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Xiaomi ने सरकार को कैसे लगा दिया 653 करोड़ का चूना?

Xiaomi भारत में सबसे ज्यादा मोबाइल बेचने वाली चीनी कंपनी है.

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श्याओमी इंडिया और इम्पोर्ट की सांकेतिक तस्वीर
भारत में सबसे ज्यादा मोबाइल फोन बेचने वाली चाइनीज कंपनी श्याओमी इंडिया 653 करोड़ रुपये की टैक्सचोरी के आरोप में घिर गई है. देश में ऑपरेट कर रहीं चीनी मोबाइल कंपनियों पर हाल ही में इनकम टैक्स विभाग ने छापेमारी की थी. अहम व्यापार आंकड़ों और दस्तावेजों की जांच के बाद अब राजस्व खुफिया निदेशालय (Directorate of Revenue Intelligence- DRI) ने खुलासा किया है कि श्याओमी टेक्नॉलजी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने अंडरवैल्युएशन और लाइसेंस फीस में हीलाहवाली के जरिए तीन साल में करीब 653 करोड़ रुपये की कस्टम ड्यूटी चुराई है. आरोपों के जवाब में कंपनी ने कहा है कि फिलहाल वह सरकारी नोटिस को समझने में लगी है और जांच में सहयोग करने को तैयार है. क्या है पूरा मामला? वित्त मंत्रालय और DRI के अधिकारियों के मुताबिक कस्टम चोरी की खुफिया जानकारी और इनकम टैक्स डेटा के आधार पर जब DRI ने छानबीन की तो उसका शक और गहरा गया. इसके बाद श्याओमी इंडिया के कई परिसरों में DRI ने भी रेड डाली. इन छापों में मिले दस्तावेजों से पता चला कि श्याओमी मोबाइल उत्पादन और बिक्री की कॉन्ट्रैक्ट शर्तों के मुताबिक चीन स्थित कंपनियों (Qualcomm USA और Beijing Xiaomi Mobile Software Co. Ltd.) को रॉयल्टी और लाइसेंस फीस का भुगतान करती है. लेकिन भुगतान की इस रकम को इम्पोर्ट की कुल ट्रांजैक्शन वैल्यू में शामिल नहीं किया गया है. यानी कंपनी ने सरकार को जितनी रकम पर कस्टम ड्यूटी चुकाई, वो रकम कहीं और बड़ी होती, अगर उसमें रॉयल्टी और लाइसेंस फीस शामिल की गई होती. इस तरह DRI का आकलन है कि कंपनी ने 653 करोड़ रुपये बचा लिए, जो कस्टम ड्यूटी के तौर पर सरकारी खजाने में जाने चाहिए थे. कैसे किया अंडरवैल्युएशन? श्यायोमी इंडिया भारत में Mi ब्रैंड के मोबाइल फोन बेचती है. ये स्मार्ट फोन कंपनी या तो चीन से सीधे इम्पोर्ट करती है या फिर भारत में कॉन्ट्रैक्ट मैन्यूफैक्चरर्स के जरिए असेंबल कराती है. असेंबलिंग के लिए भी इनके पार्ट चीन से ही आयात होते हैं. ये कॉन्ट्रैक्ट मैन्यूफैक्चरर भी पहले मोबाइल फोन श्याआमी इंडिया को बेचते हैं. उसके बाद वह इसे रिटेल मार्केट में उतारती है.
DRI का कहना है कि न तो श्याओमी इंडिया और न ही इसके कॉन्ट्रैक्ट मैन्यूफैक्चरर्स ने रॉयल्टी और लाइसेंस फीस को इम्पोर्ट वैल्यू (जिस पर ड्यूटी चुकाई गई) में शामिल किया. यह कस्टम एक्ट और कस्टम वैल्युएशन रूल्स 2007 का खुला उल्लंघन है. बाद में वित्त मंत्रालय ने भी एक बयान जारी कर कहा-
'आयातित मोबाइल फोन या कलपुर्जों पर आखिरकार मालिकाना हक श्यायोमी इंडिया का है और उसने आयात की ट्रांजैक्शन वैल्यू में रॉयल्टी और लाइसेंस फीस को शामिल न करके कस्टम ड्यूटी की चोरी की है.'
डीआरआई का आकलन है कि कस्टम ड्यूटी की यह चोरी अप्रैल 2017 से जून 2020 के बीच की गई है. वित्त मंत्रालय की ओर से यह भी बताया गया कि कंपनी को 'कारण बताओ' सहित तीन तरह के नोटिस जारी हुए हैं.
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टैक्स की प्रतीकात्मक तस्वीर
क्या कहती है कंपनी? आरोपों के बारे में पूछे जाने पर श्याओमी इंडिया के प्रवक्ता ने गुरुवार 6 जनवरी को एक बयान जारी कर कहा-
"श्याओमी इंडिया में हम इस बात को सर्वाधिक महत्व देते हैं कि सभी भारतीय कानूनों का अनुपालन हो. फिलहाल हम टैक्स नोटिस के ब्योरों की समीक्षा कर रहे हैं. एक जिम्मेदार कंपनी के रूप में, हम सभी आवश्यक दस्तावेजों के साथ अधिकारियों का सहयोग करेंगे.''
टैक्स एक्सपर्ट की राय जब कोई देसी या विदेशी कंपनी की भारतीय इकाई बाहर से माल मंगाती है या पार्ट्स लाकर यहां असेंबल करती है, तो मूल कंपनियों के साथ उसके कुछ कारोबारी समझौते होते हैं. इसके तहत उत्पाद की कॉन्ट्रैक्ट मैन्यूफैक्चरिंग या बिक्री करने वाली कंपनी मूल कंपनी को तय दरों पर रॉयल्टी और लाइसेंस फीस चुकाती है. सरकार की नजर में यह फीस भी बाहर से आने वाले माल की कीमत यानी इम्पोर्ट वैल्यू में शामिल होनी चाहिए.
इस बारे में कस्टम और जीएसटी कंसल्टेंट बिमल जैन ने दी लल्लनटॉप को बताया,
'अखबारों में जो कुछ छपा है, उससे लगता है कि मामला थोड़ा सब्जेक्टिव है. यह साफ नहीं है कि उसकी मूल कंपनी के साथ रॉयल्टी की शर्तें क्या थीं. अगर यह रॉयल्टी पहले ही इम्पोर्ट से अलग रखी गई थी. यानी कंपनियों ने पहले ही यह साफ कर रखा है कि इसे इम्पोर्ट वैल्यू में शामिल नहीं किया जाएगा और इससे सरकार भी वाकिफ हो, तब यह एक और इश्यू बन सकता है. अगर DRI के पास इस बात के साक्ष्य हैं कि इम्पोर्ट से पहले ऐसा कोई खुलासा या कॉन्ट्रैक्ट शर्तों में कंसिडेरेशन वैल्यू अलग रखने जैसी कोई बात नहीं थी, तो यह कर चोरी का मामला बनेगा'.
गौरतलब है कि श्याओमी भारत के मोबाइल मार्केट में नंबर वन ब्रैंड है. इसका 22 फीसदी स्मार्टफोन बाजार पर कब्जा है. इसके बाद 19 फीसदी मार्केट शेयर के साथ सैमसंग दूसरे नंबर पर है. विवो और रियल्मी मार्केट शेयर में तीसरे और चौथे स्थान पर हैं.