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अपने सबसे फेमस इंटरव्यू में जयललिता ने बताई थी पार्टी में अपनी हैसियत

एमजीआर के मरने के बाद तमिलनाडु की राजनीति बदल गई थी.

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जयललिता फाइल फोटो
एआईएडीएमके के प्रोपगंडा सेक्रेटरी और 38 साल की ग्लैमरस जयललिता जयराम 21 घंटे से सफेद साड़ी पहनी एमजीआर के पार्थिव शारीर के पास राजाजी हॉल में बैठी रो रही थीं. अचानक उन पर हमला हो गया. हमला करने वाला शख्स कोई और नहीं बल्कि एमजीआर की पत्नी जानकी का भतीजा और फिल्मी एक्टर दीपन था. उसने जयललिता के सर पर जोरदार हमला किया था. फिर एमजीआर का अंतिम संस्कार शुरू हुआ और जयललिता को वहां नहीं जाने दिया गया. जयललिता वहां से अपने घर आ गईं. पार्टी के एमपी, एमएलए और कार्यकर्ताओं ने जयललिता को घर तक सुरक्षित पहुंचाया. पार्टी में उनके सपोर्टर्स का कहना था कि जयललिता ही एमजीआर की उतराधिकारी हैं. ये सब तब हो रहा था जब राजाजी की मृत्यु के बाद उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी को लेकर कोलाहल की स्थिति बनी हुई थी. इसी राजनीतिक कौतूहल के बीच जयललिता ने 1988 में प्रभु चावला (इंडिया टुडे के लिए) को इंटरव्यू दिया था. जिसमें उन्होंने बहुत सारी बातें की थीं. ये जयललिता का सबसे बेबाक इंटरव्यू माना जाता है-

1. जिस तरह आपके साथ घटनाएं हुईं हैं, क्या आप खुद को अपमानित महसूस कर रही हैं ?

जयललिता- कुछ लोग इस फिराक में थे कि मैं अपने प्रिय नेता के आस-पास न दिखूं. मुझे अपमानित किया गया. 24 दिसंबर की सुबह मेरी एक मित्र ने मुझे जगाया और चौंकाने वाली खबर दी कि एमजीआर अब नहीं रहे. मैं जल्द ही थोट्टम (एमजीआर का घर) पहुंची. पर मुझे वहां घर के अंदर नहीं जाने दिया जा रहा था. मैं अपनी कार से बाहर आ गई और चलते हुए घर के मेन दरवाजे पर पहुंची. फिर मेन गेट को अपने हाथों से पीटने लगी. कुछ देर तक गेट पीटने के बाद, मेरे लिए गेट खोला गया. उसके बाद से मुझे वहां से हटाने की तमाम कोशिशें शुरू हो गई.

2.क्या आप बता सकती हैं कि दरअसल आपके साथ हुआ क्या था?

जयललिता-  मैं एमजीआर के कभी सामने से, तो कभी पीछे वाली सीढ़ियों से पार्थिव शरीर को देखने के लिए उनके घर में इधर से उधर भाग रही थी. पर मुझे रोकने के लिए, घर के सभी दरवाजे बंद किये जा रहे थे. अंत में, मैं तीसरे और सबसे ऊपरी मंजिल पर उनके कमरे के गेट के सामने पहुंच कर खड़ी हो गई. वहां मुझे बताया गया कि उनके पार्थिव शरीर को पिछले दरवाजे से राजाजी हॉल के लिए रवाना कर दिया गया है. मैं वहां से भागी और सीढ़ी से उतर कर मेन गेट की तरफ जा रही थी, तभी मुझे एम्बुलेंस दिखाई दिया, जिसमें एमजीआर का पार्थिव शरीर रखा हुआ था. मैं अपनी कार में घुसी और ड्राईवर से कहा कि उस एम्बुलेंस का पीछा करो. फिर राजाजी हॉल पहुंची, जहां मैं पहले दिन 13 घंटे और दूसरे दिन 8 घंटे लगातार एमजीआर के पार्थिव शरीर के पास रही.

3. क्या उस दौरान आपके ऊपर किसी प्रकार का हमला किया गया?

जयललिता- मुझ पर शारीरिक रूप से तो कोई बड़ा हमला नहीं किया गया. पर वहां मुझे मानसिक, और कहा जाए तो शारीरिक रूप से भी जरूर प्रताड़ित किया गया. सात या आठ महिलाएं, मैं उनका नाम नहीं जानती, दूसरे दिन सुबह में वहां पहुंची और मेरे इर्द-गिर्द भटकने लगीं. वो मेरे पैर को अपने पैर से दबाने लगीं. मुझे धक्के देने लगीं. अपने नाखून को मेरे स्किन में चुभाने लगीं. और अलग-अलग तरह से मुझे प्रताड़ित करती थी. मेरे चेहरे को छोड़कर वो मेरे पूरे शरीर पर अटैक कर रही थी. चेहरे पर करते तो लोगों को पता चल जाता इसलिए चेहरे पर नहीं किया. और जब राजाजी हॉल से पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जा रहा था, तब मुझे जाने की अनुमति नहीं दी गई और मुझे रोका गया.

