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रॉबिन विलियम्स न होते तो चाची 420 न होती, मुन्नाभाई एमबीबीएस न होती

जानिए उन लैजेंडरी आर्टिस्ट और कॉमेडियन के बारे में जिन्होंने करोड़ों को हंसाया लेकिन एक दिन अचानक जान दे दी.

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चार्ली चैपलिन, लॉरेल और हार्डी अगर ब्लैक एंड वाइट दौर के दिग्गज कॉमेडी आर्टिस्ट थे तो मौजूदा पीढ़ी को रॉवन एटकिंसन और रॉबिन विलियम्स से ऊपर कोई नहीं मिला. रॉवन एटकिंसन जो अपने मिस्टर बीन हैं और रॉबिन विलियम्स जिनके चलते हमें मिली चाची 420 और मुन्नाभाई एमबीबीएस.

रॉबिन हॉलीवुड के लैजेंड थे. एक नंबर के हंसोड़. दुनिया के करोड़ों लोगों को भी हंसाते रहे. इनकी एक्टिंग कभी भी देख लें, हंसते-हंसते पेट फूल जाएगा. कुर्सी से गिरने लगेंगे/लगेंगी. पर रॉबिन ने बुढ़ापे में फांसी लगाकर जान दे दी. क्यों? कहा यही गया है कि वे डिप्रेशन में थे. वे बुढ़ापे की अन्य संभावित बीमारियों से भी तनाव में थे. 11 अगस्त 2014 को जब ये खबर आई कि रॉबिन विलियम्स की मृत्यु हो गई है तो बिलकुल यकीन नहीं हुआ. ऐसा कैसे हो सकता था? बिलकुल यकीन नहीं हुआ. कभी भी नहीं होगा. आज भी बेहद दुख होता है.
ऐसी फिल्मों और स्टैंड अप कॉमेडी की सूची लंबी है जो रॉबिन की ओर से हमें एक तोहफा है जो कभी नहीं मरेगा.
मिसेज़ डाउटफायर ऐसी ही फिल्मों में एक है. कमल हासन की फिल्म चाची 420 इसी से पूरी तरह प्रेरित थी. एक कहानी जिसमें एक पिता अपने बच्चों के करीब होने के लिए बच्चों की नैनी बनता है. रॉबिन ने महिला और पुरुष दोनों किरदार गज़ब यकीन के साथ निभाए.
आंटी नंबर 1 में गोविंदा ने भी एेसा ही किरदार निभाया और उसमें उनके पूरे मैनरिज़्म रॉबिन की प्रेरणा लगे.
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डिज्नी की जिस फिल्म अलादीन को हमने बहुत देखा है उसमें जिन्न की आवाज रॉबिन ही थे. आवाज रिकॉर्ड कर रहे थे तो कई बार उन्होंने अपने मन से डायलॉग जोड़ दिए. और फिल्म में उन्हें हूबहू रख लिया गया.
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मिसेज़ डाउटफायर की शूटिंग के दौरान रॉबिन ने इतने डायलॉग अपने मन से बोले थे कि एडिट करना मुश्किल हो गया था. क्योंकि फिल्म जो बन कर सामने आई वो स्क्रिप्ट से बहुत ज्यादा ही अलग थी. इसके बाद फिल्म के डायरेक्टर क्रिस कोलंबस को इसे एक डॉक्यूमेंट्री की तरह एडिट करना पड़ा.
एक और फिल्म है जो उनकी फिल्मोग्राफी में सबसे खास है. वो है पैच एडम्स. 1998 में आई ये फिल्म एक आदमी की कहानी है जो डॉक्टरी के पेशे में मरीज से रिश्ता कायम  न करने के नियमों को चैलेंज करता है. वो मानता है कि जिंदगी चाहे छोटी हो लेकिन वो गुणवत्ता वाली होनी चाहिए. ये वही फिल्म थी जो निर्देशक राजकुमार हीरानी की कल्ट फिल्म मुन्नाभाई एमबीबीएस की प्रेरणा बनी. बहुत कम लोग ये बात जानते हैं. ये कहानी असल व्यक्ति के जीवन पर आधारित थी. जिन लोगों को संजय दत्त का रोल पसंद आया हो उन्हें पैच एडम्स जरूर देखनी चाहिए.
पैच एडम्स में रॉबिन.
पैच एडम्स में रॉबिन.


जब रॉबिन हाईस्कूल में थे तो उनकी क्लास में एक कॉम्पटिशन हुआ. इसमें बहुत सी कैटेगरी में वोटिंग हुई थीं. जब रिजल्ट आया तो पता चला रॉबिन को सबसे कम सफल होने की संभावना वाली श्रेणी में रखा गया था, पर सबसे ज्यादा मजेदार वाली कैटेगरी में भी वोट उन्हें ही मिले थे.
रॉबिन के करियर की सबसे चर्चित फिल्में हैं- 1989 में आई डेड पोएट्स सोसाइटी, 1997 में आई गुड विल हंटिंग, 1993 में आई मिसेज़ डाउटफायर और 1991 में आई हुक, 1997 में आई गुडमॉर्निंग वियतनाम. जुमांजी भी इनकी एक बहुत ही फेमस फिल्म है जिसे ज्यादातर लोगों ने देखा होगा.
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1997 में एंटरटेनमेंट वीकली मैगजीन ने दुनिया के सबसे फनी इंसान को चुनने के लिए वोटिंग कराई. जिसमें रॉबिन को दुनिया का सबसे मजाकिया आदमी माना गया.
हैरी पॉटर में हैग्रिड के रोल के लिए पहले रॉबिन को ही चुना गया था.
21 जुलाई 1951 को जन्मे रॉबिन को हमेशा याद किया जाएगा.


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