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गिरफ्तारी में चीटिंग करने वाली यूपी पुलिस को दिल्ली हाई कोर्ट ने फिर उलटा टांग दिया

इसी मामले में कोर्ट ने पिछले साल यूपी पुलिस से कहा था- ये सब दिल्ली में नहीं चलेगा.

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दिल्ली हाई कोर्ट ने यूपी पुलिस को जमकर फटकार लगाई है. (सांकेतिक तस्वीर- India Today)
बीते दिन यानी 18 जनवरी को दिल्ली हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश की पुलिस को जमकर फटकार लगाई. कोर्ट में दो व्यक्तियों की गिरफ्तारी की जगह और समय के बारे में फर्जीवाड़ा करने के मामले की सुनवाई हो रही थी. इस दौरान हाई कोर्ट ने कहा,
दस्तावेजों का पूरा फर्जीवाड़ा किया गया है. A से लेकर Z तक हर दस्तावेज फर्जी है. जांच कठोर हो सकती है, लेकिन आप दस्तावेजों में हेराफेरी नहीं कर सकते.
क्या है मामला? इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक एक जुलाई 2021 को उत्तर प्रदेश के शामली की रहने वाली एक लड़की ने दिल्ली के एक युवक से शादी की. लड़की का परिवार शादी के विरोध में था. उन्होंने लड़के के परिवार पर IPC की धारा 366 यानी महिला को बहला-फुसला कर उससे इच्छा विरुद्ध शादी करने और अपहरण का मुकदमा दर्ज करा दिया. 8 सितंबर 2021 को उत्तर प्रदेश पुलिस ने युवक के भाई और पिता को शामली के बस स्टैंड से गिरफ्तार करने का दावा किया. पुलिस के दावे को निराधार बताते हुए दंपती ने अक्टूबर में दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की. याचिका में दंपती ने दावा किया कि उन्होंने अपनी मर्जी से शादी की है और पुलिस ने युवक के पिता और भाई को शामली से नहीं, बल्कि दिल्ली स्थित उनके घर से 6 सितंबर को गिरफ्तार किया था. कोर्ट की फटकार के बाद बनी SIT अक्टूबर में मामले की सुनवाई शुरू हुई तो दिल्ली हाई कोर्ट ने यूपी पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा था,
इस तरह के अवैध कार्यों के लिए दिल्ली में अनुमति नहीं दी जाएगी. ये सब यहां नहीं चलेगा. दिल्ली में आप अवैध काम नहीं कर सकते.
दिल्ली हाई कोर्ट की सख्ती के बाद नवंबर 2021 में यूपी पुलिस ने युवक के पिता और भाई को रिहा किया और उनके खिलाफ दर्ज मामले को निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू की. यूपी पुलिस ने गिरफ्तारी मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) बनाया और एक SHO और जांच अधिकारी (IO) समेत आरोपी पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया. SIT की जांच में पता चला कि 6 सितंबर 2021 को शामली पुलिस के एसआई, आईओ कॉन्स्टेबल के साथ शाम करीब 6 बजे नई दिल्ली स्थित युवक के घर आए थे. वहां से 3 पुलिसकर्मी युवक के पिता और भाई को शामली लेकर गए. इसके बाद लड़की के परिवार के साथ समझौता सफल न होने पर 8 सितंबर 2021 को शामली के एक बस स्टैंड से दोनों को गिरफ्तार दिखा दिया गया और जेल भेज दिया गया. लीगल मामलों से जुड़ी न्यूज वेबसाइट लाइव लॉ के मुताबिक 19 जनवरी को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा,
उन्हें यहां से ले जाने के लिए पुलिस अधिकारी दिल्ली आता है. वो स्थानीय पुलिस को सूचना नहीं देता है. ये नहीं बताता है कि उन्हें ले जाया जा रहा है. और उन्हें वहां ले जाने के बाद, उनकी गिरफ्तारी को वहां दिखाया गया है. किसी को ले जाएं. एक जगह से उठाएं. उसे अवैध रूप से वहां ले जाएं और फिर गिरफ्तारी दिखाएं. दस्तावेजों की लापरवाही और फर्जीवाड़ा दो अलग-अलग चीजें हैं. जांच में ढिलाई अपराध नहीं है, लेकिन आपने दस्तावेज का फर्जीवाड़ा किया.
कोर्ट ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा,
FIR से ही पता चलता है कि लड़की बालिग है. लेकिन इसके बावजूद पुलिसकर्मियों ने उससे बात करने की कोशिश नहीं की. अगर कोई बालिग लड़की अपनी मर्जी से जाए और शादी कर ले तो ये कोई अपराध नहीं है. ये अपहरण का मामला भी नहीं है और अपहरण के लिए उकसाने की तो बात ही नहीं है.
होगी अनुशासनात्मक कार्यवाही उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद ने कोर्ट में कहा कि अनुशासनात्मक कार्यवाही के तहत दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और उन्हें जांच का सामना करना होगा. कोर्ट ने विस्तृत जांच करने और सच्चाई का पता लगाने के लिए यूपी पुलिस के SIT के प्रयास की सराहना की. उसने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता ने दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही है इसलिए कोर्ट कोई आदेश पारित नहीं कर रहा. हालांकि अगर परिवार चाहे तो वो दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए स्वतंत्र है.