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'बेटे की मौत से ज्यादा दुख, सोचा इस्तीफा दे दूं... ' उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ किस नेता से इतना आहत हो गए?

Rajya Sabha में बहस के दौरान Chaudhary charan singh को भारत रत्न दिए जाने की घोषणा पर Jayant chaudhary को बोलना था, इसी को लेकर पूरा विवाद हुआ और कांग्रेस नेताओं के बयानों से सदन के सभापति Jagdeep Dhankhar आहत हो गए. क्या-क्या हुआ था?

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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़(फाइल फोटो: आजतक)

‘मुझे अपने जवान बेटे की मौत से ज्यादा दुख हुआ है’ ये शब्द हैं राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के. राज्यसभा में चर्चा के दौरान उनका ये बयान विपक्ष के लिए था. जगदीप धनखड़ ने यहां तक कहा कि उन्होंने अपने पद से इस्तीफा देने का मन बना लिया था. आखिर जगदीप धनखड़ ने ऐसा क्यों कहा? ऐसा क्या हुआ था?

आजतक की एक रिपोर्ट के मुताबिक शनिवार, 10 फरवरी को राज्यसभा में चर्चा चल रही थी. जगदीप धनखड़ ने जयंत चौधरी को बोलने के लिए मंच दिया, लेकिन विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे समेत कांग्रेस के कई सांसदों ने इस पर आपत्ति जताई. कांग्रेस सांसदों का कहना था कि सभापति ने सदन को जयंत चौधरी को मंच देने के बारे में सूचित नहीं किया था. उनका ये भी कहना था कि सदन में दिनभर होने वाले कामकाज की सूची में पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव, चौधरी चरण सिंह और कृषि वैज्ञानिक एमएस स्वामीनाथन को भारत रत्न देने के फैसले पर बयान देने के लिए किसी के नाम का जिक्र नहीं था.

तू तू मैं मैं…

विरोध के दौरान कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने जयंत चौधरी पर टिप्पणी की. उन्होंने जयंत से पूछा की वो कहां जाना चाहते हैं? शायद उनका मतलब था कि वो किस दल के साथ जाना चाहते हैं. जयराम रमेश ने इशारे में कहा कि जयंत की पार्टी राष्ट्रीय लोक दल लोकसभा चुनावों के लिए विपक्ष के साथ गठबंधन तोड़कर भाजपा के साथ गठबंधन कर सकती है. उनकी इस बात के बाद सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा,

'मैंने सुना कि जयराम रमेश ने जयंत से क्या कहा है. आप(जयराम रमेश) ऐसे व्यक्ति हैं जो श्मशान घाट पर भी दावत कर सकते हैं. और ये सच है के आप(जयराम रमेश) इस कदाचार के लिए सदन का हिस्सा बनने के लायक नहीं हैं.'

हालांकि कांग्रेस सांसदों के विरोध पर जगदीप धनखड़ ने विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे को बोलने का मौका दिया. सदन को संबोधित करते हुए खरगे ने कहा,

'मैं सभी(भारत रत्न से सम्मानित होने वाले नेता) को सलाम करता हूं. लेकिन अगर सदन का कोई सदस्य कोई मुद्दा उठाना चाहता है तो आप(जगदीप धनखड़) पूछते हैं किस नियम के तहत. मैं जानना चाहता हूं कि जयंत चौधरी को किस नियम के तहत बोलने का मौका दिया गया? हमें भी इसकी परमिशन मिलनी चाहिए. आप नियमों की बात करते हैं. आपके पास धैर्य है. तो उस धैर्य को सही से इस्तेमाल किया जाना चाहिए. ना कि जब आप चाहें तब.'

मल्लिकार्जुन खरगे ने अपने संबोधन में आगे कहा,

'सभापति नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं. अगर भारत रत्न सदन के एजेंडे में शामिल होता तो विपक्ष का हर नेता इसमें शामिल होता.'

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'मल्लिकार्जुन खरगे माफी मांगें'

मल्लिकार्जुन खरगे के संबोधन के बाद जगदीप धनखड़ ने कहा कि कांग्रेस नेताओं ने चौधरी चरण सिंह की विरासत का अपमान किया है. उन्होंने कहा,

'चौधरी चरण सिंह किसी एक शख्स के परिवार का हिस्सा नहीं हैं. उनका पोता हमारे सदन का हिस्सा है ये हमारे लिए गर्व की बात है… लेकिन सदन के कुछ सदस्यों की हरकत निंदनीय थी. ये सब देख कर मेरे मन में अपने पद से इस्तीफा देने का ख्याल आया. '

उन्होंने आगे कहा,

‘विपक्ष के नेता (मल्लिकार्जुन खरगे) ने मेरे लिए जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया है उससे मुझे दुख हुआ है. मैं किसान परिवार से आता हूं इसका मतलब ये नहीं मैं कमजोर हूं. किसान का बेटा हूं. मैंने अपनी जिंदगी में बहुत मुश्किल वक्त देखा है. मैंने अपना जवान बेटा खोया है. लेकिन आज जयंत चौधरी के संबोधन के दौरान जयराम रमेश ने जो बोला है, उसका दर्द काफी ज्यादा है.’

इसके बाद केंद्रीय मंत्री पुरूषोत्तम रुपाला ने विपक्ष को जवाब देते हुए कहा कि कांग्रेस चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न देने का विरोध कर रही है. विपक्ष के नेता आसन को चुनौती दे रहे हैं. ये कांग्रेस का असली चेहरा है. कांग्रेस बेनकाब हो गई है. इसी के बाद केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने आसन का अपमान करने के लिए मल्लिकार्जुन खरगे से माफी की मांग की.

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