कैनाज़ मोतीवाला. एक जर्नलिस्ट के तौर पर काम करती थीं. मुंबई की लड़की जिसे चकाचौंध से कोई ख़ास दिक्कत नहीं थी. वो उस शहर में सांस लेना सीख रही थी जहां की हवा ने सबसे ज़्यादा दम घोंटे हैं. जय हिन्द कॉलेज से बीएमएम कोर्स खतम कर मैगजीन में नौकरी कर रही थी. उसने कभी भी कैमरे के सामने आने का सपना भी नहीं देखा था. चाहत थी जर्नलिस्ट बनने की. एक मेकओवर शूट के दौरान फ़िल्म पाठशाला के डायरेक्टर ने उसे देखा और कहा कि वो ऑडिशन दे. इसने भी हां कर दी. पाठशाला. कैनाज़ मोतीवाला की पहली फ़िल्म. हालांकि रिलीज़ होने वाली पहली फ़िल्म थी वेक अप सिड. रणबीर कपूर की दोस्त तान्या. क्यूट सी लड़की. एकदम वैसी जैसी नए नए कॉलेज में पहुंचने पर दिखती है. जिससे बात करने को जी चाहता है. जिसका नंबर मिलने पर मन कुछ ज़्यादा ही खुश रहने लगता है. मगर जो लड़की प्रियंका चोपड़ा को अपना हीरो मानती थी, उसे लीड रोल मिला एक एमएमएस में. एमएमएस जो उसके बॉयफ्रेंड ने बनाया. बिना उसकी परमीशन के. उदय. ऐक्टर बनना चाहता था. जंगल के अंदर तक ले जाकर उसके साथ एक घर में रहने के आईडिया के पीछे उसका ये इंटेंशन था. कैनाज़ फंस चुकी थी. उसके ऊपर उस भूत का साया पड़ चुका था जिसके घर में वो रह रही थी. कैनाज़ बच निकलती है. बड़ी मुश्किलों से. और बाहर आकर दुनिया को अपनी आपबीती सुनाती है.दिन इतवार और तारीख 20 नवंबर. कपड़े धोके ऐसा सोये कि नींद सीधे सोमवार को दफ़्तर में खुली. एडिटर साहब की गाली खाई तो मालूम चला कि उस लड़की का बड्डे निकल गया जो पहले जर्नलिस्ट थी, फिर हिरोइन बनी, उसका एमएमएस बना, उसने एक कहानी लिखी और वो न जाने कहां चली गई.

