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डेल्टा और ओमिक्रॉन के बाद अब ये डेल्मिक्रॉन क्या बला है?

अमेरिका-यूरोप में कोरोना केसों की नई सुनामी के लिए डेल्मिक्रॉन को जिम्मेदार बताया जा रहा.

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तस्वीर Unsplash.com से साभार है.
कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट ने जो कहर बरपाया, उससे दुनिया उभर ही रही थी कि ओमिक्रॉन वेरिएंट ने हर किसी की चिंता बढ़ा दी. कई देशों में इसके केस बढ़ते जा रहे हैं. खासतौर पर दक्षिण अफ्रीका और यूरोप में इसके भावी असर को लेकर सरकारें डरी हुई हैं. भारत में भी ये नया वेरिएंट अपना असर दिखा ही रहा था कि इस बीच डेल्मिक्रॉन की बात हो रही है. अब ये Delmicron क्या बला है? डेल्मिक्रॉन कोरोना वायरस के डेल्टा और ओमिक्रॉन वेरिएंट के स्पाइक प्रोटीन का मिश्रण है. हाल ही में अमेरिका और यूरोप में कोरोना वायरस के नए मामलों की जो सुनामी आई है, उसके पीछे डेल्मिक्रॉन को ही जिम्मेदार माना जा रहा है. अमेरिका में स्वास्थ्य मामलों से जुड़ी शीर्ष एजेंसी सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के मुताबिक, बीते दो हफ्तों में देश में ओमिक्रॉन के मामले बहुत तेजी से बढ़े हैं. दो हफ्ते पहले जहां कुल कोरोना मामलों में ओमिक्रॉन वेरिएंट का हिस्सा तीन फीसदी था, वहीं अब ये बढ़कर 73 फीसदी हो गया है. सीडीसी ने बताया कि अमेरिका के कई इलाकों में तो ये हिस्सा 90 फीसदी के आसपास है. इसी तरह ब्रिटेन में बीते 24 घंटों में एक लाख 6 हजार से अधिक कोरोना मामले सामने आए हैं. ये महामारी शुरू होने के बाद से ब्रिटेन में एक दिन में दर्ज हुए कोरोना मामलों का सबसे बड़ा आंकड़ा है. वहां तो ओमिक्रॉन 13 लोगों की जान भी ले चुका है. इस बीच लोगों को बूस्टर डोज दिया जा रहा है. डेल्मिक्रॉन के खतरे की आशंका भारत में भी जताई जा रही है. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, डॉक्टर शशांक जोशी का कहना है कि भारत में डेल्टा वेरिएंट काफी फैला हुआ है, ऐसे में अभी ये देखना होगा कि यहां ओमिक्रॉन वेरिएंट किस तरह से व्यवहार करता है. डॉक्टर शशांक जोशी महाराष्ट्र सरकार द्वारा बनाई गई कोविड टास्क फोर्स के सदस्य हैं. दूसरी तरफ, देश के शीर्ष वायरोलॉजिस्ट डॉक्टर शाहिद जमील का मानना है कि ओमिक्रॉन वेरिएंट, डेल्टा की तरह देश को प्रभावित नहीं करेगा. मीडिया से बात करते हुए डॉक्टर जमील ने कहा कि भारत ने कोविड-19 की बहुत बुरी दूसरी लहर देखी. इसकी वजह से ज्यादातर लोग वायरस के डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित हो गए. ऐसे में ओमिक्रॉन वेरिएंट ज्यादा प्रभाव नहीं डालेगा. वहीं कई अध्ययनों में ये निष्कर्ष निकला है कि डेल्टा वेरिएंट के मुकाबले, ओमिक्रॉन वेरिएंट लोगों को गंभीर रूप से बीमार नहीं कर रहा है. ऐसे में लोगों को अस्पताल में भर्ती कराने और इंटेस मेडिकल केयर की जरूरत नहीं पड़ रही है. वापस से डेल्मिक्रॉन पर आते हैं, तो ये कोरोना वायरस का कोई नया वेरिएंट नहीं हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन से लेकर भारत के ICMR तक ने अभी इस शब्द का प्रयोग नहीं किया है.