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CJI चंद्रचूड़ को मिली 600 वकीलों की चिट्ठी पर PM मोदी ने कांग्रेस को घेरा, जवाब भी आ गया

PM Narendra Modi ने कांग्रेस पर न्यायपालिका पर दबाव डालने का आरोप लगाया. जवाब में कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने न्यायपालिका की रक्षा करने के नाम पर प्रधानमंत्री मोदी पर पाखंड का आरोप लगा दिया.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर डराने-धमकाने का आरोप लगाया. (फाइल फोटो)

देशभर के करीब 600 सीनियर वकीलों ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) को एक चिट्ठी लिखी थी. इसमें ‘न्यायपालिका खतरे में’ है और इस पर तमाम तरह के ‘दबाव डाले जाने’ के दावे किए गए हैं. अब इस चिट्ठी पर राजनीति शुरू हो गई. चिट्ठी सामने आने के कुछ घंटों बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने कांग्रेस को घेर लिया. उन्होंने इशारे में न्यायपालिका पर दबाव डालने का पूरा ठीकरा कांग्रेस के ऊपर फोड़ दिया. जवाब में कांग्रेस के राज्यसभा सांसद जयराम रमेश (Jairam Naresh) ने प्रधानमंत्री पर न्यायपालिका की रक्षा के नाम पर पाखंड करने का आरोप लगाया है.

CJI को वकीलों की चिट्ठी में क्या लिखा है?

देश की अलग-अलग अदालतों के करीब 600 सीनियर वकीलों ने 26 मार्च को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ को एक चिट्ठी लिखी थी.  इसमें लिखा गया कि न्यायपालिका खतरे में है, इस पर तमाम तरह के दबाव डाले जा रहे हैं. इसके अलावा कई गंभीर बातें इस लेटर में लिखी गई हैं.

#1 रिस्पेक्टेड सर, हम सभी आपके साथ अपनी बड़ी चिंता साझा कर रहे हैं. एक ‘विशेष समूह’ न्यायपालिका पर दबाव डालने की कोशिश कर रहा है. यह ग्रुप न्यायिक व्यवस्था को प्रभावित कर रहा है. अपने घिसे-पिटे राजनीतिक एजेंडे के तहत उथले आरोप लगा रहा है. अदालतों को बदनाम करने की कोशिश कर रहा है.

#2 न्यायपालिका को राजनीतिक और व्यावसायिक दबाव से बचाना होगा. न्यायिक अखंडता को लगातार कमज़ोर करने की कोशिश की जा रही है. हम वो लोग हैं, जो कानून को कायम रखने के लिए काम करते हैं. हमें ही अदालतों के लिए खड़ा होना होगा.

#3 उनकी इन हरकतों से न्यायपालिका का माहौल ख़राब हो रहा है. राजनीति से जुड़े मामलों में दबाव के ये हथकंडे अपनाना आम बात हो रही है. ख़ास तौर पर तब, जब कोई राजनेता भ्रष्टाचार के आरोप में घिरा हो. ये हथकंडे लोकतांत्रिक ढांचे के लिए खतरा हैं.

#4 ये ग्रुप्स अलग-अलग तरीकों से दबाव बनाते हैं. ये अदालतों के सुनहरे अतीत का हवाला देते हैं. और उसकी तुलना आज से करते हैं. जानबूझकर बयान दिए जाते हैं, जिनके पीछे मकसद होता है फैसलों को प्रभावित करना और राजनीतिक फायदे के लिए अदालतों का इस्तेमाल करना.

#5 कुछ वकील दिन में किसी नेता का केस लड़ते हैं और रात में मीडिया के पैनल में बैठे होते हैं. बयान देते हैं और फ़ैसले में दबाव डालने की कोशिश करते हैं. ये न सिर्फ अदालतों का अपमान है, बल्कि मानहानि भी है.

अब सवाल उठता है कि लेटर में जिस प्रेशर ग्रुप्स की बात की जा रही है. वो कौन हैं? इसका जवाब हमें लेटर से ही मिलता है. पहली बात- राजनेता किसी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हैं और फिर अदालतों में उन्हें ही बचाने पहुंच जाते हैं. फैसला पक्ष में नहीं आता है तो कोर्ट के भीतर ही कोर्ट की आलोचना करते हैं और फिर मीडिया में पहुंच जाते हैं. दूसरी बात- कुछ लोग न्यायाधीशों के बारे में झूठी जानकारियां सोशल मीडिया पर फैला रहे हैं. ये केस में दबाव डालने का तरीका है. जब देश चुनाव के मुहाने पर है, तब ये बढ़ा है. 2018-19 में भी ऐसा ही कुछ देखा था.

PM मोदी ने क्या जवाब दिया है?

वकीलों की इस चिट्ठी पर राजनीति तो पहले ही शुरू हो गई थी. लेकिन तूल तब पकड़ा जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रतिक्रिया दी. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट किया. लिखा,

“दूसरों को डराना-धमकाना कांग्रेस की पुरानी संस्कृति है. पांच दशक पहले भी इस पार्टी ने 'प्रतिबद्ध न्यायपालिका' का आह्वान किया था- वे बेशर्मी से अपने स्वार्थ के लिए दूसरों की प्रतिबद्धता चाहते हैं. लेकिन देश के प्रति किसी भी जिम्मेदारी से बचना चाहते हैं. कोई आश्चर्य नहीं है कि 140 करोड़ भारतीय उन्हें खारिज कर रहे हैं.”

प्रधानमंत्री के इस पोस्ट पर कांग्रेस ने भी प्रतिक्रिया दे दी है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने X पर पोस्ट किया. उन्होंने लिखा,

"न्यायपालिका की रक्षा के नाम पर, न्यायपालिका पर हमले की ‘साजिश रचने’ और ‘कोऑर्डिनेट करने’ में प्रधानमंत्री की बेशर्मी पाखंड की पराकाष्ठा है!

हाल के दिनों में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें कई झटके दिए हैं. इलेक्टोरल बॉन्ड योजना तो इसका एक उदाहरण है. सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक घोषित कर दिया और अब यह बिना किसी संदेह साबित हो चुका है कि भाजपा ने इलेक्टोरल बॉन्ड को डर, ब्लैकमेल और धमकी के साधन के तौर पर इस्तेमाल किया ताकि कंपनियों को दान देने के लिए मजबूर किया जा सके. प्रधानमंत्री ने एमएसपी को कानूनी गारंटी देने के बजाय भ्रष्टाचार को कानूनी गारंटी दी है.

पिछले दस वर्षों में प्रधानमंत्री ने सिर्फ बांटने, भरमाने, ध्यान भटकाने और बदनाम करने का काम किया है. 140 करोड़ भारतीय उन्हें जल्द ही करारा जवाब देने का इंतजार कर रहे हैं."

बता दें कि CJI DY Chandrachud को लिखी इस चिट्ठी पर हरीश साल्वे (पूर्व सॉलिसिटर जनरल), मनन मिश्रा (बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन), आदिश अग्रवाल (सुप्रीम कोर्ट बार असोसिएशन के अध्यक्ष), चेतन मित्तल (पूर्व एडिशनल सॉलिसिटर जनरल), पिंकी आनंद (पूर्व एडिशनल सॉलिसिटर जनरल) और हितेश जैन (सुप्रीम कोर्ट के वकील) जैसे नामी गिरामी लोगों के हस्ताक्षर हैं.

वीडियो: 'दूसरे पक्ष को सुने बिना...', मीडिया पर CJI चंद्रचूड़ ने क्या कहा?