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भारत में जन्मे अनीश कपूर की चीन ने क्यों की नकल?

अनीश के काम की जित्ती तारीफ होती है, आलोचना भी उत्ती ही होती है. ये रही वजहें.

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क्रेडिट: Reuters
क्या चीन एक भारतीय मूल के कलाकार के बनाए हुए मास्टर पीस की नकल कर सकता है? इजीनियरिंग की पढ़ाई की. मैथ्य समझ नहीं आई तो इंजीनियरिंग को कहा- टाटा. मम्मी थीं यहूदी और पापा थे इंडियन. मुंबई में आजादी के 7 साल बाद 1954 में पैदा हुए धांसू आर्टिस्ट अनीश कपूर. अनीश साहेब ने दुनिया का सबसे लंबा और ऊंचा स्लाइड आर्सेलर मित्तल ऑर्बिट बनाया. आर्सेलर मित्तल ऑर्बिट की ऊंचाई करीब 376 फुट लंबी. लंदन में लगी इस ऑर्बिट को ज्यादा खूबसूरत बनाने के लिए फिर से काम शुरू कर दिया गया है. अनीश कपूर की सबसे ज्यादा लोकप्रिय और आकर्षक रचना है क्लाउड गेट. स्टील की एक ऐसी आर्ट, जिससे दूर गगन के बादल, इमारतें और लोग दिखाई पड़ते हैं. क्लाउड गेट लिक्वेड पारे (लिक्विड मरकरी) की तरह दिखाई देता है. अनीश को इस मास्टर पीस का ख्याल भी लिक्विड मरकरी को देखकर आया था.
हर मामले में खुद को तुर्रम खां बताने वाले चीन ने अनीश कपूर के क्लाउड गेट की नकल की. अनीश के क्लाउड गेट को देखकर चीन भी एक फर्जी सा स्टेनलेस स्टील का गेट बना रहा है. लॉजिक है नकल नहीं की, अनीश के क्लाउड गेट में बादल दिखता है और हमारे में जमीं दिखती है.
अनीश की एक कलाकृति 'क्वींस वेजाइना' के बाद भी खूब बवाल मचा.   स्टील और पत्थर से 60 मीटर लंबी और 10 मीटर ऊंची इस मास्टर पीस को अनीश ने पैलेस ऑफ वर्सेली में लगाया. जगह को नाम दिया गया डर्टी कॉर्नर. इसी पैलेस में अनीश ने लाल रंग के वैक्स से अपनी कला का एक और नमूना पेश किया, जिसका खून और ऑर्गेजम से रिलेटेड बताया गया. अनीश ने डर्टी कॉर्नर का मतलब समझाते हुए कहा कि इसका संबंध साफ तौर पर सेक्स और वैभव से है. वेजाइना ऑफ क्वीन का अर्थ शक्ति हासिल करने से है. लंदन की रॉयल अकेडमी के बाद अनीश की 'शूटिंग एट द कॉर्नर' को मुंबई में प्रदर्शित किया. 2008-09 में बनी 'शूटिंग एट द कॉर्नर' अतीत, वर्तमान और भविष्य के कॉन्सेप्ट पर आधारित थी. अनीश की लोकप्रियता और कलाकारी कुछ ऐसी है कि अब से करीब 24 साल पहले 1991 में उन्हें प्रतिष्ठित टर्नर पुरस्कार से नवाजा गया था.

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