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कोलकाता में टेस्ट कराने वाला हर दूसरा शख़्स कोरोना पॉजिटिव, डॉक्टर और डराने वाली बात बोले

पश्चिम बंगाल में कोरोना से आंख फेरकर हुई चुनावी रैलियों के कारण इतनी तेजी से बढ़े केसेज?

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बेड की कमी के चलते कोलकाता के एक सरकारी अस्पताल के सामने बैठा कोविड पेशेंट का परिवार. Photo : PTI
पश्चिम बंगाल में विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं. 6 चरण के चुनाव हो चुके हैं. 26 अप्रैल और 29 अप्रैल को दो चरणों के चुनाव बाकी हैं. लेकिन ताबड़तोड़ रैलियों के बीच राज्य में कोरोना के केसेज़ बढ़ने का जो डर था, वो सही साबित होता नज़र आ रहा है. 24 अप्रैल को राज्य में रिकॉर्ड 14 हज़ार से ज्यादा कोरोना के नए मामले सामने आए हैं. इस दौरान 24 घंटे में 59 लोगों की मौत भी हुई है. इससे राज्य में कोरोना से हुए अब तक कुल मौतों की संख्या 10,884 पहुंच गई है. 'टाइम्स ऑफ इंडिया' अख़बार की 25 अप्रैल की रिपोर्ट के मुताबिक़ पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में कोरोना ने अपना खौफ़नाक रूप अख्तियार कर लिया है. कोरोना जांच के लिए होने वाले RT-PCR टेस्ट कराने वाले हर दूसरे शख़्स में एक की रिपोर्ट पॉजिटिव आ रही है. जबकि पूरे राज्य में हर चार टेस्ट करवाने वाले शख़्स में एक की रिपोर्ट पॉजिटिव आ रही है. अख़बार ने राज्य में RT-PCR टेस्ट कर रहे एक बड़े लेबोरेट्री के डॉक्टर के हवाले से लिखा है-
"कोलकाता और आसपास के इलाकों में कोरोना टेस्ट करने वाले लेबोरेट्रीज में 45% से 55% तक की पॉजिटिविटी रेट सामने आ रही है. जबकि राज्य के दूसरे हिस्सों में ये 24% के आसपास है, जो इस महीने की शुरुआत में सिर्फ 5% थी."
कम लक्षण वाले मरीज नहीं करवा रहे टेस्ट TOI की रिपोर्ट में राज्य सरकार के अस्पताल में काम करने वाले एक डॉक्टर कहते हैं कि ये तो सिर्फ़ एक नमूना है. उनका कहना है कि असल में पॉजिटिविटी रेट इससे कहीं ज़्यादा होगी. कई सारे कम लक्षण और बिना लक्षण वाले मरीज होंगे जो टेस्ट नहीं करवा रहे हैं. उनका मानना है कि बंगाल में टेस्टिंग कम हो रही है. बंगाल में और अधिक टेस्ट करने की जरूरत है. क्या कहते हैं सरकारी आंकड़ें? पश्चिम बंगाल सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक़, 1 अप्रैल 2021 को बंगाल में 27 हज़ार 766 टेस्ट हुए थे, जिसमें 1,274 पॉजिटिव मामले सामने आए थे. जिसकी पॉजिटिविटी रेट 4.9% थी. वहीं पिछले 24 घंटे यानी 24 अप्रैल को 55 हज़ार 60 कोरोना सैंपल टेस्ट किए गए हैं जिसमें 14 हज़ार 281 सैंपल पॉजिटिव पाए गए हैं. इसकी पॉजिटिविटी रेट 25.9% है. रिपोर्ट के मुताबिक़, माइक्रोबायोलॉजिस्ट भास्कर नारायण चौधरी का मानना है कि कोलकाता के सभी लैब्स में अप्रैल के दूसरे सप्ताह से पॉजिटिविटी रेट में 20% तक का इज़ाफा देखा गया है और ये लगातार बढ़ रहा है. ऐसी स्थिति पिछले साल दुर्गा पूजा के बाद भी देखी गई थी. तब पॉजिटिविटी रेट 30% के आसपास थी. लेकिन इस बारे पॉजिटिविटी रेट ने पिछले सारे रिकॉर्ड्स तोड़ दिए हैं. प्रचार के लिए चुनाव आयोग ने जारी की थी नई गाइडलाइन इससे पहले कोरोना के बढ़ते मामलों के देखते हुए चुनाव आयोग ने 22 अप्रैल को बंगाल में प्रचार के लिए नई गाइडलाइंस जारी की थी. इसमें रोड शो, पद यात्रा और बड़ी रैलियों पर रोक लगा दी गई थी. सोशल डिस्टेंसिंग के साथ अधिकतम 500 लोगों को रैली में शामिल होने की इजाजत दी गई थी. लेकिन राजनीतिक पार्टियां कहां मानने वाली हैं. 'द हिंदू' अखबार की 24 अप्रैल की रिपोर्ट के मुताबिक, चुनाव आयोग ने शनिवार 24 अप्रैल को एक रिव्यू मीटिंग की थी. मीटिंग के बाद आयोग ने कहा कि चुनाव प्रचार में कोरोना प्रोटोकॉल का ठीक से पालन नहीं किया जा रहा है. चुनाव आयोग ने राज्य आपदा प्रबंधन विभाग को राज्य में कोरोना प्रोटोकॉल सख़्ती से पालन कराने का निर्देश दिया. नज़र यही आ रहा है कि किसी भी गाइडलाइन या रोक के लिए पर्याप्त देर हो चुकी है. हर दूसरी रिपोर्ट पॉजिटिव आने और डॉक्टर्स के मामलों के बढ़ने की आशंका वाली बात स्पष्ट करती है कि पश्चिम बंगाल को लापरवाही की क्या कीमत चुकानी पड़ रही है.