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मोहल्ला क्लीनिक की दवा से 3 बच्चों की मौत होने का आरोप, 3 डॉक्टर बर्खास्त

केंद्र सरकार के अधिकारी के पत्र के बाद सामने आया मामला.

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बच्चों की मौत के बाद दिल्ली सरकार की तरफ से चलाए जाने वाले Mohalla Clinic के डॉक्टरों की योग्यता पर सवाल उठ रहे हैं. (फाइल फोटो: पीटीआई)
दिल्ली में आम आदमी पार्टी के महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट मोहल्ला क्लीनिक को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. आरोप है कि मोहल्ला क्लीनिक में मिली दवा से तीन बच्चों की दिल्ली के लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज में मौत हो गई. बताया गया है कि तीनों बच्चों की मौत एक ही दवा से हुई है, जो उन्हें तीन अलग-अलग मोहल्ला क्लीनिक के डॉक्टरों ने प्रिस्क्राइब की थी. खबरों के मुताबिक ये दवा कुल 16 बच्चों को दी गई थी. हालत बिगड़ने पर उन्हें लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के कलावती सरन हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. इन बच्चों को जो दवा दी गई, उसका नाम डेक्स्ट्रोमेथॉर्फन (Dextromethorphan) बताया गया है. ये पूरा मामला केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत काम करने वाले स्वास्थ्य सेवाओं के महानिदेशक (DGHS) डॉक्टर सुनील कुमार के पत्र के बाद सामने आया है. डॉक्टर सुनील कुमार ने 7 दिसंबर को दिल्ली सरकार को ये पत्र लिखा था. इसमें उन्होंने कहा था कि दिल्ली सरकार मोहल्ला क्लीनिकों में काम करने वाले डॉक्टरों को नोटिस जारी करे और बच्चों को डेक्स्ट्रोमेथॉर्फन दवा ना देने के लिए कहे.

'बिना सोचे समझे दी दवा'

अपने पत्र में डॉक्टर सुनील कुमार ने लिखा कि मोहल्ला क्लीनिक के इन डॉक्टरों ने बिना कुछ सोचे समझे इस दवा को बच्चों को देने की सलाह दी है, जबकि ये दवा चार साल से कम बच्चों को नहीं दी जाती है. उनके लिए ये पूरी तरह से बैन है. उन्होंने अपने पत्र में आगे कहा कि इस दवा को ओमेगा फार्मास्यूटिकल्स की तरफ से बनाया जाता है. डॉक्टर सुनील कुमार ने सलाह दी कि दिल्ली सरकार ओमेगा फार्मास्यूटिकल्स की तरफ से बनाई जा रही इस दवा को बाजार से हटा दे.

विपक्ष के निशाने पर केजरीवाल सरकार

तीन बच्चों की मौत के बाद अब इस पूरे मामले में विपक्ष केजरीवाल सरकार से जवाब मांग रहा है. इंडिया टुडे से जुड़े सुशांत मेहरा की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने दिल्ली सरकार के मोहल्ला क्लीनिक मॉडल पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा,
"मोहल्ला क्लीनिक पर हर साल 400 करोड़ रुपये खर्च होते हैं. ये पूरी रकम भ्रष्टाचार में जाती है. जिस दवा को बच्चों को नहीं दिया जाना चाहिए था, वो उन्हें दी गई. जिस मोहल्ला क्लीनिक मॉडल का गुणगान अरविंद केजरीवाल उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और दूसरे राज्यों में करते हैं, उससे मामूली खांसी का भी इलाज नहीं हो पा रहा है. मोहल्ला क्लीनिक फेल हैं और भ्रष्टाचार का केंद्र हैं. अरविंद केजरीवाल बस मोहल्ला क्लीनिक के बाहर अपने पोस्टर लगवाते हैं. बच्चों के जीने-मरने से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता."
आदेश गुप्ता ने दिल्ली सरकार को 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया है. कहा कि 48 घंटे के बाद वो खुद आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज कराएंगे. साथ ही साथ आदेश गुप्ता ने दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री के इस्तीफे की मांग भी की है. उन्होंने कहा कि अगर अरविंद केजरीवाल भी दिल्ली को नहीं चला सकते, तो उन्हें भी इस्तीफा दे देना चाहिए. आदेश गुप्ता ने मोहल्ला क्लीनिक के डॉक्टर और स्टाफ की योग्यता की जांच की मांग भी की है. वहीं कांग्रेस पार्टी ने भी दिल्ली सरकार की जवाबदेही मांगी. पार्टी के यूथ विंग ने डॉक्टर सुनील कुमार के पत्र को ट्वीट किया है और इसे मोहल्ला क्लीनिक के डॉक्टरों की हकीकत बताया है. अपने ट्वीट में यूथ कांग्रेस ने लिखा,
"जो दवा बच्चों को नहीं दी जानी चाहिए, वो उन्हें दी गई. इसकी वजह से तीन बच्चों की जान चली गई. ये मोहल्ला क्लीनिक के डॉक्टरों की अयोग्यता को दिखाता है. केजरीवाल को इस्तीफा दे देना चाहिए."
वहीं इस मामले पर दिल्ली सरकार बयान भी आ गया है. आजतक की खबर के मुताबिक दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने बताया कि इस मामले में तीन डॉक्टरों को बर्खास्त कर दिया गया है. इसके अलावा 4 सदस्यों की एक कमेटी का गठन किया गया है जो पूरे मामले की जांच करके जल्दी ही अपनी रिपोर्ट देगी.

कब और किसे दी जाती है डेक्स्ट्रोमेथॉर्फन?

सुशांत मेहरा की रिपोर्ट के मुताबिक ये दवा खांसी के लिए दी जाती है, वो भी तब जब खांसी बहुत ज्यादा आ रही हो. इस दवा को देने के लिए बहुत सावधानी बरतनी होती है. चार साल से कम उम्र के बच्चों को ये दवा नहीं दी जाती. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के जॉइंट सेक्रेटरी डॉक्टर अनिल गोयल की माने तो इस दवा को संतुलित डोज में देना चाहिए. डॉक्टर गोयल के मुताबिक, इस दवा को लेने के बाद मरीज को पानी नहीं पीना चाहिए. दवा देते वक्त डॉक्टर की तरफ से दूसरी सलाह भी दी जाती हैं.