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कलम वाली बाई, जिसने 'क्रांतिवीर' में नाना पाटेकर को क्रांतिकारी बना दिया था

जिन्होंने सिर्फ 16 साल की उम्र में उस ज़माने के सुपरस्टार से शादी कर ली.

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फिल्म क्रांतिवीर के एक सीन में डिंपल और नाना.
1995 की ‘क्रांतिवीर’ में नाना पाटेकर कहते हैं,
"वाह! कलम वाली बाई वाह! अखबार के दम पर गरीबों के झोंपड़े बचाने चली है? वाह! एक बात जानती हो सुबह-सुबह तुम्हारे इसी अखबार पर बच्चे हगते हैं."
ऐसे में हमारी कलम वाली बाई डिंपल कपाड़िया उन्हें मुंहतोड़ जवाब देते हुए कहतीं है कि,
"ये तुम्हारी गलतफहमी है. अखबार में बहुत ताकत है. तख्त पलट देता है अखबार. सहमे हुए लोगों में ज्वाला भड़का कर क्रांति लाता है ये अखबार."
किसी भी बात के लिए खरी खोटी सुनाने को हमेशा तैयार रहने वाले नाना पाटेकर को क्रांतिकारी बनाने वाली पत्रकार मेघा दीक्षित के रोल में डिंपल कपाड़िया ने आग भर दी थी. फिल्म थी ‘क्रांतिवीर’.
सीन देख लीजिए, फिर आगे बढ़ते हैं -

कैसे आईं डिंपल फिल्मों में?
8 जून 1957 को पैदा हुई डिंपल बेहद रईस थीं. उनके पिता चुन्नीभाई एक नामी गिरामी बिजनसमैन थे. अक्सर पार्टियां किया करते थे. बॉलीवुड में उनकी जान पहचान थी. यहीं से डिंपल की फिल्मों में आने की राह बनी. वो राज कपूर को अपनी फिल्म 'बॉबी' के लिए पिक्चर परफेक्ट लगीं. लेकिन ये इतनी आसानी से नहीं हुआ था. पहले स्क्रीन टेस्ट में उन्हें ये बोलकर रिजेक्ट कर दिया गया था कि वो ऋषि कपूर से बड़ी लग रहीं हैं. किस्मत अच्छी थी इसलिए जल्द ही उन्हें दूसरे स्क्रीन टेस्ट के लिए बुलाया गया और 1973 में ‘बॉबी’ उनकी झोली में आ गई. चाहे 1973 की क्यूट ‘बॉबी’ हो या 1993 में ‘रूदाली’ की अभागिन शनीचरी या फिर 2014 की ‘फाइंडिग फैनी’ की रोज़ालिना. ये तीनों ही रोल लगभग 20 साल के गैप में किए गए हैं और फिर भी उतने ही फ्रेश हैं. स्क्रीन पर डिंपल हमेशा सहज-सुंदर लगीं.
डिंपल का सेंस ऑफ़ ह्यूमर
डिंपल अपने अच्छे सेंस ऑफ ह्यूमर और हाजिरजवाबी के लिए भी जानी जाती रही हैं. ‘जांबाज़’ फिल्म में डिंपल और अनिल कपूर के बीच एक रोमांटिक सीन को फिल्माया जाना था. डिंपल अनिल की खुली शर्ट से झांकती बालों वाली छाती देखकर इतना चिढ़ गईं थीं कि बिना किसी की परवाह किए बोलीं, ‘कोई जा कर इनकी शेव करवाओ’. इसके बाद क्या हुआ इसके लिए ‘जब-जब तेरी सूरत देखूं’ गाना जरूर देखिएगा. ये गाना उस जमाने का ‘भीगे होंठ’ था, यानि परिवार के साथ इस गाने को देखने का भी कोई चांस नहीं था.
अब आप बड़े हो गए हैं तो देख सकते हैं, ये रहा -

