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बुल्ली बाई के 'मास्टरमाइंड' की जमानत याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने क्या कहा?

बुल्ली बाई ऐप के जरिए मुस्लिम महिलाओं का ऑनलाइन नीलामी की गई.

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कोर्ट ने कहा, ये काम समाज के सांप्रदायिक सद्भाव पर बुरा प्रभाव डालने वाला है
बुल्ली बाई एप्लीकेशन के कथित मास्टरमाइंड नीरज बिश्नोई की जमानत अर्जी खारिज कर दी गई है. दिल्ली की सेशंस कोर्ट ने कहा कि एक विशेष समुदाय की महिलाओं को निशाना बनाना, सामाजिक मंचों पर आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करना ना केवल नारीत्व का अपमान है, बल्कि सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने का प्रयास है. असम से गिरफ्तार हुआ था आरोपी 'बुल्ली बाई' एप्लिकेशन के कथित मास्टरमाइंड और डेवलपर नीरज बिश्नोई को असम से गिरफ़्तार किया गया था. वह इस मामले में गिरफ़्तार होने वाला चौथे व्यक्ति था. नीरज को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था. बाक़ी तीन को मुंबई पुलिस ने गिरफ़्तार किया. आरोपी ने दिल्ली की एक अदालत में जमानत याचिका डाली हुई थी. ANI की रिपोर्ट के मुताबिक़, जज धर्मेंद्र राणा ने कहा,
"ये काम निश्चित रूप से उस समाज के सांप्रदायिक सद्भाव पर बुरा प्रभाव डालने वाला है, जहां प्राचीन काल से महिलाओं को पूजा गया हो. आरोपी के कृत्य को कोई भी सभ्य समाज स्वीकार नहीं करेगा और कथित अपराध के तौर-तरीक़ों से इस काम की सफ़ाई और योजनाबद्ध तरह से किए जाने का पता चलता है."
जज धर्मेंद्र राणा ने आगे कहा,
"अपराध की गंभीरता और जांच के शुरुआती चरण को देखते हुए, मुझे आवेदन में कोई योग्यता नहीं मिलती है और इसलिए इसे ख़ारिज किया जाता है."
पुलिस अधिकारियों ने जांच के आधार पर कहा कि बिश्नोई ने पहले भी स्कूलों और विश्वविद्यालयों की वेबसाइट्स हैक की हैं. सीहोर के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) समीर यादव ने न्यूज़ एजेंसी पीटीआई को बताया था कि कॉलेज के अधिकारियों के अनुसार, बिश्नोई बी.टेक सेकेंड ईयर का छात्र है और कोरोना की वजह से अभी तक उसने केवल ऑनलाइन क्लास अटेंड की हैं. इससे पहले 14 जनवरी को दिल्ली की एक अदालत ने बिश्नोई की ज़मानत ख़ारिज कर दी थी. अदालत ने तब कहा था,
"आरोपी का काम साफ़ तौर पर एक विशेष समुदाय की महिलाओं की गरिमा और समाज के सांप्रदायिक सद्भाव का अपमान है."
'बेटा निर्दोष है' वहीं नीरज के पिता दशरथ बिश्नोई ने दावा किया कि उनका बेटा निर्दोष है. उसने कुछ भी ग़लत काम नहीं किया है. उन्होंने दिल्ली पुलिस टीम को भी बताया कि उसके फोटो का इस्तेमाल कर उसे फंसाया गया है. उन्होंने आगे कहा,
“मेरे बेटे ने सेंट मैरी स्कूल से 86 प्रतिशत अंकों के साथ दसवीं कक्षा की परीक्षा उत्तीर्ण की थी. उसके बाद ही उसे राज्य सरकार से एक लैपटॉप मिला. हमारी आर्थिक स्थिति इतनी सही नहीं थी कि हम अपने बेटे के लिए एक कंप्यूटर खरीद सकते.”
एएसपी ने ये भी बताया कि कॉलेज के अधिकारियों के अनुसार नीरज एक मेधावी छात्र था.