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भारत में बना पहला लड़ाकू हेलीकॉप्टर प्रचंड वायु सेना में शामिल, ये हैं खूबियां

प्रचंड हेलीकॉप्टर की रफ्तार 268 किमी प्रति घंटा है. ये एक बार में सवा तीन घंटे उड़ सकता है.

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भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया 'प्रचंड' हेलीकॉप्टर. (फोटो: PTI)

भारतीय वायु सेना (IAF) ने देश में बने हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर (LCH) प्रचंड (Prachand) को तीन अक्टूबर को अपने बेड़े में शामिल किया. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में राजस्थान के जोधपुर बेस पर इसे वायुसेना में शामिल किया गया.

देश में बना हल्का लड़ाकू हेलीकॉप्टर 'प्रचंड', जिसे 3 अक्टूबर को औपचारिक रूप से भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया. (फोटो: पीटीआई)

ये हेलीकॉप्टर दुश्मनों के लड़ाकू विमानों को ध्वस्त करने, उग्रवाद विरोधी अभियानों को अंजाम देने, कॉम्बैट सर्च और बचाव कार्यों में सक्षम है.

इस दौरान केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान और नौसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी मौजूद थे. (फोटो: पीटीआई)

इस मौके पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान और नौसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी भी मौजूद थे. इस हेलीकॉप्टर को बेड़े में शामिल करने के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी इससे उड़ान भरी.

'प्रचंड' को भारतीय वायुसेना में शामिल करने के बाद राजनाथ सिंह ने भी इसे उड़ान भरी. (फोटो: पीटीआई)

इस मौके पर राजनाथ सिंह ने कहा, 

'आजादी के बाद लंबे समय तक लड़ाकू हेलीकॉप्टर बनाने के लिए स्वदेशी तकनीक विकसित करने पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया था. इसके चलते वायुसेना को विदेशी मूल के लड़ाकू हेलीकॉप्टरों पर निर्भर रहना पड़ता था. कारगिर युद्ध के दौरान स्वदेशी लड़ाकू हेलीकॉप्टरों की जरूरत की ओर ध्यान खींचा गया. दो दशक लंबे रिसर्च और डेवलपमेंट के बाद हमें हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर मिले हैं. इन्हें बेड़े में शामिल करना स्वदेशी रक्षा उत्पादन की दिशा में मील का पत्थर है.'

'प्रचंड' को वायुसेना के बेड़े में शामिल करने से पहले उसका मुआयना करते कर्मचारी. (फोटो: पीटीआई)

इस हेलीकॉप्टर को सरकारी रक्षा कंपनी हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा डिजाइन और तैयार किया गया है. इसे भारत की परिस्थितियों और जरूरतों के हिसाब से तैयार किया गया है. यह हेलीकॉप्टर 16,400 फीट तक उड़ने में सक्षम है. इसका वजन 5,800 किलो है और यह 268 किमी/घंटा की रफ्तार से उड़ सकता है. यह एक बार में सवा तीन घंटे तक उड़ सकता है.

प्रचंड हेलीकॉप्टर को वायुसेना में शामिल करने के दौरान उसे वॉटर कैनन सैल्यूट दिया गया. (फोटो: पीटीआई)

देश में हेलीकॉप्टर बनाने का सबसे बड़ा फायदा ये है कि अगर भविष्य में इसमें कोई बदलाव करना हुआ, तो इसके लिए किसी विदेशी मुल्क की मंजूरी नहीं लेनी होगी. इसके साथ ही हेलीकॉप्टर के पार्ट्स के मेंटेनेंस में निर्भरता में भी कमी आएगी. इस हेलीकॉप्टर में एक समय में दो पायलट बैठ सकते हैं. इसका कॉम्बैट रेंज 550 किमी है.

ये एक ऐसी मशीन है जिसे औपचारिक रूप से वायुसेना में शामिल करने से पहले ही इसका इस्तेमाल हो रहा है. इसे मुख्य रूप से लद्दाख में काम में लाया जा रहा है.

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