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'स्कूलों में नैतिक शिक्षा का हिस्सा है भगवत गीता', बोले कर्नाटक के मुख्यमंत्री

गुजरात के बाद अब कर्नाटक के स्कूलों में भगवत गीता को पढ़ाने की बात चल रही है.

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कर्नाटक सीएम बसवराज बोम्मई. (फाइल फोटो- आजतक)

गुजरात के बाद अब कर्नाटक के स्कूलों में भी भगवत गीता (Gita in Syllabus) पढ़ाने की तैयारी है. कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा है कि गीता को नैतिक शिक्षा के तौर पर स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने पर विचार किया जा रहा है. इससे पहले कर्नाटक के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने भी इसी तरह का बयान दिया था. उन्होंने भी सीएम से चर्चा कर अंतिम निर्णय लेने की बात कही थी.


कर्नाटक सीएम ने क्या कहा?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सीएम बसवराज बोम्मई ने शनिवार, 19 मार्च को सुरापुर तालुक में ये बात कही. उन्होंने कहा कि इस संबंध में आखिरी फैसला शिक्षा मंत्री बीसी नागेश से बात करने के बाद ही लिया जाएगा. रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस दौरान सीएम बोम्मई ने कहा कि शास्त्र नैतिक मूल्य प्रदान करते हैं. उन्होंने कहा,


"भगवत गीता को गुजरात में स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है. हमारे मंत्री ने भी इसपर चर्चा करने के लिए कहा है. देखते हैं कि शिक्षा विभाग क्या विवरण देता है."

वहीं, जब सीएम से पूछा गया कि क्या गीता बच्चों में नैतिक मूल्य लाएगी, तो इसपर उन्होंने कहा,


"और क्या? आप मुझे बताएं, भगवत गीता नहीं तो और क्या नैतिक मूल्य देंगे?"

कर्नाटक से पहले भाजपा शासित गुजरात ने गीता को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने का ऐलान किया है. गुरुवार, 17 मार्च को की गई घोषणा में बताया गया कि वर्ष 2022-23 से 6 से लेकर 12वीं कक्षा तक के सिलेबस में गीता शामिल की जाएगी.


'सभी के लिए है गीता'

गुजरात के ऐलान के बाद से ही कर्नाटक में भी इस प्रस्ताव पर चर्चा हो रही है. इससे पहले राज्य के शिक्षा मंत्री बीसी नागेश ने इस संबंध में मीडिया से कहा था कि बीते कई सालों से नैतिक विज्ञान का विषय 'छूट' गया है. उन्होंने कहा कि हमने इसे पढ़ा है, लेकिन अब नैतिक शिक्षा 'पीछे छूट' गई है. मां-बाप चाहते हैं कि इस सब्जेक्ट को दोबारा शामिल किया जाए. हालांकि, ये विशेषज्ञ तय करेंगे कि इसमें क्या शामिल किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा,


"भगवत गीता सिर्फ हिंदुओं के लिए नहीं, सभी के लिए है. अगर विशेषज्ञ मानते हैं, तो ये जरूर शामिल किया जाएगा. हालांकि इस साल नहीं ये अगले साल किया जाएगा."

उन्होंने आगे कहा,


"हम इस बारे में मुख्यमंत्री से बात करेंगे कि क्या हम नैतिक शिक्षा को शामिल करेंगे. उनसे इस बारे में भी चर्चा की जाएगी कि क्या इसे अगले सत्र से शामिल किया जाए. भगवत गीता, रामायण और महाभारत में से जिसका प्रभाव बच्चों पर होगा वो शामिल किया जाएगा."

भगवाकरण में गलत क्या?

इस तरह के ऐलान के बाद बीजेपी पर शिक्षा के भगवाकरण के भी आरोप लग रहे हैं. इन आरोपों पर उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि अगर शिक्षा का भगवाकरण हो रहा है, तो इसमें क्या गलत है? इसके साथ ही उन्होंने मैकाले की शिक्षा नीति (Macaulay System of Education) को खारिज करने का भी आह्वान किया है. उन्होंने कहा,


"भारत को अपनी औपनिवेशिक मानसिकता को छोड़ना चाहिए. अपनी भारतीय पहचान पर गर्व करना सीखना चाहिए. शिक्षा प्रणाली का भारतीयकरण भारत की नई शिक्षा नीति का केंद्र है. ये मातृ भाषाओं को बढ़ावा देने पर जोर देती है."
हरिद्वार में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, फोटो- PTI
हरिद्वार में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, फोटो- PTI

पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, हरिद्वार के देव संस्कृति यूनिवर्सिटी में दक्षिण एशियाई शांति और सुलह संस्थान का उद्घाटन करने के दौरान अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति ने ये बातें कहीं. उन्होंने आगे कहा,


"सदियों के औपनिवेशिक शासन ने हमें खुद को एक कमजोर नस्ल के रूप में देखना सिखाया. हमें अपनी संस्कृति, पारंपरिक ज्ञान का तिरस्कार करना सिखाया गया. इससे एक राष्ट्र के रूप में हमारा विकास भी धीमा हुआ. विदेशी भाषा को हमारे शिक्षा के माध्यम के रूप में लागू करने से देश की बड़ी आबादी शिक्षा के अधिकार से वंचित हो गई है."

विपक्षी दलों ने क्या कहा?

इधर कर्नाटक में कुछ छात्र संगठन इस प्रस्ताव के विरोध में है. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक ऑर्गनाइजेशन जैसे संगठन ने इसे अवैज्ञानिक, पुराना और ब्लाइंड आइडिया बताते हुए कहा कि इससे लोगों के बीच फूट पड़ेगी.

विपक्षी दलों की बात करें तो विपक्ष के नेता सिद्धारमैया ने कहा कि कांग्रेस को इस प्रस्ताव से विरोध नहीं है. हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि संविधान के खिलाफ कुछ नहीं किया जाना चाहिए और बच्चों को आज की आवश्यकताओं के अनुसार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जानी चाहिए. सिद्धारमैया ने कहा,


"हम संविधान और धर्मनिरपेक्षता में विश्वास करते हैं. उन्हें (भाजपा सरकार) भगवत गीता, कुरान या बाइबिल सिखाने दें, हमें कोई आपत्ति नहीं. बशर्ते वे बच्चों को आज की आवश्यकता के अनुसार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दें."

वहीं, कर्नाटक कांग्रेस के अन्य नेता रहमान खान ने कहा कि इसमें भाजपा का स्वार्थ है. आजतक की खबर के मुताबिक, उन्होंने कहा कि भारत कई धर्मों वाला देश है और हर धार्मिक पुस्तक नैतिकता सिखाती है. आप ये नहीं कह सकते सिर्फ गीता ही भारतीय संस्कृति सिखाती है. इसमें भाजपा का स्वार्थ है. वो नई शिक्षा नीति के जरिए हिंदुत्व नीति को पाठ्यक्रम में लाने की कोशिश कर रही है. इससे पहले गुजरात में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने गीता के सिलेब्स में शामिल करने के सरकार के फैसले का स्वागत किया था.