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पिछले साल रूस गया था कश्मीर का ज़हूर, महीनों से कोई संपर्क नहीं! विदेश मंत्रालय ने 'हाथ खींच लिए'

रूस स्थित भारतीय दूतावास ने हाथ खड़े कर दिए हैं और परिवार को सीधे रूसी अधिकारियों से बात करने के लिए कह दिया है.

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रूसी आर्मी की सांकेतिक तस्वीर (AP)

जम्मू-कश्मीर के एजाज़ अहमद शेख़ के भाई हैं, ज़हूर अहमद शेख़. उम्र, 27 साल. रूसी सेना में बतौर सुरक्षा सहायक काम कर रहे थे. फिर रूस-यूक्रेन युद्ध में धकेल दिए गए. चार महीने से उनका परिवार उनसे बात नहीं कर पाया है. परिवार ने मॉस्को में भारतीय दूतावास से बात करने की कोशिश की. अभी तक कोई मदद नहीं मिल पाई है. कथित तौर पर अब दूतावास ने हाथ खड़े कर दिए हैं और एजाज़ को ख़ुद ही सीधे रूसी अधिकारियों से बात करने के लिए कह दिया है.

कैसे फंस गए ज़हूर?

शेख़ परिवार जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा ज़िले के करनाह में रहता है. पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा (LoC) के पास. ज़हूर और एजाज़ के बड़े भाई मुख़्तियार शेख़ सीमा सुरक्षा बल (BSF) में तैनात थे. साल 1999 में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में उनकी मृत्यु हो गई थी.

द हिंदू की सुहासिनी हैदर और विजेता सिंह की रिपोर्ट के मुताबिक़, ज़हूर पिछले साल तक चंडीगढ़ में काम कर रहे थे. फिर एक यूट्यूब वीडियो देखने के बाद उन्होंने रूस जाने का फ़ैसला किया. वीडियो में रूसी सेना में नौकरी का आश्वासन दिया गया था. ज़हूर चले गए.

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एजाज़ ने आख़िरी बार अपने भाई ज़हूर से पिछले साल, 31 दिसंबर को बात की थी. इसके बाद से परिवार का उनसे कोई संपर्क नहीं हुआ है. एजाज़ बताते हैं,

हम मॉस्को में भारतीय दूतावास को फोन कर करके थक गए हैं. कुछ दिन पहले, उन्होंने मुझे संबंधित रूसी सरकारी अधिकारियों के नंबर और ई-मेल आईडी दे दिए. कुछ नंबर तो रूस के रक्षा मंत्रालय के भी हैं. मगर वो हमारी कॉल का जवाब भी नहीं दे रहे.

शेख़ का कहना है कि उनके पास दिल्ली आकर यहां के मंत्रियों या अधिकारियों से मिलने के लिए भी पैसे नहीं हैं.

जब हम कुछ दिन पहले यहां आए थे, तो हम किसी से नहीं मिल सके. लोगों ने सुझाव दिया कि हम रूस चले जाएं. लेकिन इसके लिए हमें कम से कम 10 लाख रुपये चाहिए होंगे. हमारे पास इतने पैसे नहीं हैं. हम सरकार से मदद करने का अनुरोध करते हैं.

सरकार क्या कर रही है?

विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने द हिंदू को जानकारी दी है कि दूतावास ने सीधे ज़हूर शेख़ के साथ तो कोई बात नहीं की है, लेकिन वो रूसी अफ़सरों के साथ उनकी रिहाई के लिए बातचीत कर रहे हैं.

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अधिकारियों का कहना है कि मॉस्को में भारतीय दूतावास हर उस सेना भर्ती का मामला उठा रहा है, जिसने उनसे संपर्क किया है और वापस लौटना चाहता है. इनकी संख्या 20 होने का अनुमान है. ज़्यादा भी हो सकती है. कहा जा रहा है, चूंकि इस मुद्दे में रूसी सेना शामिल हैं, इसलिए प्रक्रिया में ज़्यादा समय लग रहा है.

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