स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी नई गाइडलाइन
नई गाइडलाइन में मंत्रालय ने इलाज की शुरुआत में ही स्टेरॉयड दवाओं के ज्यादा इस्तेमाल से होने वाले खतरे के बारे में बताते हुए कहा है,
"अगर एंटी-इंफ्लेमेटरी या इम्यूनोमॉड्यूलेटरी थेरेपी (जैसे स्टेरॉयड) का इस्तेमाल ज्यादा लंबे समय तक किया जाए या इसकी खुराक बढ़ा दी जाए तो इससे इनवेसिव म्यूकोर्मिकोसिस (Invasive Mucormycosis) जैसे सेकेंडरी इन्फेक्शन का खतरा हो सकता है."इसके साथ ही मंत्रालय की कोविड टास्क फोर्स के मुताबिक ऐसे कोरोना मरीज जिन्हें ऑक्सीजन सप्लीमेंट की जरूरत नहीं है, उनको स्टेरॉयड के इन्जेक्शन की जरूरत नहीं है. मंत्रालय ने बताया कि,
कोविड-19 से संक्रमित मरीजों में अगर लक्षण हल्के हैं तो उनको घर पर ही आइसोलेशन में रखा जाए,गाइडलाइंस के मुताबिक मरीज के लक्षण हल्के हैं, मध्यम हैं या गंभीर, ये तय करने के लिए उसके ऑक्सीजन के स्तर और सांस लेने की दर को ध्यान में रखा जाए.
जिन मरीजों में मध्यम स्तर के लक्षण हैं उनको कोविड केयर वार्ड में भर्ती किया जाए,
और गंभीर लक्षण वाले मरीजों को आईसीयू में रखा जाए.
इससे पहले नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने स्टेरॉयड सहित कोविड दवाओं के ज्यादा इस्तेमाल और दुरुपयोग को लेकर चेतावनी भी दी थी. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक डॉ. पॉल ने कहा था, “इस बात की चिंता है कि हम जो भी दवाएं देते हैं, उनका तर्कसंगत इस्तेमाल किया जाना चाहिए. हद से ज्यादा इस्तेमाल ठीक नहीं. पिछली बार हमने देखा था कि दवाइयों के ओवर यूज से म्यूकोर्मिकोसिस का खतरा बढ़ गया था. ये बेहद डरावनी स्थिति थी."