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जहांगीरपुरी दंगा केस में दिल्ली पुलिस ने आरोपियों की पोज़ दिलवाकर फ़ोटो खिंचवाई!

सटीक नतीजों के लिए आरोपियों को उसी पोज में खड़ा कर तस्वीरें ली, जिस पोज में वो सीसीटीवी कैमरे में कैप्चर किए गए थे.

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जहांगीरपुरी हिंसा (फोटो- आजतक)

चार महीने पहले दिल्ली (Delhi) के जहांगीरपुरी (Jahangirpuri) में हुए दंगों में शामिल 37 आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ चार्जशीट फाइल की गई. खबर है कि इनमें से 25 आरोपियों को रोहिणी में फोरेंसिक साइंस लैब (FSL) में FRS (Facial Recognition System) के लिए पेश किया गया है. आरोपी वाकई दंगों में शामिल थे या नहीं, इसकी पुष्टि के लिए फेशियल रिकग्निशन सिस्टम यानि FRS का इस्तेमाल जाता है. इस सिस्टम के जरिए मौके पर मौजूद सीसीटीवी फुटेज में दिखने वाले लोगों से आरोपियों के चेहरे मैच किए जाते हैं. इन तस्वीरों को ही बाद में सबूत के तौर पर अदालत में पेश किया जाएगा.

दिल्ली पुलिस ने अपनाया नायाब तरीका

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस पुष्टि के लिए नया तरीका अपना रही है. आम तौर पर FRS के लिए आरोपियों की ऑफिशियल आईडी और उनके चेहरे की तस्वीरों से फुटेज को मैच किया जाता है. लेकिन दिल्ली पुलिस ने ज्यादा सटीक नतीजों के लिए आरोपियों को उसी पोज में खड़ा कर तस्वीरें ली जिस पोज में वो कथित तौर पर सीसीटीवी कैमरे में कैप्चर किए गए थे.

2020 में भी FRS इस्तेमाल किया गया 

2020 में भी दिल्ली में हुए दंगों के दौरान पुलिस ने FRS का इस्तेमाल किया था लेकिन बाद में केंद्रीय सूचना आयोग ने इस टेक्नोलॉजी की सटीकता और इसके इस्तेमाल पर सवाल खड़े किए और सिस्टम को वापस ले लिया गया. सूत्रों के मुताबिक, इस बार क्राइम ब्रांच ने स्थानीय अदालत से अनुमति लेकर FRS का इस्तेमाल किया है.

बता दें अप्रैल में हनुमान जयंती के दिन जहांगीरपुरी में झड़प हुई थी, जिसमें पुलिसकर्मियों सहित 8-9 लोग घायल हो गए थे. प्रारंभिक गिरफ्तारी उत्तर पश्चिमी जिले में पुलिस ने की गई थी. फिर बाद में क्राइम ब्रांच ने आगे की गिरफ्तारी के लिए FRS का इस्तेमाल किया.

प्रक्रिया के बारे में बताते हुए एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा-

“जहांगीरपुरी की गलियों से बरामद सीसीटीवी फुटेज अच्छी क्वालिटी की थी. इससे हमें आरोपियों की पहचान करने में मदद मिली. उनकी मौजूदगी की पुष्टि के लिए हमने अदालत से FRS की अनुमति ली और आरोपी को रोहिणी के FSL ले गए. उन्हें उसी तरह से पोज देने के लिए कहा गया जिस तरह से वे फुटेज में पाए गए थे. इससे हमें सफल गिरफ्तारी करने में मदद मिली.”

इसके नतीजे आने में समय लगता है. वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि पूरी प्रक्रिया 7-8 दिनों में की गई थी, जिसमें हर दिन तिहाड़ जेल से आरोपियों को FSL ले जाया जाता था.

अधिकारी ने आगे बताया-

“FRS से हमें उन लोगों की पहचान करने में भी मदद मिली, जो हथियार ले जा रहे थे और भीड़ को भड़का रहे थे. सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल वीडियो के विश्लेषण से भीड़ में व्यक्तियों की गतिविधियों का भी पता चला. डंडे, ईंट और पत्थर ले जाने वाले व्यक्तियों को देखा गया और उनकी तस्वीरें सीसीटीवी से ली गई.”

पुलिस का दावा है कि तीन आरोपी मोहम्मद अंसार, तबरेज़ खान और इशराफिल कथित तौर पर प्रमुख साजिशकर्ता हैं. अंसार और तबरेज को गिरफ्तार कर लिया गया है जबकि इशराफिल अभी भी फरार है. 

देखें वीडियो- कौन है इशरत जहां जिन्हें दिल्ली दंगे के केस में जमानत मिला है?