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जानवरों के हक के लिए 'NoMore50' ट्रेंड, नेता-अभिनेता सब आगे आए, लेकिन ये है क्या?

जानवरों से हिंसा करने वालों पर लगता है 50 रुपए का जुर्माना.

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#NoMore50 को बहुत समर्थन मिला है (साभार - पीपल फॉर एनिमल्स, इंडिया टुडे)

#NoMore50. सोशल मीडिया पर ये हैशटैग बहुत ट्रेंडिंग है. बॉलीवुड एक्टर जॉन अब्राहम हों या करिश्मा तन्ना, यहां तक कि मेनका गांधी समेत कई पॉलिटिशियन इस हैशटैग के साथ के साथ पोस्ट कर रहे हैं. लेकिन इसका मतलब क्या है?

क्या है #NoMore50?

आपने केदारनाथ, अमरनाथ जैसे तीर्थ स्थानों पर घोड़े और खच्चरों की दशा के वीडियोज तो देखे ही होंगे. किसी गली-मोहल्ले में या फिर राह चलते कुछ लोगों को बेमतलब बेज़ुबान जानवरों पर अत्याचार करते देखा होगा. अगर किसी ने वीडियो बना लिया तो ऐसे लोग पकड़े भी जाते हैं. लेकिन क्या आपको पता है इस अपराध का जुर्माना कितना है? ज्यादा से ज्यादा 50 रुपए! यकीन नहीं हुआ ना? लेकिन ये सच है.  

जानवरों के प्रति हिंसा को रोकने के लिए साल 1960 में एक कानून लाया गया था. नाम दिया गया- पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960. इसकी धारा-11 के मुताबिक़ अगर कोई पशुओं के साथ क्रूरता करता है तो उस पर 10 रुपए से लेकर 50 रुपए तक जुर्माना या तीन महीने तक की सजा का प्रावधान है. इस कानून को अब 63 साल होने जा रहे हैं, लेकिन जुर्माने की राशि अब भी 50 रुपए ही है. ऐसे में जानवरों पर हिंसा के मामले में जुर्माना राशि बढ़ाने के लिए देशभर में #NoMore50 अभियान चलाया जा रहा है.

BJP सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने इस संबंध में पीएम मोदी और केंद्रीय मत्स्य, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय पुरुषोत्तम रुपाला को एक लाख ई-मेल करने की अपील की है. साथ ही सोशल मीडिया पर #NoMore50 के साथ पोस्ट करने को भी कहा है. ताकि संसद के मानसून सत्र के दौरान पशु क्रूरता निवारण अधिनियम संशोधन विधेयक पेश किया जा सके. 

वहीं बॉलीवुड एक्टर जॉन अब्राहम ने कहा कि जानवर अपने हक के लिए आवाज़ नहीं उठा सकते. इसलिए हमें उनके लिए खड़ा होना होगा. 

बॉलीवुड एक्ट्रेस करिश्मा तन्ना ने कहा कि जानवरों के लिए बनाए कानून अब बूढ़े हो चुके हैं इसलिए उन कानूनों को रिटायर करने का वक्त आ चुका है. 

इससे पहले साल साल 2021 में बीजू जनता दल के सांसद अनुभव मोहंती और लोजपा के सांसद प्रिंस राज #NoMore50 की टीशर्ट पहनकर संसद पहुंचे और इस मुद्दे को उठाया था. साल 2020 में भी अलग-अलग पार्टियों के 10 सांसदों ने मोदी सरकार को पत्र लिखकर पशु क्रूरता निवारण अधिनियम में संशोधन करने की अपील की थी. वहीं साल 2010 में मेनका गांधी भी लोकसभा में पशु क्रूरता निवारण अधिनियम कानून में संशोधन का मुद्दा उठा चुकी हैं.

इस अधिनियम में संशोधन की आवश्यकता को लेकर हमने एडवोकेट और एनिमल राइट एक्टिविस्ट निहारिका कश्यप से बात की. निहारिका कहती हैं,

“यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है. कानून बनने के 63 साल बाद भी इसमें बदलाव न हो पाना ये दिखाता है कि सरकार जानवरों के अधिकारों को लेकर संजीदा नहीं है.”

निहारिका कहती हैं कि जब तक जुर्माने की राशि नहीं बढ़ेगी तब तक लोगों के मन में जानवरों पर अत्याचार करने को लेकर उस स्तर पर डर पैदा नहीं होगा जैसा कि रेप और हत्या करने पर होता है.

कुल मिलाकर इस दफ़ा फिर से कोशिश है कि 11 अगस्त तक चलने वाले संसद के इस मानसून सत्र में पशु क्रूरता निवारण अधिनियम कानून में संशोधन के लिए बिल पेश हो ताकि जानवरों के अधिकारों को संरक्षित किया जा सके और पशु क्रूरता करने वालों के ज़ेहन में एक डर पैदा हो. क्योंकि आज के दौर में एक ऐसा अपराध, जिसे करने पर 50 रुपए का जुर्माना हो उसे करने से पहले या करने के बाद कोई नहीं सोचता. लेकिन अगर यही जुर्माना 5 लाख रुपए का हो जाएगा तो उम्मीद है कि लोग इस तरह के अपराध करने के पहले कई बार सोचेंगे. इसी सोच के साथ ही सोशल मीडिया पर #NoMore50 अभियान चलाया जा रहा है.

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