"आरक्षक चालक 1555 राकेश राणा, एम.टी.पूल, भोपाल जो कि विशेष पुलिस महानिदेशक (को-ऑपरेटिव फ्रॉड एवं लोक सेवा गारंटी) के वाहन पर चालक के रूप में कार्यरत है. उपरोक्त्त आरक्षक चालक का टर्न आउट चेक करने पर पाया गया कि उसके बाल बढ़े हैं एवं मूंछें अजीब डिजाइन में गले पर हैं,जिससे टर्नआउट अत्यधिक भद्दा दिखाई दे रहा है. आरक्षक चालक 1555 राकेश राणा को अपने टर्न आउट को ठीक करने हेतु बाल एवं मूंछ उचित ढंग से कटवाने हेतु निर्देश दिये गये.
"उक्त आरक्षक चालक दवारा उपरोक्त आदेश का पालन नहीं किया एवं बाल एवं मूछ जस के तस रखने की हठ बनाये रखी, जो कि यूनिफार्म सेवा में अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है. तथा इस कृत्य का अन्य कर्मचारियों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है. अतएव उक्त आरक्षक चालक 1555 राकेश राणा को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है एवं नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता दिया जाएगा"
सिपाही राकेश राणा का सस्पेन्शन लेटर
इसी मामले से जुड़ा राकेश राणा का एक वीडियो ट्विटर पर वायरल हो रहा है. इस वीडियो में राकेश एक पत्रकार को बता रहे हैं,
"सर का ये कहना था कि मूंछें कटवा लीजिए आप. लेकिन श्रीमान मेरा ये मानना है कि मूंछे नहीं कटाऊंगा. पुलिस में भी कई आईपीएस अधिकारी इस तरह की मूंछें रखे हुए हैं, लेकिन मेरे ऊपर ही कार्रवाई की गई, ये समझ नहीं आया. मुझे क्यों टोका गया. मैं एक साल से उनके यहां सेवा में हूं तब बोलते सर, लेकिन ऐसे अचानक से. मैं निलंबन स्वीकार करूंगा, मूंछे नहीं कटाऊंगा."
इस वीडियो में राकेश राणा ने खुद को एक विशेष जाति का भी बताया है और इस वजह से भी मूंछें ना कटाने की बात कही है.
सोशल मीडिया पर सिपाही का समर्थन
दूसरी तरफ, इस मामले मे कई ट्विटर यूजर्स राकेश राणा के बचाव में आगे आए हैं. उत्तम सिंह रावत नाम के एक ट्विटर यूजर लिखते हैं,
"ये सरासर गलत है. क्या भला ये कोई कारण हो सकता है? जब विभाग ने जेंडर बदलने की अनुमति तक दे रखी है.. तो फिर मूंछें के लिए क्यों किसी की नोकरी से खिलवाड़ कर रहे महोदय."
वहीं योगेंद्र सिंह नाम के एक ट्विटर यूजर ने तो विंग कमांडर अभिनंदन का उदाहरण देते हुए लिखा,
"अरे भाई साहब इसकी मूंछें रहने दो. गलत क्या है इसमें. आपने देखा वायु सेना के जवान अभिनंदन जी की भी तो थी."
एक ट्विटर यूजर ने तो आर्मी के एक शहीद जवान की फोटो पोस्ट करते हुए लिखा
"नमन शहीद भाई मनोहर सिंह (भारतीय थल सेना) को. सेना में ये मूंछे अनुमत हैं. तो भोपाल पुलिस में क्यों नहीं? इन्हे किस स्तर का अनुशासन चाहिए?"लोग यहीं नहीं रुके, कुछ ने तो मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तक से गुजारिश कर दी कि इस सिपाही को अधिकारियों के कथित उत्पीड़न से बचाएं और न्याय दें.