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फिलीपींस में पढ़ रहे हजारों भारतीय मेडिकल छात्रों का भविष्य संकट में क्यों है?

विदेश जाकर पढ़ाई करने वाले मेडिकल स्टूडेंट. बीते दिनों ये कीवर्ड खूब चर्चा में रहा.

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विदेश जाकर पढ़ाई करने वाले मेडिकल स्टूडेंट. बीते दिनों ये कीवर्ड खूब चर्चा में रहा. वजह थी रूस और यूक्रेन के बीच जंग. इस जंग में करीब 20 हजार भारतीय मेडिकल स्टूडेंट फंस गए थे. उन्हें वापस लाने के लिए भारत सरकार ने ऑपरेशन गंगा शुरू किया और सकुशल वापस भी लाई. अब एक बार फिर से विदेश जाकर मेडिकल डिग्री लेने वाले छात्र चर्चा में हैं. लेकिन इस बार यूक्रेन नहीं, बल्कि फिलीपींस (Philippines) में पढ़ने वाले भारतीय छात्रों की चर्चा है. जिनकी मुश्किलें NMC यानी नेशनल मेडिकल काउंसिल के एक फैसले ने बढ़ा दी हैं. 

क्या है पूरा मामला?

दरअसल FMGL रेगुलेशन 2021 (विदेशी चिकित्सा स्नातक लाइसेंस विनियम) लागू होने के बाद भारतीय मेडिकल स्टूडेंट्स की मुसीबतें बढ़ गई हैं. इस संबंध में 18 नवंबर, 2021 को NMC ने FMGL रेगुलेशन 2021 लागू किया था. इसके मुताबिक उन छात्रों को भारत में MBBS कोर्स के बराबर मान्यता नहीं दी जा सकती, जिन्होंने विदेश में किसी भी मेडिकल कोर्स में एडमिशन लिया हो. साथ ही उन्हें भारत में मेडिसिन प्रैक्टिस के रजिस्ट्रेशन के योग्य भी नहीं माना जा सकता है. हालांकि ये नियम उन स्टूडेंट्स पर लागू नहीं होगा जिन्होंने FMGL रेगुलेशन 2021 आने से पहले एडमिशन लिया हो. उन्हें कुछ शर्तें पूरी करने के बाद रजिस्ट्रेशन के योग्य मान लिया जाएगा.

अब हुआ ये कि फिलीपींस में बीएस की पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए भारतीय दूतावास ने जिस विशेष राहत की मांग की थी उसे NMC ने ठुकरा दिया है. उसने 10,000 से ज्यादा भारतीय मेडिकल छात्रों को राहत देने से इंकार कर दिया है.

फिलीपींस में BS और MD दो अलग-अलग कोर्स हैं. इसे ऐसे समझने की कोशिश करें- फिलीपींस में BS कोर्स एक प्री- मेडिकल कोर्स है. इसे पूरा करने के बाद फिलीपींस में मेडिकल छात्रों को MD कोर्स में दाखिला लेना पड़ता है. इसके लिए NMAT एग्जाम  पास करना होता है. ये एमडी कोर्स ग्रेजुएट या प्राइमरी मेडिकल कोर्स होता है. और इसे ही MBBS के बराबर माना जाता है. इसकी ड्यूरेशन 4 साल की होती है. लेकिन NMC के हालिया नोटिफिकेशन के मुताबिक, फिलीपींस के BS कोर्स को MBBS के बराबर नहीं रखा जा सकता है. क्योंकि इसमें जीव विज्ञान के विषय शामिल हैं जो 11वीं और 12वीं कक्षाओं के विषयों के बराबर हैं.

18 नवंबर से पहले एडमिशन लेने वाले को नुकसान नहीं  

भारतीय दूतावास ने फिलीपींस में बीएस कोर्स कर रहे छात्रों को अकादमिक और वित्तीय नुकसान से बचाने के लिए NMC को पत्र लिखा था. इसमें उससे एक विशेष छूट पर विचार करने की अपील की गई थी. करीब ढाई महीने बाद 22 फरवरी 2022 को NMC ने अपने रेगुलेटरी प्रावधान को दोहराया और कोई छूट देने से इनकार कर दिया. उसने कहा कि ये नियम उन स्टूडेंट्स को प्रभावित नहीं करेगा जिन्होंने 18 नवंबर, 2021 से पहले एमडी कोर्स में एडमिशन लिया था. हालांकि, नए नियम के अनुसार उन छात्रों को राहत देने से इनकार किया गया है, जो बीएस बायोलॉजी कर रहे हैं.

भारत में एग्जाम पास करना है मुश्किल

NMC के हालिया निर्णय के बाद भारत में डॉक्टर बनने की इच्छा रखने वालों युवाओं के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी हो गई है. क्योंकि NEET परीक्षा में कड़ी प्रतिस्पर्धा और कॉलेजों की महंगी फीस के चलते छात्र विदेशों में MBBS की डिग्री पाना पसंद करते थे. लेकिन इस नियम के बाद उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं. नवभारत टाइम्स की खबर के मुताबिक हर साल 20 से 25 हजार छात्र विदेशों में मेडिकल की पढ़ाई करने के लिए जाते हैं, जबकि 8 लाख स्टूडेंट्स नीट क्वालिफाई करते हैं.

विदेशों से मेडिकल की डिग्री प्राप्त करने वाले छात्रों को भारत में मेडिकल प्रैक्टिस करने के लिए विदेशी चिकित्सा स्नातक परीक्षा (FMGE) का एग्जाम पास करना जरूरी होता है. ये एग्जाम साल में दो बार होता है और इसमें सफलता की दर बेहद कम है. नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन FMGE आयोजित करता है. ये एक तरह का स्क्रीनिंग टेस्ट होता है जिसमें 50 पर्सेंट नंबर लाना जरूरी है. ये एग्जाम अलग-अलग देशों की मेडिकल यूनिवर्सिटी में डिफरेंस होने की वजह से कराया जाता है. इस परीक्षा में सफलता हासिल करने के बाद ही भारत में प्रैक्टिस करने की इजाजत मिलती है.

विदेशों में पढ़ाई करने की क्या है वजह?

भारत में अच्छे मेडिकल कॉलेज हैं. इसके बावजूद भारतीय छात्रों को अपनी पढ़ाई मुकम्मल करने के लिए विदेशी मेडिकल कॉलेजों का सहारा लेना पड़ता है. इनमें सबसे ज्यादा छात्र यूक्रेन, रूस और चीन में पढ़ाई करने के लिए जाते हैं. इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह कम फीस और विदेशों में आसानी से एडमिशन मिल जाना. कम प्रतिस्पर्धा भी एक बड़ी वजह है. भारत में NEET के जरिए MBBS, बीडीएस और डेंटल कॉलेजों में प्रवेश दिया जाता है. लेकिन ये बहुत कठिन परीक्षा होती है और इसमें सीटें भी सीमित होती हैं. इस वजह से प्रतिस्पर्धा अधिक है. जबकि विदेशों में कम प्रतिस्पर्धा है इसलिए नीट पास किए हुए छात्रों को आसानी से एडमिशन मिल जाता है. इसके अलावा विदेशों में पढ़ाई करने वाले छात्रों के पास वहां बसने का मौका भी होता है. और विदेशों से पढ़ाई किए हुए छात्रों को भारत में अच्छे पैसे भी मिलते हैं.

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