'आंध्र प्रदेश के डीजीपी का कार्यालय (TDP ऑफिस से) कुछ सैकड़ों मीटर पर ही है. नजदीक में मुख्यमंत्री का आवास है. इसके बावजूद अटैक किया गया. मैंने राज्यपाल और केंद्रीय गृह मंत्री से बात की है. उन्होंने आश्वासन दिया है.'हमले के वीडियो में क्या है? टीडीपी दफ्तर पर हुए इस हमले का सीसीटीवी फुटेज वायरल है. विपक्षी दल ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से इसे 19 अक्टूबर को ही शेयर किया था. वीडियो में जो कुछ होता दिख रहा है, वो किसी फिल्मी सीन से कम नहीं लगता. एक के बाद एक कई सारी कारों में बैठकर आए लोग टीडीपी कार्यालय के बाहर इकट्ठा हो जाते हैं. उनमें से कुछ कार्यालय की तरफ बोतलें फेकतें हैं. फिर वे सब कार्यालय के परिसर में घुस जाते हैं. हमलावरों की संख्या भी बढ़ती जाती है. इसे अपने ट्विटर हैंडल से शेयर कर TDP ने कहा था,
'एक उपद्रवी भीड़ ने विपक्षी पार्टी के कार्यालय पर घातक हथियारों से हमला किया. ये दिखाता है कि राज्य में सरकार कितनी बेकार है.'
'शाम 5.30 बजे हमला हुआ. YSRCP की भीड़ ने कार्यालय पर हमला कर दिया. उन्होंने कार्यालय में तोड़फोड़ की. जो भी गाड़ियां पार्किंग में खड़ी थीं उन्हें नुकसान पहुंचाया. हमारे कार्यालय में कार्यरत लोगों की भी बहुत पिटाई की गई. हमारे एक स्टाफ को सीरियस इंजरी हुई हैं. एक दूसरे स्टाफ मेंबर के हाथ फ्रैक्चर हो गए. घटनास्थल पर पुलिस, हमलावरों के जाने के बाद ही पहुंची.'TDP के अलावा कांग्रेस, बीजेपी, जनसेना जैसे अन्य विपक्षी दलों ने भी TDP दफ्तरों पर हुए हमलों की कड़ी निंदा की. 19 अक्टूबर की घटना के बाद चंद्रबाबू नायडू पार्टी के दफ्तर पहुंचे और वहां के माहौल का जायजा लिया. उन्होंने सूबे के मुख्य्मंत्री जगन मोहन रेड्डी से अपील की कि विपक्षी दलों के संरक्षण के लिए उचित कदम उठाएं. बाद में उन्होंने दिल्ली में केंद्र सरकार को पत्र लिखकर अपील की कि वो इस मामले कुछ करे. वहीं YSRCP ने इन हमलों में भूमिका होने के आरोपों को खारिज कर दिया. अलग-अलग मीडिया रिपोर्टों में YSRCP के सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि टीडीपी के प्रवक्ता पट्टाभि राम ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कथित रूप से सीएम जगन मोहन के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया था, जिसके फलस्वरूप विपक्षी दल के खिलाफ ये हमले देखने को मिले हैं. खबरों के मुताबिक, TDP प्रवक्ता पट्टाभि राम की ये प्रेस कॉन्फ्रेंस आंध्र प्रदेश में नशीले पदार्थों के कारोबार से जुड़ी थी. इसमें पट्टाभि राम ने दावा किया कि विशाखापट्टनम के एक आदिवासी इलाके में गांजे की खेती होती है, जिसे लेकर सीएम कोई ऐक्शन नहीं ले रहे. टीडीपी नेता ने आरोप लगाया कि नार्कोटिक्स स्मगलिंग में सत्तारूढ़ दल के कुछ नेता भी शामिल हैं. लेकिन ये सब जानकारी देते-देते पट्टाभि राम की जबान फिसल गई और वे कथित रूप से सीएम जगन मोहन के लिए आपत्तिजनक बातें बोल गए. अब टीडीपी के दफ्तरों पर हो रहे हमलों के लिए सत्तारूढ़ दल के नेता पट्टाभिराम के बयान को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. TDP और YSRCP के बीच की तनातनी इतनी बढ़ गई कि विपक्षी दल की तरफ से बुधवार 20 अक्टूबर को आंध्र प्रदेश बंद का ऐलान कर दिया गया. बंद का क्या असर रहा? कुछ खास नहीं. बल्कि ये कहें कि कोई असर पड़ा ही नहीं. क्योंकि पुलिस ने अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती करने के साथ टीडीपी के कई सीनियर नेताओं को पहले ही हाउस अरेस्ट कर लिया था. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कई नेताओं को बंद में भाग लेने से रोकने के लिए पुलिस ने उन्हें प्रिवेंटिव कस्टडी में ले लिया था. इस कार्रवाई के चलते प्रदेश में सामान्य जनजीवन प्रभावित नहीं हुआ. परिवहन पूरी तरह सामान्य रहा. अखबार ने आंध्र प्रदेश के रोड ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन के एक सीनियर अधिकारी के हवाले से बताया कि राज्य में बस सेवा बिना किसी रुकावट के जारी रही. वहीं ऑल इंडिया बैंक एंप्लॉयीज एसोसिएशन के राष्ट्रीय सचिव बीएस रामबाबू ने पीटीआई को बताया कि बैंकिंग सेवाओं पर बंद का कोई असर नहीं दिखा. सब काम सामान्य रूप से होता रहा. बंद कामयाब नहीं रहा तो टीडीपी प्रमुख ने अनशन पर जाने का फैसला किया. खबर है कि चंद्रबाबू नायडू ने पार्टी कार्यालयों पर हुए हमलों के खिलाफ 36 घंटों का अनशन करने का ऐलान किया है. इसकी शुरुआत गुरुवार 21 अक्टूबर की सुबह 8 बजे से हो चुकी है.
(ये खबर हमारे यहां इंटर्नशिप कर रहीं अश्विनी सिंह ने लिखी है.)