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जावेद अख्तर के परदादा पर मंदिर गिराने का इल्ज़ाम लगाया, जावेद और शबाना ने तत्काल जवाब दे डाला

बकौल जावेद अख्तर, उनके ग्रेट ग्रेट ग्रैंडफादर फ़ज़ल-ए-हक़ फ्रीडम फाइटर थे और उन्हें अंडमान की जेल भेजा गया था.

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जावेद अख्तर ने 'बुल्ली बाई' पर बोला, ट्विटर पर उनके पर दादा की कहानियां घूमने लगीं.
जावेद अख्तर. लेखक-गीतकार. ट्विटर पर मुखर रहते हैं. हर मुद्दे पर अपना पक्ष बेबाकी से रखते हैं. जिस कारण ट्रोल्स के निशाने पर नियमित रूप से बने रहते हैं. जैसा ही उनका किसी मुद्दे पर तीखा बयान आता है, उसके कुछ ही देर बाद ट्विटर पर उनके घर-खानदान से जुड़ी अनेकों कहानियां सर्क्युलेट होने लगती हैं. 4 जनवरी की सुबह भी ऐसी ही कुछ कहानियां हमें ट्विटर पर राउंड मारती दिखीं. आगे बढ़ने से पहले वो कहानियां पढ़ लें. ट्विटर पर तत्वम असि नाम के यूज़र ने लिखा,
जावेद अख्तर के ग्रेट ग्रैंडफादर मौलाना फ़ज़ल खैराबादी ने 1855 में हनुमान गढ़ी मंदिर गिराने के लिए फ़तवा जारी किया था. अंग्रेज़ो ने तो मंदिर को बचाया था.

फ्स्स्दे

खैराबादी खुद तो आराम से ज़िंदगी गुज़ारते थे लेकिन दूसरों को जिहाद के लिए मरने को उकसाते थे. उन्होंने अपने जीवन में कभी युद्धभूमि भी नहीं देखी थी. मुसलमानों ने जब ज़बरदस्ती मंदिर कब्जाने की कोशिश की थी, तो हिन्दुओं के हाथों मारे गए. तब खैराबादी ने ब्रिटिशर्स के ख़िलाफ़ जिहाद का ऐलान कर दिया. जिसके लिए उन्हें गिरफ़्तार कर काला पानी भेज दिया गया था.

आगे लिखा,

र्गेर

कैफ़ी आज़मी (शबाना आज़मी के पिता और जानेमाने शायर) विभाजन के समर्थक थे. और पार्टीशन से जस्ट पहले उन्होंने 'अगली ईद पाकिस्तान में' नाम से कविता लिखी थी. कितनी निराश करने वाली बात है. वे विभाजन के बाद पाकिस्तान गए लेकिन कुछ ही दिन में वापस आ गए. और यहीं रहे. अब उनके बच्चे हमें ज्ञान देते हैं कि उनके पेरेंट्स इंडिया से कितना प्यार करते थे.

ये यूज़र तो शबाना आज़मी के पिता तक भी पहुंच गए. लिखा,

एवेवेव

जब ये थ्रेड शबाना आज़मी की नज़र में आया तो उन्होंने फ़ौरन जवाब दिया. लिखा,
ये सरासर झूठ है. फ़ज़ल-ए-हक़ फ्रीडम फाइटर थे. जिन्हें ब्रिटिश सरकार ने काला पानी भेज दिया था. उनका अंडमान में देहांत हुआ. जहां उनकी कब्र आज भी है, जहां उन्हें हीरो की तरह देखा जाता है. अगर आप उनके बारे में ज़्यादा जानना चाहते हैं तो 'बागी हिंदुस्तान' किताब पढ़ें.

Wrewerer

जावेद अख्तर ने भी अपना जवाब दिया. लिखा,
जैसे ही मैंने औरतों की ऑनलाइन हो रही नीलामी के ख़िलाफ़ और गोडसे को पूजने वालों के ख़िलाफ़ अपनी आवाज़ उठाई, कुछ कट्टरपंथी लोग मेरे ग्रेट ग्रेट ग्रैंडफादर को गाली बकने लगे. जो कि फ़्रीडम फाइटर थे और 1864 में कालापानी में उनका देहांत हुआ था. आप ऐसे मूर्खों से क्या कहेंगे?

एतेट्स

3 जनवरी को जावेद अख्तर ने 'बुल्ली बाई' मसले पर प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए लिखा था,
हज़ारों औरतों की ऑनलाइन नीलामी हो रही है. यहां सो कॉल्ड धर्म संसद हैं, जो आर्मी, पुलिस और लोगों को 200 मिलियन हिंदुस्तानियों के नरसंहार की सलाह दे रही है. मैं यहां अपनी, बाकी लोगों की और ख़ास तौर से प्रधानमंत्री की चुप्पी देख कर स्तब्ध हूं. क्या यही सबका साथ है ? रेएराएर
आपको बता दें ये ट्रोल सिर्फ़ जावेद अख्तर के दादा-पिता के बारे में ही नहीं, शबाना आज़मी, नसीरुद्दीन शाह, सैफ़ अली खान, शाहरुख खान जैसे कई स्टार्स के पूर्वजों के बारे में लिख रहा है.