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क्या UPSC की सिविल सेवा परीक्षा में 98 सीटों का घोटाला हो गया है?

927 वैकेंसी है, पर सलेक्शन लिस्ट में केवल 829 नाम हैं.

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लाल घेरे में जो नंबर्स दिख रहे हैं, इन्हें लेकर ही सोशल मीडिया पर लोग सवाल खड़ा कर रहे हैं.

4 अगस्त 2020. UPSC यानी संघ लोक सेवा आयोग की सिविस सेवा परीक्षा-2019 का रिजल्ट आया. 829 कैंडिडेट्स ने सफलता पाई. उनके लिए बधाइयों का तांता लग गया. फिर देखते ही देखते सोशल मीडिया पर अचानक से #UPSC_Scam ट्रेंड करने लगा. कई नामी लोगों समेत बहुत से लोगों ने UPSC के ऊपर वैकेंसी को लेकर स्कैम करने के आरोप लगाने शुरू कर दिए.

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क्या-क्या कहा गया?

लोगों ने कहा कि UPSC 98 सीटों का घोटाला कर दिया. खाली सीटें 927 थीं, लेकिन केवल 829 कैंडिडेट्स की ही लिस्ट जारी की. बाकी की 98 सीटों का क्या?

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प्रोफेसर दिलीप मंडल ने लिखा,

"केंद्र सरकार ने 927 सिविल सर्विस अफ़सरों के विज्ञापन निकाले, लेकिन रिजल्ट केवल 829 कैंडिडेट्स का आया. 182 कैंडिडेट्स की एक गोपनीय रिज़र्व लिस्ट भी बना ली गई, जो RTI के दायरे से बाहर है."


गुजरात के एक विधायक छोटूभाई वसावा ने भी ट्वीट किया. लिखा,

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"सरकार ने 927 वैकेंसी के लिए विज्ञापन निकाला था. लेकिन 829 कैंडिडेट्स का रिजल्ट आया. एक कॉन्फिडेंशिल रिज़र्व लिस्ट बना दी गई, 182 कैंडिडेट्स की, जो RTI के दायरे से बाहर है. SC, ST, OBC की पोस्ट जनरल को ट्रांसफर कर दी जाएंगी."


इसी तरह के कई सारे ट्वीट्स किए गए. बहुत सारे, मतलब बहुत सारे. सभी में ये कहा गया कि UPSC ने 98 सीटों का स्कैम किया है, ये सीटें किन्हें दी जाएंगी, ये UPSC छिपा रही है.


2019 Results 2
UPSC ने बताया कि कुल 927 वैकेंसी भरी जानी है.

खैर, इन आरोपों पर UPSC का जवाब भी आया है. क्या जवाब है, वो जानने से पहले थोड़ा नोटिफिकेशन वगैरह के बारे में जान लीजिए-

UPSC सिविल सेवा परीक्षा-2019 के लिए नोटिफिकेशन आया था फरवरी 2019 में. उसमें कहा गया था कि टोटल वैकेंसी लगभग 896 है. फिर जून, 2019 में प्रिलिम्स परीक्षा हुई. सितंबर, 2019 में मेन्स की परीक्षा हुई. फरवरी से अगस्त, 2020 तक इंटरव्यू हुए. नतीजा 4 अगस्त 2020 को आया
. इसमें 829 सफल कैंडिडेट्स के नामों का ऐलान किया गया. और बताया गया कि 927 वैकेंसी हैं. यानी 98 सीटें ऐसी हैं, जिन पर कैंडिडेट्स के नामों का ऐलान नहीं किया गया.


Vacancies In 2019 Notification
UPSC ने 2019 के एग्जाम के लिए जो नोटिफिकेशन निकाला था, फरवरी 2019 में उसमें लगभग 896 सीटों पर वैकेंसी होने की बात कही थी.

4 अगस्त वाले नतीजे के साथ UPSC ने एक और लिस्ट निकाली. लिस्ट का नाम था- कंसोलिडेटेड रिज़र्व लिस्ट. इस लिस्ट में शामिल कैंडिडेट्स की संख्या है 182. इनमें, जनरल के 91, EWS के 9, OBC के 71, SC के 8 और ST के 3 कैंडिडेट्स शामिल हैं. अब इसी लिस्ट और इसी 182 कैंडिडेट्स को लेकर सोशल मीडिया पर बवाल मचा हुआ है.


2019 Results
UPSC ने 2019 की सिविल सेवा परीक्षा के लिए 829 कैंडिडेट्स की लिस्ट निकाली और एक अलग से सूची भी निकाली. कंसोलिडेटेड रिज़र्व लिस्ट नाम से.

UPSC का जवाब

खैर, इन सबके बाद UPSC का जवाब भी आया. 6 अगस्त दोपहर 1 बजकर 13 मिनट पर एक प्रेस रिलीज़ जारी की. इसमें कहा गया कि जो भी बातें कहीं जा रही हैं वो भ्रामक हैं, गलत हैं. UPSC ने कहा,

"ये UPSC के ध्यान में लाया गया है कि सरकार के द्वारा सिविल सेवा परीक्षा 2019 के लिए जो वैकेंसी बताई गई थीं, उनके मुकाबले कम कैंडिडेट्स के नामों को रिकमेंड किया गया है. सिविस सेवा परीक्षा के तहत पोस्ट या सर्विस में भर्ती के लिए आयोग भारत सरकार द्वारा बनाए गए नियमों का कड़ाई से पालन करता है. इसलिए ये साफ किया जाता है कि 927 वैकेंसीज़ के मुकाबले आयोग ने शुरू में 829 कैंडिडेट्स के नतीजे निकाले हैं. साथ ही सिविल सेवा परीक्षा के नियम- 16 (4) और (5) का पालन करते हुए एक रिज़र्व लिस्ट भी निकाली है."

