हमारे पास ऐसी कोई शिकायत नहीं आई है कि उनके निवास पर असामाजिक तत्वों की कोई बैठक होती है.'

स्थानीय खुल्दाबाद नगर निगर के एक अधिकारी हरीश चंद्र यादव ने भी बताया कि उनके (मोहम्मद जावेद) खिलाफ कभी कोई शिकायत नहीं आई है.

प्रशासन जवाब नहीं दे रहा

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, शिकायकर्ता की पहचान पर प्रयागराज विकास प्राधिकरण के अधिकारी कुछ भी नहीं बोल रहे हैं. यहां तक सुप्रीम कोर्ट में सौंपे हलफनामे में जिस अधिकारी अजय कुमार (जोनल ऑफिसर) का हस्ताक्षर है, वह भी कोई जवाब नहीं दे रहे हैं.

नाम न लिखने की शर्त पर एक पीडीए अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस अखबार को बताया, 

'हम कई तरीकों से अवैध निर्माण की जानकारी प्राप्त करते हैं. हम ये नहीं देखते हैं कि शिकायतकर्ता कौन है, कहां का रहने वाला है. हम बस शिकायत में दी गई सूचना पर कार्रवाई करते हैं.'

एक अन्य अधिकारी ने बताया, 

‘इस मामले की जांच की गई थी, जिसमें आरोप सत्य पाया गया और कार्रवाई की गई.’ 

प्रयागराज विकास प्राधिकरण (पीडीए) ने मोहम्मद जावेद का घर गिरा दिया, जिसे लेकर उनके परिवार का कहना है कि उनकी पत्नी के नाम पर था. पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ विवादित टिप्पणी को लेकर जिले में पिछले महीने 10 जून को प्रदर्शन हुआ था. इस दौरान कुछ जगहों से हिंसा की भी खबरे आईं, जिसमें जावेद को मुख्य आरोपी बताया गया है और वे इस समय जेल में हैं.

जब कोर्ट में इस कार्रवाई पर सवाल उठे तो राज्य सरकार ने कहा कि घर गिराने का संबंध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा से नहीं है. उन्होंने कहा कि चूंकि मोहम्मद जावेद ने नियमों का उल्लंघन करते हुए घर बनाया था, इसलिए प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने कानून के अनुसार इसे गिरा दिया.

स्थानीय प्रशासन का यह भी कहना है कि उन्होंने ये कार्रवाई करने से पहले परिवार को नोटिस दिया था और सुनवाई के लिए बुलाया था. हालांकि मोहम्मद जावेद और उनके परिजनों ने बताया कि प्रयागराग प्राधिकरण द्वारा पहली नोटिस 10 जून के प्रदर्शन के बाद दी थी और 24 घंटे के भीतर उन्होंने पूरे घर को बुल्डोजर से जमींदोज कर दिया.