The Lallantop
लल्लनटॉप का चैनलJOINकरें

'शहीद' शब्द के चक्कर में घिरे पड़े हैं फेसबुक-इंस्टा वाले! माजरा है क्या?

'शहीद' शब्द के मॉडरेशन को लेकर मेटा (Meta) की आलोचना हो रही है. लेकिन ये पहली बार नहीं है, जब मेटा पर अरबी यूजर्स के प्रति पक्षपातपूर्ण मॉडरेशन के आरोप लग रहे हैं.

post-main-image
'शहीद' शब्द के मॉडरेशन को लेकर लेकर मेटा की आलोचना हो रही है.

फेसबुक और इंस्टाग्राम की मालिकाना हक रखने वाली कंपनी मेटा अपने ही ओवरसाइट बोर्ड के निशाने पर है. क्यों? ‘शहीद’ शब्द की वजह से. दरअसल, अरबी शब्द शहीद - अंग्रेज़ी में martyr - को मेटा के प्लैटफॉर्म पर किसी भी दूसरे शब्द की तुलना में सबसे ज्यादा बार चिह्नित कर हटाया गया है.

मगर असल दिक्कत शहीद शब्द हटाने में नहीं, मेटा के वर्तमान दृष्टिकोण में है. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, मेटा ‘शहीद’ को केवल हिंसा या उग्रवाद के संदर्भ में देखता-समझता है. वहीं, ओवरसाइट बोर्ड का तर्क है कि शहीद शब्द के कई अर्थ होते हैं. अक्सर रिपोर्टिंग, अकादमिक चर्चाओं और मानवाधिकार संदर्भों में इसका इस्तेमाल तटस्थ रूप से ही किया जाता है. चूंकि मेटा इस शब्द को ‘खतरनाक लोगों’ से जोड़कर देखता है और उस पर प्रतिबंध लगाता है, बोर्ड का कहना है कि इससे अरबी भाषा के यूजर्स पर असर पड़ता है. इससे तर्कसंगत चर्चा बाधित होती है.

ये भी पढ़ें - 'मेटा ने बगैर मंजूरी बच्चों की... ', अमेरिका में कंपनी पर बहुत बड़े आरोप लगे हैं

ओवरसाइट बोर्ड ने मेटा से कहा कि ‘शहीद’ से जुड़े कॉन्टेंट को हटाने के बजाय हिंसा या अन्य नीतियों के उल्लंघन के संकेतों की पहचान करने पर ध्यान दें. ये भी कहा गया है कि कॉन्टेट मॉडरेशन के सिस्टम में पारदर्शिता लाई जानी चाहिए. 

ओवरसाइट बोर्ड के सह-अध्यक्ष हेले थॉर्निंग-श्मिट ने चिंता व्यक्त की है कि मेटा का दृष्टिकोण पत्रकारिता और पब्लिक डिस्कोर्स को प्रभावित करता है. क्योंकि मीडिया संगठन और कमेंटेटर कॉन्टेट हटाने से बचने के लिए नामित संस्थाओं पर रिपोर्टिंग करने से कतरा सकते हैं.

पक्षपाती है मेटा?

मेटा पर अरबी यूजर्स के प्रति पक्षपातपूर्ण मॉडरेशन के आरोप लग रहे हैं. लेकिन यह पहली बार नहीं है. इसके पहले एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि फिलिस्तीनी अरबी के लिए मेटा का कॉन्टेट मॉडरेशन सटीक नहीं था और इसके चलते गलत तरीके से अकाउंटस को सस्पेंड किया गया था. फिर 2023 में इंस्टाग्राम पर फिलिस्तीनी यूजर्स की प्रोफाइल में स्वचलित अनुवाद की वजह से ‘आतंकवादी’ शब्द लग जा रहा था. इसके लिए मेटा को माफी भी मांगनी पड़ी थी.

मेटा के पास अब इन सिफारिशों पर प्रतिक्रिया देने के लिए दो महीने का वक्त है. हालांकि, इन सिफारिशों को लागू होने में ज्यादा समय लगने की उम्मीद है. 

मेटा के एक प्रवक्ता ने कहा कि वो यूजर्स की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हैं, निष्पक्ष नीति के प्रयोग का प्रयास करते हैं. 

वीडियो: फेसबुक-मेटा क्यों छीन रहा नौकरी, कनाडा गए भारतीय की पोस्ट वायरल, जकरबर्ग क्या बोल रहे?