इसके आगे आयोग ने कहा कि ऐसा पिछले कई दशकों से किया जा रहा है. ये सामान्य अभ्यास है. अब ऐसा क्यों किया जाता है? इसके जवाब में UPSC ने आगे कहा,

"ये दशकों से एक सामान्य अभ्यास है. ऐसा इसलिए किया जाता है कि रिज़र्व कैटेगिरी से संबंध रखने वाले वो कैंडिडेट्स, जो कि जनरल (सामान्य) मानकों के आधार पर सेलेक्ट हुए हैं, अगर अपने रिज़र्व स्टेटस (आरक्षित स्थिति) का लाभ लेते हुए और उस स्टेटस के आधार पर सर्विस या काडर चुनना चाहें, तो उसके परिणामस्वरूप जो वैकेंसी बनेगी, उसे रिज़र्व लिस्ट के कैंडिडेट्स से भरा जाएगा. रिज़र्व लिस्ट में रिज़र्व कैटेगिरी के कैंडिडेट्स की भी पर्याप्त संख्या होती है. ताकि रिज़र्व कैटेगिरी से संबंध रखने वाले उन कैंडिडेट्स, जिनका सेलेक्शन सामान्य मानकों पर हुआ है, उनकी पसंद की वजह से जो कमी आती है, उसे पूरा किया जा सके. UPSC को तब तक इस रिज़र्व लिस्ट को कॉन्फिडेंशिल रखना होता है, जब तक वरीयता या प्राथमिकता की प्रक्रिया खत्म नहीं हो जाती. UPSC इसमें सिविल सेवा परीक्षा नियम 16 (5) के अनुसार काम करता है."


Upsc Press Release
UPSC का जवाब.

थोड़ा घुमावदार हो गया न? चलिए अब एक उदाहरण से समझिए-

अब आप मान लीजिए कि UPSC की 829 सीटों में 100 IAS की हैं (असल में हैं तो 180, लेकिन ऐसा इमेजिन कीजिए. आसानी से समझने के लिए) और उन 100 में 40 जनरल (अन-रिज़र्व्ड) में हैं. अगर किसी रिजर्व्ड कैटेगिरी से संबंध रखने वाले कैंडिडेट का सेलेक्शन जनरल कैटेगिरी में हुआ है, और उसकी रैंक 56 है, तब तो वो जनरल में IAS नहीं बन पाएगा. लेकिन अपनी रिज़र्व कैटेगिरी में आराम से बन जाएगा. जनरल में तो उसे IPS या कोई अन्य सर्विस मिलेगी. लेकिन जनरल मेरिट में जो 56 रैंक IPS की बनेगी, वो स्विच करके IAS बन जाएगा और IPS की एक सीट कम होगी. ऐसे हालात में 182 की जो रिज़र्व लिस्ट है उनमें से किसी को (जिसके नंबर बाकियों से ज्यादा होंगे) उठाकर 56 रैंक वाले की भरपाई की जाएगी.

यानी जो कंसोलिडेटेड रिज़र्व लिस्ट है, वो एक तरह की वेटिंग लिस्ट है.

ऐसा 2018 और उसके पहले भी हुआ

ये जो प्रैक्टिस है, यही वैकेंसी से कम कैंडिडेट को रिकमेंड करना और कंसोलिडेटेड रिज़र्व लिस्ट निकालना. ये कई साल से चली आ रही है. 2018 में भी ऐसा हुआ था. उसके पहले भी हुआ. उसके पहले भी. खैर, हम यहां आपको 2018 का उदाहरण देकर थोड़ा और क्लियर-कट समझाते हैं.

2018 सिविल सेवा परीक्षा के लिए नोटिफिकेशन आया फरवरी 2018 में. तब बताया गया कि संभावित वैकेंसी 782 है. फिर प्रिलिम्स की, मेन्स की परीक्षा हुई, फिर इंटरव्यू हुआ और उसके बाद आए नतीजे. अप्रैल 2019 में
. इसमें 759 कैंडिडेट्स के सेलेक्ट होने की जानकारी दी गई. और बताया गया कि टोटल वैकेंसी है 812. यानी यहां पर भी 53 सीटों पर कैंडिडेट्स को सेलेक्ट नहीं किया गया था.


2018 Results
सिविल सेवा परीक्षा 2018 के नतीजे.

हालांकि इस नतीजे के साथ भी एक कंसोलिडेटेड रिज़र्व लिस्ट निकाली गई थी. इसमें टोटल 106 कैंडिडेट्स थे. फिर छह महीने बीते और अक्टूबर, 2019 में UPSC ने कंसोलिडेटेड रिज़र्व लिस्ट में से 53 लोगों के सेलेक्ट
होने की जानकारी दी.

2013 में भी यही हुआ था. 105 वैकेंसी पर कैंडिडेट्स के नामों का ऐलान नहीं हुआ था, हालांकि 210 कैंडिडेट्स को कंसोलिडेटेड रिज़र्व लिस्ट में रखा गया था. कुछ महीने बाद इस लिस्ट में से 105 कैंडिडेट्स के नामों का ऐलान किया गया था.



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