4. गन-कैरिज पर क्या हुआ था?

जयललिता- जब एमजीआर का पार्थिव शरीर गन-कैरिज पर रखा था, मैं उसपर माला चढ़ाने की कोशिश कर रही थी. वहां मौजूद सुरक्षाकर्मी भी मेरा सहयोग कर रहे थे. मैं गन-कैरिज पर चढ़ ही रही थी कि तभी मुझे किसी के चिल्लाने की आवाज सुनाई दे रही थी. मैंने देखा एमएलए केपी रामालिंगल डरावने ढंग से मेरी तरफ बढ़ रहे थे. अचानक एक युवक ब्लू शर्ट पहने गन-कैरिज पर कूद गया फिर मेरे सर पर हमला कर के मुझे वहां से हटा दिया. पर कुछ देर के बाद मैं फिर गन-कैरिज पर चढ़ने लगी. सुरक्षाकर्मी भी मेरी मदद करने लगे. लेकिन तभी दीपन फिर से वहां आ गया. और मेरे ऊपर हमला करने लगा. मैं वहां से जबरदस्ती हटा दी गई. इस हमले की वजह से  मुझे काफी चोटें आई थीं. बाद में मुझे बताया गया कि दीपन तमिल फिल्मों में काम करता है. और जानकी रामचंद्रन (एमजीआर की पत्नी) का भतीजा है.

5. एमजीआर के अंतिम संस्कार में आपको जाने से रोकने के पीछे किसका हाथ था?

जयललिता- इसका जवाब जगजाहिर है. और मुझे इस पर कुछ नहीं कहना है. जाहिर सी बात है कि एमजीआर के परिवार के लोग नहीं चाहते थे कि मैं अंतिम संस्कार में शामिल रहूं. यही वजह थी कि मुझे लगातार रोकने की कोशिश की जा रही थी.

6. क्या आपको ऐसा लगता है कि एमजीआर के उत्तराधिकारी के लिए तुरंत चुनाव होने चाहिए?

जयललिता- मुझे नहीं लगता कि अभी तुरंत चुनाव की कोई जरूरत है. हम चुनाव में बहुमत से जीत कर आए हैं. और हमारे पास अभी भी दो साल का समय बचा हुआ है.

7. आपको क्या लगता है, किसे उत्तराधिकारी होना चाहिए ?

जयललिता- क्या लोकतंत्र में उत्तराधिकारी जनता के द्वारा नहीं चुना जाता है? अन्ना (तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री सी एन अन्नादुरै) ने तो कभी अपने उत्तराधिकारी का चुनाव नहीं किया था.

8. क्या आपको लगता है कि अंतिम संस्कार को लेकर जो व्यवस्थाएं की गईं, वो पर्याप्त थीं?

जयललिता- एक बहुत ही छोटा सा ग्रुप है जो कि अंतिम संस्कार की व्यवस्थाओं के संचालक थे. वो नहीं चाहते थे कि आम जनता भी इसमें शामिल हो. और ऐसा कर के इन लोगों ने एक महान नेता की छवि को नुकसान पहुंचाया हैं. अन्ना के अंतिम संस्कार में 20 लाख लोग शामिल थे. और इतने लोग एमजीआर के अंतिम संस्कार में शरीक नहीं हो सके. आम जनता को अंतिम संस्कार में शामिल होने से रोकने का अधिकार दिया किसने है इन लोगों को? एमजीआर एक ऐसे शख्स थे, जिसका संबंध तमिलनाडु के हर एक जन से था. कभी इससे पहले अंतिम संस्कार के लिए पासेज की व्यवस्था नहीं की जाती थी. हर कोई शामिल हो सकता था. ये एक निंदनीय बात है. क्या सभी लोगों के पास ये अधिकार नहीं है कि वो अपने प्रिय नेता के अंतिम संस्कार में शामिल हो सकें.

9. आपके साथ जिस तरह की घटनाएं हुई हैं, उनको लेकर आप किस तरह का एक्शन लेने वाली हैं?

जयललिता- वहां से वापस घर आने के बाद मैंने एक टेलीग्राम गवर्नर, चीफ सेक्रेटरी और डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस को भेजा है. जिसमें मैंने मेरे साथ की गई बदसुलूकी और मेरे ऊपर हुए हमले के बारे में बताया है.

10. जैसा कि लग रहा है कि आपकी ही पार्टी में एक ग्रुप है जो आपको साइड लाइन करना चाहता है. उनके साथ आप खुद को कैसे डील कर पाएंगी?

जयललिता- मैं लोगों तक अन्ना और एमजीआर का मैसेज पहुंचाऊंगी. एमजीआर पार्टी के ट्रेजरर थे और नंबर चार थे पार्टी में. मैं पार्टी में प्रोपगंडा सेक्रेटरी के पद पर हूं और नंबर पांच हूं.
 

ये स्टोरी आदित्य प्रकाश ने लिखी है

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