विनोद खन्ना के साथ भी डिंपल का एक किस्सा बहुत फेमस रहा है. हुआ यूं कि फिल्म ‘प्रेम-धर्म’ की शूटिंग चल रही थी. एक सीन में विनोद को डिंपल को किस करना था. विनोद सीन में इतना खो गए कि उन्हे महेश भट्ट का कट भी सुनाई नहीं दिया. ऐसे में डिंपल वहां से डरकर भाग गईं और खुद को कमरे में बंद कर दिया. आखिर में महेश भट्ट को उनसे माफी मांगनी पड़ी और तब जा के शूट दोबारा जारी हुआ.
काका से शादी
फिल्में तो फिल्में उनकी असल जिंदगी भी कम रोमांचक नहीं थीं. जैसे राजेश खन्ना जैसे सुपर स्टार के साथ शादी. राजेश और डिंपल ने उस साल की सबसे चर्चित शादी की. कहते हैं कि उनकी शादी को सिनेमा घरों तक में दिखाया गया था, जिसे देखने लोगों ने थिएटर भर दिए थे. इतनी लाइम लाइट तो अमिताभ बच्चन-जया बहादुरी, गुलजार-राखी जैसी जोड़ियों की शादी को भी नसीब नहीं हुई थी. शादी के वक्त 'बॉबी' का कुछ शूट अभी भी बाकी था. जो बाद में पूरा हुआ. हालांकि 16 साल की डिंपल और 31 साल के काका की ये जोड़ी ज्यादा समय तक टिक नहीं पाई और कुछ ही सालों में टूट गई. अलग होने के बाद डिंपल अपनी बेटियों ट्विंकल और रिंकी के साथ रहनें लगीं.
राजेश खन्ना और डिंपल कपाड़िया के शादी की तस्वीर
राजेश खन्ना और डिंपल कपाड़िया के शादी की तस्वीर.

वो किरदार जो सिर्फ डिंपल के लिए ही बने थे
बॉबी: क्यूट अदाओं से भरी बॉबी, जो बोल्ड है. जैसे ही पूछती है,‘मुझसे दोस्ती करोगे?', तो उसकी क्यूटनेस देखकर अच्छे- अच्छे पिघल जाते हैं. डिंपल ने इस रोल के लिए फिल्म फेयर अवॉर्ड पाया.
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मोना: 1985 में आई 'सागर' डिंपल के करियर की अहम फिल्म है. एक बार फिर ऋषि कपूर के साथ उनकी लव स्टोरी. फिल्म के शानदार संगीत ने डिंपल को उन्ही ऊंचाइयों पर दोबारा खड़ा कर दिया. इस फिल्म के लिए उन्हें अपनी ज़िंदगी का दूसरा फिल्मफेयर मिला. इस फिल्म के एक बिकिनी सीन ने उन दिनों सनसनी फैला दी थी.
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मेघा दीक्षित: 'क्रांतिवीर' फिल्म की ताबड़तोड़ पत्रकार. जो अन्याय के साथ भिड़ने को हमेशा तैयार थी. जिसे फिल्म के हीरो नाना पाटेकर कलम वाली बाई कहते थे. इस फिल्म के लिए भी उन्होंने फिल्म फेयर हासिल किया. बेस्ट एक्ट्रेस इन सपोर्टिंग रोल के लिए.
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शनीचरी: मेन स्ट्रीम सिनेमा के अलावा पैरेलल सिनेमा में भी डिंपल का बराबर जलवा रहा. 'रुदाली' इसका सटीक उदाहरण है. लाचारी और संघर्ष से भरपूर शनीचरी का जीवन उन्होंने बेहद कामयाबी से परदे पर उतारा. इस फिल्म ने डिंपल की झोली में नेशनल अवॉर्ड भी डाल दिया, जिसकी हर एक एक्टर को तमन्ना रहती है.
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रेवा: गुलज़ार की फिल्म 'लेकिन'. राजस्थानी बोली और देसी सादेपन के तड़के ने कहानी को और दिलचस्प बना दिया था. सस्पेंस से भरपूर इस फिल्म को बहुत लोगों ने पसंद किया. रेवा डिंपल के करियर का यादगार किरदार है. और कुछ नहीं तो ‘यारा सिली सिली’ गाना ही याद कर लीजिए.
Lekin


ये स्टोरी दी लल्लनटॉप के साथ इंटर्नशिप कर रही कामना ने की है.

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