The Lallantop
लल्लनटॉप का चैनलJOINकरें

BJP सांसद ने कहा, 'कृषि कानून वापस नहीं आए तो किसान सरकार बदल देंगे'

कानून वापस लिए जाने के महीने भर बाद ही केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के एक ऐसे ही बयान से हलचल मची थी. अपने बयान में उन्होंने कहा था कि ‘कुछ लोगों’ की वजह से कानून वापस लिए गए, इसके साथ ही उन्होंने कानूनों को दोबारा वापस लाने की तरफ इशारा किया था.

post-main-image
अभिनेता से नेता बने सुरेश गोपी ने 13 अप्रैल को ये बयान दिया. दोनों सांकेतिक फोटो- आजतक

‘कृषि कानून वापस आएंगे, असली किसान ये कानून चाहते हैं.’

ये कहना है अभिनेता से नेता बने बीजेपी सांसद सुरेश गोपी (Suresh Gopi) का. उनका मानना है कि कृषि कानून (Farm Laws) वापस जरूर आएंगे, क्योंकि असली किसान चाहते हैं, और अगर ऐसा नहीं हुआ तो वो सरकार बदल देंगे.

दरअसल, 13 अप्रैल को राज्यसभा सदस्य सुरेश गोपी ‘विशु उत्सव’ का उद्धाटन करने पहुंचे थे. यहीं उन्होंने कृषि कानूनों के वापसी पर ये बयान दिया. कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा,

मैं एक BJP का आदमी हूं, मैं कृषि कानूनों के वापस लिए जाने से बहुत नाराज हूं. आपको पसंद हो या ना हों, लेकिन मैं कहूंगा कि ये कानून वापस आएंगे.

उन्होंने आगे कहा,

असली किसान इसकी (कृषि कानून की) डिमांड करेंगे और इसलिए ये वापस जरूर आएंगे. वरना किसान इस सरकार को बदल देंगे.

आपको बता दें कि करीब एक साल तक पंजाब, पश्चिमी यूपी और हरियाणा के किसानों ने कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन किया. जिसके बाद, 19 नवंबर 2021 की सुबह PM मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया. इस दौरान अपने संबोधन में पीएम ने किसानों से माफी भी मांगी थी. इसके बाद, संसद के शीतकालीन सत्र में कानून आधिकारिक तौर पर वापस ले लिया गया.

पहले भी मिले संकेत!

दरअसल, समय-समय पर कृषि कानून से जुड़ी ऐसी खबरें आती रही हैं. कभी भाजपा के नेता इस तरह के संकेत देते हैं कि कानून वापस आ रहा है, तो कभी विपक्ष की पार्टियां भी आरोप लगाती हैं कि भाजपा सरकार कई राज्यों में कृषि कानून बैकडोर से लागू कर रही है

दिसंबर 2021 में केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बयान पर हलचल मची थी. फाइल फोटो- आजतक

कानून वापस लिए जाने के महीने भर बाद ही केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के एक ऐसे ही बयान से हलचल मची थी. अपने बयान में उन्होंने कहा था कि ‘कुछ लोगों’ की वजह से कानून वापस लिए गए, इसके साथ ही उन्होंने कानूनों को दोबारा वापस लाने की तरफ इशारा किया था.

दिसंबर 2021 में महाराष्ट्र के एक कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय मंत्री ने कहा था,

हम कृषि संशोधन कानून लाए. लेकिन कुछ लोगों को ये कानून पसंद नहीं आए. ये आजादी के 70 साल बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एक बड़ा सुधार था. लेकिन सरकार निराश नहीं है. हम एक कदम पीछे हटे हैं, हम फिर आगे बढ़ेंगे, क्योंकि किसान भारत की रीढ़ हैं.

इस बयान पर कांग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला समेत कई नेताओं ने भाजपा पर निशाना साधा था.

वहीं, पिछले महीने यानी मार्च में भी कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि सरकार ‘चोर दरवाजे’ से 3 कृषि कानून लागू करने का प्रयास कर रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने कहा था,

सरकार चोर दरवाजे से कृषि कानूनों को लागू करने की कोशिश कर रही है. मंडी की बजाय अनाज सीधा अडानी के गोदाम में भेजने वाला सरकारी फैसला किसान विरोधी है.

इससे पहले दीपेंद्र हुड्डा ने 15 मार्च को जारी FCI के पत्र पर सवाल खड़े किए थे. उन्होंने कहा था,

किसान आंदोलन के दौरान सरकार लगातार झूठ बोलती रही कि मंडियां बंद नहीं होंगी. लेकिन 15 मार्च को जारी FCI का लेटर सरकार की मंडी विरोधी मानसिकता को उजागर कर रहा है. सरकार ने हरियाणा की आधा दर्जन मंडियों को बंद कर इस बार गेंहू सीधे अडानी के गोदाम में ले जाने के आदेश दिए हैं.

आपको बता दें कि किसान इन कानूनों को ‘काला कानून’ बताते हुए विरोध कर रहे थे. किसानों ने MSP पर कानून की मांग की थी. नवंबर 2021 में कानून वापस लेते वक्त सरकार ने वादा किया था कि जल्द इस संबंध में कमेटी बनाई जाएगी, और इसपर फैसला लिया जाएगा. लेकिन, अब तक इससे जुड़ा कोई अपडेट नहीं आया है.