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सड़क पर अपने कपड़े उतार रही ये एक्ट्रेस, सड़ांध मारती फिल्म इंडस्ट्री का बदसूरत चेहरा दिखा रही है

ऐसी हालत में उसका इंटरव्यू लेने वाले रिपोर्टर में भी ग़ज़ब की हिम्मत होगी.

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हैदराबाद शहर. वहां का फिल्मनगर इलाका. वहां पर स्थित 'तेलुगु फिल्म चेंबर ऑफ़ कॉमर्स' का ऑफिस. 7 अप्रैल की सुबह ऑफिस के सामने हलचल है. कुछ कैमरे तैयार हैं. उन्हें भनक लग गई है कि कुछ होने वाला है. एक एक्ट्रेस धीरे-धीरे चली आ रही है. सलवार सूट पहने हुए. वो आती है. अपनी एक साथी को बैग पकड़ाती है. कैमरे उसकी एक-एक मूव रिकॉर्ड कर रहे हैं. और अचानक वो अपने कपड़े उतारने लग जाती है. ये शॉकिंग नज़ारा है. वो लोग तक असहज नज़र आते हैं, जिन्हें कल्पना थी कि कुछ ऐसे होने वाला है. अभिनेत्री उसी हालत में मीडिया से बात करने लगती है. वो वजहें बताती है जिसकी वजह से उसे ये कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ा.
sri reddy insta

ये एक्ट्रेस है तेलुगु सिनेमा की उभरती अभिनेत्री श्री रेड्डी. श्री ने कास्टिंग काउच और अपने हैरसमेंट के खिलाफ ये स्टेप लिया. उनका कहना था कि जब मजबूरी की इन्तेहा हो गई, तब जा के उन्होंने ये किया. उनके पास और कोई रास्ता नहीं बचा था.
श्री रेड्डी इससे पहले भी ऐसे इल्ज़ामात लगा चुकी थीं. उन्होंने कई बार कहा है कि बहुत से प्रोड्यूसर्स और डायरेक्टर्स ने उनका यौन शोषण किया है. कितने ही लोगों ने उनसे नंगी तस्वीरें मांगी. ये कहकर कि फिल्म में रोल देंगे. उन्होंने भेजी भी. बावजूद इसके उन्हें धुत्कारा जाता रहा. जैसे-तैसे उन्होंने तीन फिल्मों में काम कर लिया, तो उन्हें मूवी आर्टिस्ट्स एसोसिएशन की मेम्बरशिप देने के लिए मना कर दिया गया. जब हर तरफ से श्री को दबाया गया तो उन्होंने ऐसा हाहाकारी कदम उठाया.
अपनी उसी हालत में एक रिपोर्टर से बात करते हुए श्री रेड्डी ने कहा,
"अपनी तकलीफें ज़ाहिर करने का मेरे पास सिर्फ यही एक तरीका है. जब मैंने अपना नंगा जिस्म इंडस्ट्री में कई लोगों को दिखा दिया है और उसके बावजूद मुझे रोल नहीं मिले, तो ऐसे में मेरे पास विरोध का यही एक रास्ता बचता है. पब्लिक में न्यूड हो जाना."
इसके अलावा श्री की ये भी शिकायत है कि निर्माता, निर्देशक शोषण तो लोकल लड़कियों का करते हैं लेकिन काम मुंबई या बाहर से आई अभिनेत्रियों को देते हैं. श्री ने कहा था कि इंडस्ट्री के कई बड़े नाम लाइव न्यूड वीडियो देखना चाहते हैं. इस हद तक जाकर वो किसी काम पाने की इच्छुक लड़की का फायदा उठाते हैं.
देखिए वीडियो:

इस घटना की तस्वीरें, वीडियो शॉकिंग है. इसलिए नहीं कि इसमें किसी स्त्री के सरेराह उतरते कपड़े हैं. इसमें जो बात विचलित करती है वो ये है कि नग्नता के लिए भयानक रूप से बंद भारतीय समाज में कोई इस सीमा तक चला गया. किसी ने बुरी तरह बेइज्ज़त होने की संभावना को कंसीडर किया. क्योंकि जो उसपर बीत रही थी वो असहनीय हो गया था. इस केस में दिलचस्प बात ये कि पुलिस ने श्री रेड्डी को ही डिटेन कर लिया है.

