"हरिद्वार धर्म संसद भड़काऊ बयानबाजी मामले की जांच के लिए SP स्तर के अधिकारी की अध्यक्षता में एक 5 सदस्यीय SIT का गठन किया गया है. दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी."
"इस तरह के भाषण दूसरों के विश्वास की तर्कसंगत आलोचना के लिए तय की गई सीमा से परे जाते हैं और धार्मिक असहिष्णुता पैदा करते हैं. पैगंबर मोहम्मद का अपमान करना, इस्लाम की नींव पर हमला करने जैसा है."याचिका में आगे कहा गया,
"बीते समय में बहुत सी हिंसक घटनाएं हुई हैं. जिनमें बहुत से लोगों की जान गई है. मृतकों का संबंध समाज के कमजोर तबकों से रहा है. ज्यादातर मुस्लिम समुदाय से वास्ता रखते हैं."दूसरी तरफ, हरिद्वार धर्म संसद मामले में अभी तक जो FIR दर्ज की गई है, उसमें IPC की धारा 295 को भी जोड़ा गया है. यह धारा किसी वर्ग के धर्म या धार्मिक विश्वासों का अपमान करके उसकी धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आशय से किए गए काम के संबंध में लगाई जाती है. इससे पहले FIR में IPC की धारा 153 A ही लगाई गई थी. जो धर्म, भाषा, नस्ल आदि के आधार पर लोगों में नफरत फैलाने की कोशिश के संबंध में लगाई जाती है.
यति नरसिंहानंद राजनीति में मौजूद महिलाओं के खिलाफ अश्लील टिप्पणियां कर चुके हैं.
इस मामले में अब तक कई लोगों के खिलाफ FIR की जा चुकी है. हाल फिलहाल में इसमें यति नरसिंहानंद का नाम भी जोड़ा गया है. नरसिंहानंद ने ही कार्यक्रम का आयोजन किया था. यति नरसिंहानंद का नाम पहले भी भड़काऊ भाषण देने और राजनीति में मौजूद महिलाओं के खिलाफ अश्लील टिप्पणियों में आ चुका है. नरसिंहानंद के अलावा वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र त्यागी, अन्नपूर्णा, धर्मदास और सिंधु सागर के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है. ये सभी 17 से 19 दिसंबर के बीच हरिद्वार में आयोजित किए गए कार्यक्रम में शामिल थे.
जिन लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की गई है, उन्होंने कार्यक्रम के दौरान अल्पसंख्यकों के खिलाफ भड़काऊ भाषण दिए थे. नरसंहार के नारे लगाए थे. नरसंहार के लिए हिंदू समुदाय और सेना एवं पुलिस के कर्मचारियों को हथियार उठाने के लिए कहा था. इन भड़काऊ भाषणों के वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे. तभी से इन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग हो रही है. सैन्य बलों से जुड़े पूर्व प्रमुख भी इन लोगों पर कार्रवाई के लिए राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिख चुके हैं.