'माने मकर्तच्यान' एशिया और यूरोप की सीमा पर बसे छोटे से मगर बेहद खूबसूरत देश अर्मेनिया में पैदा हुईं. एक साल के लिए हिंदी पढ़ने दिल्ली आईं मगर देखते ही देखते, BA, MA करते हुए निर्मल वर्मा पर M Phil कर डाली. उसके बाद JNU से तुलनात्मक साहित्य में रिसर्च किया. माने अक्सर प्रसाद जी वाली छायावादी परिनिष्ठित हिंदी में वार्ता करती हैं. सुबह-सुबह जब हमने इन्हें क्रिसमस की बधाई दी तो इन्होंने बताया कि इनके देश और दुनिया के एक बड़े हिस्से (कज़ाकिस्तान, रूस, यूक्रेन, इजिप्ट आदि) में क्रिसमस 25 दिसम्बर को नहीं मनाया जाता. अर्मेनियन एपोस्टोलिक चर्च ईसा मसीह का जन्मदिन 6 जनवरी को मनाता है वहीं रशियन ऑर्थोडॉक्स चर्च को मानने वाले 7 जनवरी को क्रिसमस मनाते हैं.
इन्हीं के हवाले से पता चला कि अर्मेनियन क्रिसमस, ईसा के धरती पर अवतरण पर मनाया जाता है. थिओफैनी शब्द का अर्थ है ‘ईश्वर का प्रकट होना’. अर्मेनियन क्रिसमस की अवधारणा इसी के इर्द-गिर्द रखी गई है. अर्मेनियन चर्च ईसा के 'बेथलेहम' में पैदा होने और और उनके 'जॉर्डन' नदी में बैप्टाइज़ होने को सेलिब्रेट करते हैं. अर्मेनिया में इसकी तारीख 6 जनवरी है. वहीं ऑर्थोडॉक्स ईसाई क्रिसमस 7 जनवरी को मनाते हैं. इनमें भी अलग-अलग देशों के हिसाब से मनाने के तरीकों में अंतर दिखता है. कुछ जगहों पर लोग जुलूस निकाल कर समुद्र, नदी झील तक जाते हैं और बर्फ में गड्ढा करके ब्लेस द वॉटर
नाम की रस्म पूरी करते हैं. इनमें बाकी जगहों की तरह गिफ्ट देने वाली संस्कृति को उतनी तवज्जो नहीं दी जाती है.

अर्मेनिया
7 जनवरी और 25 दिसंबर की क्रिसमस की दो तारीखों के पीछे दरअसल एक और वजह है. 1752 में जब इंग्लैंड ने जूलियन कैलेंडर की जगह ग्रेगोरियन कैलेंडर को अपनाया तो 11 दिन कम कर दिये गए. उस समय कई लोगों (खास तौर पर ग्रामीण इलाकों में) ने 11 दिन का नुकसान सहना बर्दाश्त नहीं किया और जुलियन कैलेंडर को ही मानते रहे. अब ग्रेगोरियन कैलेंडर में जो तारीख 25 दिसम्बर को थी वो जूलियन कैलेंडर में 7 जनवरी को हो गई. 1923 में जूलियन कैलेंडर को अपडेट कर दिया गया. मगर ज़्यादातर ऑर्थोडॉक्स चर्च पुराना कैलेंडर ही फॉलो करते रहे. तो उनका क्रिसमस आज भी 7 जनवरी को मनाया जाता है.

ऑर्थोडॉक्स चर्च में क्रिसमस
खैर, तारीख के फेर को छोड़िये. ईसा की शिक्षाओं में सबसे ज़्यादा महत्ता प्रेम को दी गई है. प्रेम करिए और प्रेम के साथ रहिए. मैरी क्रिसमस.