
दुनियाभर में ये टर्म इस्तेमाल होती है.
सब अखबार, चैनल्स, आम पब्लिक यही कहती है कि फिल्म ने 'बॉक्स ऑफिस' पर आग लगा दी, 'बॉक्स ऑफिस' पर बम्पर कमाई की, 'बॉक्स ऑफिस' पर फेल हुई वगैरह-वगैरह. कोई ये नहीं बताता कि इसे बॉक्स ऑफिस कहते क्यों हैं? हमने थोड़ी सी पड़ताल की है. इसकी हमें दो दिलचस्प वजहें पता चलीं. आइए बताते हैं.
# क्वीन एलिज़ाबेथ के ज़माने में थिएटरों में आम पब्लिक को सामने ज़मीन पर बैठने दिया जाता था. फ्री में. प्ले के दौरान वहां एक बक्सा घुमाया जाता जिसमें अपनी श्रद्धा और औकातानुसार लोग पैसे डालते थे. प्ले की मेन कमाई शहर के धनाढ्य वर्ग से होती थी. उनके लिए स्पेशल बॉक्स सीटें रिज़र्व होती थी. ज़ाहिर है उन स्पेशल सीटों की स्पेशल कीमत भी होती होगी. प्ले का ज़्यादातर कलेक्शन उन बॉक्स वाली सीटों से ही आता था. इसलिए ये कमाई बॉक्स ऑफिस कलेक्शन कहलाई.
# इसी के साथ एक और पहलू भी है. पुराने थिएटर्स में टिकट बिक्री के लिए एंट्रेंस के पास ही एक छोटा सा कमरा होता था. बक्सेनुमा उस कमरे में सिर्फ एक या दो क्लर्क के लिए जगह होती थी. आजकल की लिफ्ट से भी कम स्पेस होता था उन कमरों का. वहीँ से टिकट बिकते थे और उनसे आया तमाम पैसा वहीँ रखा जाता था. बॉक्स जैसे शेप की वजह से उसे बॉक्स ऑफिस कहा जाने लगा. बदलती दुनिया ने फिल्म देखने-दिखाने के पैमाने तो बदल लिए लेकिन इस टर्म को फिल्म की कमाई के सन्दर्भ में ज्यों का त्यों उठा लिया. बल्कि इसे और विस्तार देकर इसे हर तरह की कमाई के ज़िक्र के लिए इस्तेमाल कर लिया.
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