नग्नता एक हथियार भी है

हिंदी का एक प्रचलित मुहावरा है. "नंगे से तो खुदा भी डरता है."
ऐसा है भी. पब्लिक स्पेस पर किसी को निर्वस्त्र देखना भर हमको असहज कर देता है. आप किसी से हाथापाई कर सकते हैं लेकिन अगर कोई आपसे लड़ाई करते वक़्त विरोध स्वरुप अपने कपड़े उतारने लगे, तो आप यकीनन भाग जाएंगे. इसी फैक्ट के मद्देनज़र नग्नता को कई बार विरोध के एक कारगर हथियार के रूप में इस्तेमाल किया गया है. कई बार तो ये बेहद ज़रूरी मुद्दों पर ध्यान आकर्षित करने में सहायक रहा है. ये कई लोगों ने आज़मा के देख लिया कि आपकी आवाज़ भले ही अनसुनी हो रही हो, आपके निर्वस्त्र शरीर को कैमरे ज़रूर खोज लेते हैं. कई सारी ऐसी घटनाएं याद आ जाती हैं, जहां अपनी तरफ ध्यान आकर्षित करवाने के लिए लोगों ने कपड़े त्याग दिए. बहरों की दुनिया में शायद आपकी बात तभी सुनी जाती हैं, जब आप उनकी आंखों को हैरानी से चौड़ा करने का सामान करें.

पूजा चौहान, जिसने दहेज़ लोभियों को सबक सिखाने को कपड़े त्यागे

लगभग ग्यारह साल पहले की बात है. उस वक़्त वायरल फ़ोटोज़ के कॉन्सेप्ट से दुनिया अंजान थी. बावजूद इसके एक फोटो बेहद मशहूर हुई. 22 साल की एक लड़की के सब्र का पैमाना जब भर गया, तो उसने अपने आसपास की दुनिया को हिला डाला. पूजा के ससुराल वाले - पति समेत - उसे बेहद तंग किया करते थे. वजहें वहीं घिसी-पिटी थीं, जिनका भारतीय समाज में आदिकाल से चलन है. दहेज़ न ला पाना और बेटी को जन्म देना. जब स्थिति बर्दाश्त से बाहर चली गई, पूजा ने एक्स्ट्रीम कदम उठाने की ठानी. वो सेमी न्यूड हालत में सड़क पर आ गई. सिर्फ ब्रा-पैंटी में. राजकोट की सड़कों पर हंगामा हो गया. पूजा लगभग एक घंटे तक सड़कों पर चलती रही थी.
पूजा चौहान.
पूजा चौहान.


वो सीधे पुलिस कमिश्नर के ऑफिस की तरफ गई. ज़ाहिर है इस प्रोटेस्ट का असर होना ही था. पुलिस ने आननफानन उसके पति प्रताप सिंह चौहान और सास ससुर को गिरफ्तार कर लिया.

"इंडियन आर्मी रेप अस"

15 जुलाई 2004 का दिन भारत में प्रतिरोध के उच्चतम पैमाने सेट करने के लिए याद किया जाएगा. जब कुछ महिलाओं ने शरीर से सम्बंधित सारी लज्जाओं को त्याग कर वो कर डाला, जिसने तमाम भारतीयों के 'संस्कारी' ढाँचे को झकझोरकर रख दिया.
इस दिन तकरीबन तीस महिलाएं इम्फाल में कांगला फोर्ट पहुंची. जहां भारतीय सेना की असम राइफल्स का हेडक्वार्टर है. यहां पहुंचकर ये महिलाएं एक साथ निर्वस्त्र हो गईं. अपने तमाम कपड़े उतार फेंके. और फिर अपनी सारी शक्ति इकट्ठा कर चिल्लाती रहीं....
"इंडियन आर्मी रेप अस. कम टेक आवर फ्लेश." (भारतीय सेना, आओ हमारा रेप करो. हमारा भोग लगाओ.)
देशभक्ति के सर्वोच्च प्रतिक सेना के खिलाफ हो रहा ये प्रदर्शन बेवजह नहीं था. सिर्फ पांच दिन पहले मनोरमा नामक एक 34 साल की लड़की की लाश बरामद हुई थी. गोलियों से बिंधी हुई और गुप्तांगों तक में ज़ख्मों से सराबोर. इल्ज़ाम असम राइफल्स पर था. जब कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई, तो ये महिलाएं सड़क पर उतर आईं. ये कहते हुए कि 'हम सब मनोरमा की मां हैं.'
ये तस्वीर विचलित कर देती है.
ये तस्वीर विचलित कर देती है.


ये पूरे मुल्क को सन्नाटे में डालने वाली घटना थी. सेना की हिमायत अपनी जगह लेकिन बेबसी से उपजा ये प्रोटेस्ट आपका कलेजा हिला देता है. जब आप कुछ कर नहीं सकते, तो खुद को ही हथियार बनाकर पेश करते हो. ये तस्वीर भारतीय सेना के इतिहास में एक बदनुमा दाग की तरह जड़ी हुई है.

