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भारत में विकास कार्य रोकने के लिए NGO को विदेश से फंडिंग! आयकर विभाग ने कोर्ट में कच्चा चिट्ठा खोल दिया

Delhi High Court में Income Tax Department की नोटिस के खिलाफ में याचिका खारिज होने के बाद Environics Trust ने Supreme Court में याचिका दायर की थी.

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NGO पर पैसे देकर प्रोटेस्ट करवाने के आरोप हैं (फोटो: आजतक)

इनकम टैक्स विभाग की मानें तो कुछ विदेशी संस्थानों ने भारतीय NGO और Trusts को जनहित परियोजनाओं में बाधा डालने के लिए फंडिंग की है. आयकर विभाग (Income Tax) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई के दौरान इसकी जानकारी दी. दरअसल 'एनवायरोनिक्स ट्रस्ट' (Environics Trust) नाम के NGO ने सुप्रीम कोर्ट में आयकर विभाग की नोटिस के खिलाफ एक याचिका दायर की थी. इसी याचिका पर सुनवाई के दौरान आयकर विभाग ने अपनी जांच का हवाला देते हुए ये बात कही. इस रिपोर्ट में हम जानेंगे, कि कोर्ट ने क्या कहा? आयकर विभाग की जांच में क्या पता चला? और मामला तो अब आप समझ ही गए होंगे.

कोर्ट में क्या हुआ?

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच मामले की सुनवाई कर रही थी. सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा,

'आयकर विभाग का NGO पर टैक्सेबल इनकम का मूल्यांकन और पुनर्मूल्यांकन जारी रहेगा. लेकिन विभाग सिर्फ NGO की आय से संबंधित साक्ष्यों के मूल्यांकन के आधार पर अपना अंतिम आदेश पारित न करें.'

साथ ही कोर्ट ने NGO को भी आयकर विभाग की जांच में पूरा सहयोग करने का आदेश दिया है.

आयकर विभाग की जांच और उनके आरोप

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक आयकर विभाग ने कोर्ट में इस मामले को लेकर एक एफिडेविट दाखिल किया है. इसमें उन्होंने बताया कि 7 सितंबर, 2022 को NGO के खिलाफ सर्वे शुरू किया गया था.

'जांच के दौरान पता चला कि याचिकाकर्ता ट्रस्ट को विदेशी संस्थान से फंडिंग की जा रही है. उनको मिलने वाली 90 प्रतिशत फंडिंग विदेश से ही हो रही है. ये फंडिंग पब्लिक प्रोजेक्ट्स को रोकने के मकसद से की जा रही है, जो भारत के हित में है.’

अपने एफिडेविट में आयकर विभाग ने बताया कि जांच के दौरान ये बात भी सामने आई कि ट्रस्ट ने लोगों को पैसे देकर पब्लिक प्रोजेक्ट्स के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में शामिल करवाया था. ऐसे ही एक मामले का जिक्र करते हुए आयकर विभाग ने बताया,

‘ट्रस्ट ने विकास कार्यों का विरोध करने के लिए उड़ीसा के एक गांव के लोगों के बैंक अकाउंट में पैसे ट्रांसफर किए थे. ये पैसे राहत और बचाव  कार्य में मदद के नाम पर ट्रांसफर किए गए थे. जांच में पता चला कि एनविरोनिक्स ट्रस्ट ने अपने अपने ICICI बैंक अकाउंट से प्रत्येक व्यक्ति के अकाउंट 1250 रुपए ट्रांसफर किए थे.’

उन्होंने आगे बताया,

'इस बात के सबूत हैं कि 1 सितंबर 2020 को ट्रस्ट और विदेशी संस्था के बीच करार हुआ था जो साफ करता है कि ट्रस्ट उड़ीसा में हुए विरोध प्रदर्शनों में शामिल था.'

आयकर विभाग ने आगे बताया कि ‘फेयर ग्रीन एंड ग्लोबल एलायंस' नाम की डच संस्थान ने इस विरोध प्रदर्शन को फंड किया था. साथ ही उन्होंने बताया कि साल 2016 से 2021 के बीच ट्रस्ट को फंडिंग से 14.27 करोड़ रुपए मिले है. इसमें से 13.66 करोड़ रुपए विदेशी फंडिंग के जरिए आए हैं.

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आयकर विभाग ने ट्रस्ट को इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 148 के तहत एक नोटिस भेजा था. नोटिस में विभाग ने ट्रस्ट के इनकम टैक्स रिटर्न का पुनर्मूल्यांकन करने की बात कही थी. बता दें कि पिछले साल ट्रस्ट ने आयकर विभाग की नोटिस के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. जिसे दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था. इसके बाद ट्रस्ट इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट के पास पहुंचा था.  

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