तमिलनाडु के किसान जब न्यूड हुए

पिछले साल जंतर-मंतर पर जब तमिलनाडु के किसान कपड़े उतारने लगे, तो भारतभर में दो नैरेटिव उभरे. कुछ लोग नग्न होते, चूहे खाते किसानों के पक्ष में मजबूती से खड़े हुए. तो कुछ लोग इसे अपनी प्रिय सरकार के प्रति किसानों का षड्यंत्र मानकर उनके प्रतिरोध के बखिए उधेड़ते रहे.
बहरहाल, अपनी मांगों के प्रति उदासीन सरकार की तवज्जो हासिल करने के लिए किसान इस हद तक भी गए. प्रधानमंत्री ऑफिस के बाहर उन्होंने कपड़े उतार दिए. उन्हें पीएम से मिलने नहीं दिया जा रहा था. जबरन पुलिस की गाड़ी में भरकर दूर ले जाया जा रहा था. एक किसान बाहर कूदा और सड़क पर ही कपड़े उतार दिए. जल्द ही दो और किसानों ने जॉइन कर लिया.
दिल्ली की सड़कों पर किसान.
दिल्ली की सड़कों पर किसान.


उनका कहना था कि अब इसके अलावा उनके पास कोई चारा ही नहीं था. इस तस्वीर ने नेशनल न्यूज़ में जगह बनाई.

गांधीगिरी वाली न्यूडिटी

नग्नता के प्रति असहजता उस समाज में हैरानी की बात है, जो पॉर्न देखने वालों मुल्कों में अग्रणी है. 'लगे रहो मुन्नाभाई' तो देखी ही होगी आपने? वो सीन याद है जब एक अंकल प्रोटेस्ट का यही तरीका अपनाते हैं. उनका सरकारी काम बिना रिश्वत के अटका ही रहता है. फाइल पर सिर्फ एक साइन चाहिए होते हैं जो कि अगला बंदा करके ही नहीं देता. फिर मुन्ना के कहने पर अंकल भरे ऑफिस में कपड़े उतारने लग जाते हैं. एक-एक कर उतरते जाते कपड़े के साथ सरकारी बाबू पर आतंक का अटैक पड़ता जाता है. उसे समझ में ही नहीं आता कि इस सिचुएशन से कैसे निपटे. वो जल्दी से फाइल पर साइन करके पीछा छुड़ा लेता है.
नग्नता के आगी हाथ ही जुड़ते हैं.
नग्नता के आगी हाथ ही जुड़ते हैं.

जब प्रतिरोध की जगह ब्लैकमेल के लिए इस्तेमाल हुई नग्नता

ऐसी ही एक घटना का मैं खुद भी गवाह हूं. फर्क सिर्फ इतना है कि मेरा देखा मामला प्रतिरोध का नहीं, ब्लैकमेल का था. कुछ साल पहले की बात है. ट्रेन में सफ़र कर रहा था. किसी एक स्टेशन पर दो किन्नर समुदाय के लोग डिब्बे में घुस आए. सबसे पैसे मांगने लगे. एक लड़के ने देने से मना कर दिया. अपनी पत्नी के साथ था. बात बिगड़ गई. वो लोग ज़िद करने लगे. बहस होने लगी. और अचानक एक किन्नर ने भरी ट्रेन में अपनी साड़ी उठा दी. तमाम डिब्बा सकते में आ गया. हकबकाया लड़का लगभग हाथ जोड़ने लगा कि वो उसकी पत्नी के सामने ऐसी बेहूदगी न करें. उसने तुरंत कुछ पैसे उनकी तरफ फेंके, जिन्हें लेकर वो लोग हंसते हुए चले गए. ये एक क्लासिक उदाहरण था कि इस मुल्क में पब्लिक में न्यूडिटी से कितना खौफ खाया जाता है.
बहरहाल, श्री रेड्डी का प्रोटेस्ट एक नई डिबेट को जन्म देगा इसमें कोई शक नहीं. उनको न्याय मिलेगा या एकाध दिन की सनसनी के बाद मामला दब जाएगा ये आने वाला वक़्त ही बताएगा. हां इस बात में कोई शक नहीं कि अब उनकी बात सुनी ज़रूर जा रही है. अफ़सोस सिर्फ इतना है कि इसके लिए उन्हें पब्लिकली न्यूड होने का एक्स्ट्रीम स्टेप उठाना पड़ा.
नग्नता की महत्ता को रेखांकित करता एक शे'र भी याद आ रहा है. मुस्तफ़ा ख़ाँ शेफ़्ता साहब ने लिखा है. जो श्री रेड्डी की स्थिति पर तो नहीं लेकिन नंगेपन को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करने के ख्वाहिशमंद लोगों पर फिट बैठता है.
"हम तालिब-ए-शोहरत हैं हमें नंग से क्या काम बदनाम अगर होंगे तो क्या नाम न होगा"



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